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Thursday, 19 December, 2024
होमएजुकेशनआईआईटी मंडी के प्रोफेसर ने बाढ़ को मासिक धर्म से जोड़ा, बोले- अज्ञानी लोग मांस खाते, शराब पीते हैं

आईआईटी मंडी के प्रोफेसर ने बाढ़ को मासिक धर्म से जोड़ा, बोले- अज्ञानी लोग मांस खाते, शराब पीते हैं

विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले लक्ष्मीधर बेहरा के सहकर्मियों ने कहा कि वह हमेशा से ही रूढ़िवादी थे. छात्रों का भी आरोप है कि वह हर वैज्ञानिक बातचीत को आध्यात्मिकता से जोड़ते हैं.

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नई दिल्ली: अक्टूबर 2021 में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा ने हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ भगवद गीता पर प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान के छात्रों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया था.

धर्मग्रंथ के गुणों पर अपने लगभग एक घंटे के व्याख्यान के बाद, जैसे ही बेहरा ने प्रश्न पूछने का मौका दिया, एक हाथ ऊपर उठा.

प्रथम वर्ष के एक छात्र ने बेहरा से पूछा, “हमें अपने धर्मग्रंथों में वर्णित भगवान या पौराणिक आकृतियों की अवधारणा पर क्यों और कैसे विश्वास करना चाहिए?”

बेहरा ने जवाब दिया, “नहीं, आधुनिक विज्ञान नहीं जानता कि आप कौन हैं. आधुनिक विज्ञान यह नहीं समझा सकता कि चेतना क्या है. आप अपना साथी चुनने के लिए आधुनिक विज्ञान का उपयोग तो नहीं करते? क्या आप बच्चें पैदा करने के लिए आधुनिक विज्ञान का उपयोग करते हैं? क्या आप आधुनिक विज्ञान का उपयोग करते हुए किसी से प्यार करते हैं या किसी से नफरत करते हैं? आधुनिक विज्ञान बहुत सीमित है. क्या आधुनिक विज्ञान आपको अमर बना सकता है?”

सितंबर 2023 में बेहरा, जो अब हिमाचल प्रदेश में आईआईटी मंडी के निदेशक हैं, ने अपने नए परिसर में भगवद गीता पर एक व्याख्यान श्रृंखला के दौरान इसी तरह का दावा किया.

ऑनलाइन उपलब्ध सत्र की एक वीडियो क्लिप के अनुसार, बेहरा ने मानव भ्रूण के विकास के विभिन्न चरणों को दर्शाने वाली एक पावर-पॉइंट प्रस्तुति दी.

प्रस्तुति के एक स्लाइड के अनुसार, “अगर हम मान लें कि स्पर्म और ओवम सिर्फ रासायनिक पदार्थ थे, तो अब तक, वैज्ञानिकों को एक नया जीव बनाने में सक्षम होना चाहिए था, लेकिन उन्होंने एक घास भी पैदा नहीं की है. हम वैदिक साहित्य से जानते हैं, आत्मा पुरुष के स्पर्म द्वारा संचालित होती है और जब यह रहस्यमय तरीके से ओवम के साथ एकजुट हो जाती है तो यह एक शरीर बन जाता है.”

हालांकि, उसी श्रृंखला के भाग के रूप में एक अन्य व्याख्यान के दौरान मांसाहार के खिलाफ बेहरा की टिप्पणी ने उन्हें हाल ही में सुर्खियों में ला दिया है.

बेहरा को कथित तौर पर इस महीने सामने आए एक अन्य ऑनलाइन वीडियो क्लिप में अपने छात्रों को यह कहते हुए सुना गया कि, “अच्छे इंसान बनने के लिए आपको क्या करना होगा? (कहों) मांस मत खाना. हां या नहीं? सब मिलकर मांस खाने को ना कहें. यदि निर्दोष जानवरों को काटा गया तो हिमाचल प्रदेश का भारी पतन हो जाएगा. आप उन्हें मार रहे हैं. इसका पर्यावरण के क्षरण में भी सहजीवी संबंध है, जिसे आप अभी नहीं देख सकते. बड़े पैमाने पर भूस्खलन और कई अन्य चीजें, बादल फटना, सभी इस क्रूरता के परिणाम हैं.”

रोबोटिक्स और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में विशेषज्ञता रखने वाले प्रोफेसर ने पिछले साल अपने इस दावे पर विवाद खड़ा कर दिया था कि उन्होंने एक बार अपने दोस्त के अपार्टमेंट को “बुरी आत्माओं” से छुटकारा दिलाने के लिए पवित्र मंत्रों का जाप किया था.

दिप्रिंट से बात करते हुए, आईआईटी कानपुर के एक प्रोफेसर, जिन्होंने आधुनिक विज्ञान की स्पष्ट सीमाओं पर बेहरा की टिप्पणियों का वीडियो क्लिप साझा किया, ने कहा, “मांसाहार पर उनकी टिप्पणियों ने हलचल पैदा कर दी है. लेकिन जिन लोगों ने उन्हें वर्षों से देखा है, उनके लिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है. वह अपनी धार्मिक मान्यताओं को सबसे ऊपर रखते है.”

आईआईटी कानपुर के एक पूर्व प्रोफेसर, जो अब एक निजी विश्वविद्यालय के लिए काम कर रहे हैं, के भी ऐसे ही विचार थे. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि आईआईटी मंडी निदेशक के रूप में बेहरा की नियुक्ति कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात थी.

प्रोफेसर ने कहा, “बेहरा को हमेशा एक ऐसे प्रोफेसर के रूप में जाना जाता था जो अपनी मान्यताओं में रूढ़िवादी थे. हमने अक्सर उन्हें इस आशय की बातें कहते हुए सुना था कि पूजा-पाठ हर समस्या का समाधान है. जबकि सामाजिक परिवेश में ऐसी बातें कहना एक व्यक्तिगत पसंद है, शैक्षणिक परिवेश में ऐसी मान्यताओं को बढ़ावा देना स्वीकार्य नहीं है.”

बेहरा ने दिप्रिंट के साक्षात्कार के अनुरोध को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वह वर्तमान में आईआईटी मंडी के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

आईआईटी मंडी आठ नई पीढ़ी के आईआईटी में से एक है. देश में तकनीकी शिक्षा की पहुंच बढ़ाने और गुणवत्ता बढ़ाने के इरादे से प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) अधिनियम, 2011 के तहत संस्थान आईआईटी बन गया.

इस वर्ष, संस्थान ने राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क में एक महत्वपूर्ण गिरावट देखी, जो कथित तौर पर 2022 में इंजीनियरिंग संस्थानों के बीच 20वें स्थान से गिरकर 33वें स्थान पर आ गया.


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इस्कॉन के कट्टर अनुयायी

बेहरा को इस्कॉन या इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस का अनुयायी माना जाता है, जिसे हरे कृष्ण आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है, और उनका जन्म ओडिशा के तलसारा गांव में हुआ था.

आईआईटी मंडी वेबसाइट के अनुसार, स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने आईआईटी दिल्ली जाने से पहले राउरकेला में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से बीएससी और एमएससी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की, जहां उन्होंने 1997 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की.

कृष्णन, जो वहां पढ़ाते थे, एक पूर्व सहकर्मी ने दिप्रिंट को बताया- आईआईटी दिल्ली में पी.वी. के प्रभाव से बेहरा इस्कॉन की ओर आकर्षित हुए.

कृष्णन से मिलने से कुछ समय पहले, बेहरा ने संस्थान के प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) वी.के. त्रिपाठी द्वारा की गई एक पहल के हिस्से के रूप में अयोध्या (1992) में बाबरी मस्जिद तोड़े जाने के बाद सामाजिक सद्भाव के लिए अभियान चलाया था.

बेहरा ने 11 जुलाई, 2021 को यूट्यूब चैनल हरे कृष्णा टीवी पर लाइव स्ट्रीम किए गए एक साक्षात्कार में कहा, “मैं अल्पसंख्यकों की बड़ी संख्या वाले क्षेत्रों में उनका समर्थन करने के लिए घंटों बिताता था. हम धार्मिक सद्भाव पर पर्चे बांटते थे. मैं तब पूरी तरह से बीजेपी के खिलाफ था. मुझे लगा कि वे कट्टरपंथी थे.”

पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद, बेहरा ने जर्मनी में जर्मन नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से विकासवादी गणना और मल्टी-एजेंट सिस्टम में पोस्ट-डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की.

आईआईटी मंडी वेबसाइट के अनुसार 19 जनवरी, 2022 को आईआईटी मंडी में निदेशक के रूप में शामिल होने से पहले, बेहरा ने आईआईटी कानपुर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में पूनम और प्रभु गोयल चेयर प्रोफेसर के रूप में भी काम किया और साथ ही साथ टीसीएस संबद्ध संकाय के रूप में भी काम किया. आईआईटी कानपुर में शामिल होने से पहले, बेहरा बिट्स पिलानी में पढ़ाते थे.

प्रोफेसर इंद्रनील मन्ना, जिन्होंने 2012 से 2015 तक आईआईटी कानपुर के निदेशक के रूप में कार्य किया, ने दिप्रिंट को बताया कि बेहरा को वे “एक शांत व्यक्ति और अच्छे शोध करने वाले समर्पित शिक्षक” के रूप में जानते थे.

एक विशेष घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा, “उन्होंने (बेहरा) एक प्रोजेक्ट विकसित किया था और अमेज़ॅन रोबोटिक्स चैलेंज में भाग लेना चाहते थे, और इसे लेकर कुछ झिझक थी. हालांकि, मैंने उनकी भागीदारी को मंजूरी दे दी. उनकी टीम ने अमेज़ॅन रोबोटिक्स चैलेंज 2017 में तीसरा स्थान हासिल किया और शीर्ष 16 टीमों में शामिल हुई. उन्हें इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग में फेलो के रूप में भी चुना गया था, जो कोई छोटी उपलब्धि नहीं है.”

मांसाहार पर बेहरा की टिप्पणी पर विवाद पर, मन्ना ने कहा, “प्रोफेसर बेहरा हमेशा इस्कॉन के कट्टर अनुयायी रहे हैं और धार्मिक प्रवृत्ति के थे. मेरा मानना है कि उनकी टिप्पणियों का गलत मतलब निकाला जा रहा है क्योंकि वह प्रतिष्ठित पद पर हैं.”

आईआईटी कानपुर के एक दूसरे प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हालांकि प्रोफेसर बेहरा हमेशा इस्कॉन के कट्टर अनुयायी रहे हैं, लेकिन उनके विचार कभी भी कोई समस्या नहीं रहे हैं. लेकिन यह (मांसाहार पर टिप्पणी) व्यवस्था को खुश करने की कोशिश की तरह लग सकता है.”


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‘अज्ञान लोग मांस खाते हैं और शराब पीते हैं’

बेहरा की पिछली टिप्पणियां, विशेष रूप से 2019 में आईआईटी कानपुर में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान की गई टिप्पणी से पता चलता है कि भारत के अतीत पर उनके कुछ विचार सत्ताधारी सरकार के आख्यान के साथ जुड़े हुए हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को आगे बढ़ा रहा है.

सत्र में, जिसकी एक क्लिप यूट्यूब पर उपलब्ध है, बेहरा ने कहा, “भारत सभी सभ्यताओं के मानने वाला देश है” और “पूरा ब्रह्मांड पृथ्वी को भारतवर्ष के नाम से ही जानता है”.

बेहरा ने आईआईटी कानपुर में एक इंटर-स्कूल भगवद गीता प्रतियोगिता, जिज्ञासा के अवसर पर छात्रों से कहा, “सभी नस्लों की जड़ें भारत और इंडो-यूरोपीय प्रजातियों में हैं. और यह एक सच्चाई है. भारत वह मूल आर्यावर्त है जहां से सभी सभ्यताएं शुरू हुईं… फिर भी हमारे पास अपना मूल गौरव नहीं है, हम हीन भावना से ग्रस्त हैं, हम अपनी सच्चाई से इनकार करते हैं. आपने अपनी किताबों में पढ़ा है कि हम 200 साल से अंग्रेज़ों के गुलाम हैं. लेकिन आप यह नहीं पढ़ते हैं कि युधिष्ठिर भारतवर्ष के सम्राट थे, आप भरत महाराज के बारे में नहीं पढ़ते हैं.”

इस्कॉन द्वारा स्थापित ‘गीता सीखो, गीता जियो’ पोर्टल पर प्रकाशित बेहरा के ब्लॉग भी उनके दार्शनिक और आध्यात्मिक चिंतन की झलक दिखाते हैं.

उदाहरण के लिए, अगस्त 2020 को ‘भौतिक प्रकृति के तीन तरीके’ शीर्षक वाली एक पोस्ट में, बेहरा, जिन्हें लीला पुरूषोत्तम दास के नाम से भी जाना जाता है, सुझाव देते हैं कि भोजन मानवीय भावनाओं से जुड़ा है.

वह लिखते हैं, “अलग-अलग तरीकों से लोग अलग-अलग तरह की खाद्य सामग्री लेते हैं. सात्विक लोग ऐसा भोजन करते हैं जिससे उनकी आयु बढ़ती है और हृदय शुद्ध होता है. ये खाद्य पदार्थ, जैसे उबली हुई सब्जियां, अनाज, दूध और बिना अधिक मसाले वाला भोजन खाते हैं, जो ताकत, खुशी, संतुष्टि देते हैं और आपको स्वस्थ रखते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “ऐसे खाद्य पदार्थ रसदार, वसायुक्त, पौष्टिक और दिल को स्वस्थ रखने वाले होते हैं. जबकि कुछ लोग स्वाद और आकर्षण में ऐसा भोजन कर लेते हैं जो कष्ट और बीमारी का कारण बनता है. ऐसे खाद्य पदार्थ सामान्यतः कड़वे, अत्यधिक खट्टे और मसालेदार होते हैं. अज्ञानतावश लोग मांस खाते हैं और शराब पीते हैं. आम तौर पर ये खाद्य पदार्थ विघटित और सड़े हुए होते हैं.”

जून 2021 की ‘डू घोस्ट्स एक्ज़िस्ट’ शीर्षक वाली एक अन्य पोस्ट में, बेहरा ने इस पर अपनी राय दी है कि क्यों कुछ लोग भूत बन जाते हैं और क्यों वैदिक परंपरा किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद दाह संस्कार की सिफारिश करती है.

वे लिखते हैं, “वैदिक परंपरा शव को राख के ढेर में तब्दील होते देख आत्मा को उसकी आगे की यात्रा में मदद करने के लिए शव का दाह संस्कार करने की सलाह देती है. आत्मा को शरीर के साथ बांधे रखने वाले बंधन काफी हद तक टूट जाते हैं, परिणामस्वरूप वह अपने अगले शरीर में जाने के लिए तैयार हो जाती है. असाधारण मामलों में जब आत्मा को अगला शरीर नहीं मिलता तो वह बिना किसी शरीर के ही रहती है. इस अशरीरी अवस्था में रहने वाली आत्माओं को भूत कहा जाता है.”

‘हर वैज्ञानिक बात को अध्यात्म से जोड़ते हैं’

आईआईटी मंडी के छात्र अपने निदेशक की हर वैज्ञानिक बातचीत को आध्यात्मिकता से जोड़ने की आदत से हैरान हैं. परिसर में भी असंतोष की भावना बढ़ रही है, जहां प्रथम वर्ष के छात्रों को मांसाहारी भोजन खाने से रोक दिया जाता है.

छात्रों का दावा है कि बेहरा के आईआईटी मंडी निदेशक के रूप में कार्यभार संभालने के बाद यह नीति लागू की गई थी. 2022 में आईआईटी मंडी से एमटेक की डिग्री हासिल करने वाले एक छात्र ने दिप्रिंट को बताया, “यह अब एक नियम बन गया है कि छात्रों को शाकाहार अपनाने का वादा करने के लिए प्रेरित किया जाता है.”

उन्होंने आरोप लगाया, “निर्देशक को हर वैज्ञानिक बातचीत को आध्यात्मिकता से जोड़ने की आदत है. कभी-कभी, यह उन छात्रों को समझ नहीं आता है जो अपने निदेशक से वैज्ञानिक स्वभाव की उम्मीद करते हैं. हर शनिवार, वह परिसर में इस्कॉन कार्यक्रम आयोजित करता है और उसके अनुयायी छात्र इसमें धार्मिक रूप से भाग लेते हैं.”

एक अन्य छात्र ने दिप्रिंट को बताया, “निदेशक देश के विभिन्न पृष्ठभूमियों और हिस्सों से आने वाले छात्रों के लिए भोजन की पसंद कैसे तय कर सकते हैं? ऐसी बातों पर विश्वास करना एक बात है, लेकिन अपनी पसंद को दूसरों पर थोपना पूरी तरह से अस्वीकार्य है.”

कुछ अन्य छात्रों ने आरोप लगाया कि विद्यार्थी परिषद, जिसे छात्र जिमखाना भी कहा जाता है, ने बेहरा के कार्यकाल में अपनी लोकतांत्रिक प्रकृति खो दी है.

नाम न छापने की शर्त पर एक तीसरे छात्र ने आरोप लगाया, “निदेशक सार्वजनिक मंचों पर अवैज्ञानिक बयान देते रहते हैं. पिछले साल, मंडी में बादल फटने/बाढ़ के बाद, उन्होंने दावा किया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जो लड़कियां मासिक धर्म से गुजर रही थीं, उन्होंने परिसर में जन्माष्टमी समारोह में भाग लिया था.”

छात्र ने कहा, “अब एक और नया मानदंड यह है कि कृष्ण से संबंधित सभी कार्यक्रम बहुत धूमधाम से मनाए जाते हैं, लेकिन किसी अन्य त्योहार या धर्म को कोई महत्व नहीं दिया जाता है.”

दिप्रिंट ने जिन छात्रों से बात की, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वे चाहते थे कि आईआईटी निदेशक उन्हें मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स जैसे अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में मार्गदर्शन करें, लेकिन बेहरा ने अब तक जिस एकमात्र विषय पर व्याख्यान दिया था वह ‘भगवद गीता’ था.

(संपादन: अलमिना खातून)

(इस ख़बर को अंग्रजी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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