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Friday, 22 November, 2024
होमडिफेंसनाम है 'प्रचंड'; सेना में शामिल हुआ LCH, हथियारों सहित 5000 मीटर की ऊंचाई पर भर सकेगा उड़ान

नाम है ‘प्रचंड’; सेना में शामिल हुआ LCH, हथियारों सहित 5000 मीटर की ऊंचाई पर भर सकेगा उड़ान

5.8 टन के इंजन वाले इस हेलीकॉप्टर को एचएएल ने विकसित किया है. दो इंजनों वाला यह हेलीकॉप्टर हवा से हवा में मार करेगा.

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नई दिल्लीः भारतीय वायुसेना ने सोमवार को स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) को औपचारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल कर लिया है. इसे खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध करने के लिए विकसित किया गया है. यह दुनिया का एक मात्र हेलीकॉप्टर है जो कि दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में ऑपरेट कर सकता है.

5.8 टन के इंजन वाले इस हेलीकॉप्टर को एचएएल ने विकसित किया है. दो इंजनों वाला यह हेलीकॉप्टर हवा से हवा में मार करेगा.

इस फ्लीट में चार हेलीकॉप्टर शामिल किए गए हैं. जोधपुर में एक सेरेमनी के दौरान इसे शामिल किया गया. इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल वीआर चौधरी और अन्य सीनियर सेना के अधिकारी मौजूद थे.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण क्षण है जो रक्षा उत्पादन में भारत की क्षमता को दर्शाता है.

एलसीएच को सार्वजनिक उपक्रम ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (एचएएल) ने विकसित किया है और इसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करने के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किया गया है. 1999 के करगिल युद्ध के बाद ऐसे हेलीकॉप्टर की आवश्यकता महसूस की गई थी.

अधिकारियों ने बताया कि 5.8 टन वजन के और दो इंजन वाले इस हेलीकॉप्टर से पहले ही कई हथियारों के इस्तेमाल का परीक्षण किया जा चुका है.

गौरतलब है कि इस साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने स्वदेश में विकसित 15 एलसीएच को 3,887 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए मंजूरी दी थी.

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इनमें से 10 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए और पांच थल सेना के लिए होंगे.

रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन राजीव कुमार नारंग जो कि अब ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया में डायरेक्टर स्ट्रैटीजिक इनिशिएटिव है उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि एलसीएच की स्वदेशी डिजाइन इस तरह की है कि वह समुद्र की सतह और पवर्तों दोनों से काम कर सकता है. इस क्लास में कोई भी हेलीकॉप्टर ऐसा नहीं कर सकता. यह एक भारतीय डिजाइन है जो कि पूरी दुनिया के लिए फिट है.

अधिकारियों ने बताया कि एलसीएच और ‘एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर’ ध्रुव में कई समानताएं हैं. उन्होंने बताया कि इसमें कई विशेषताएं हैं जिनमें ‘स्टील्थ’ (रडार से बचने की) खूबी के साथ ही बख्तरबंद सुरक्षा प्रणाली से लैस और रात को हमला करने व आपात स्थिति में सुरक्षित उतरने की क्षमता शामिल हैं.

राजनाथ सिंह ने कहा कि यह भारत सैन्य जरूरतों को पूरा करेगा क्योंकि यह दुश्मनों को चकमा देने, तमाम तरह के हथियार ले जाने और मौके पर तुरंत पहुंच जाने में सक्षम है.

वहीं हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सीएमडी सीबी अनंतकृष्णन ने कहा कि स्वदेशी एलसीएच दुनिया भर में एक बेहतरीन हेलीकॉप्टर है. एलसीएच दुनिया में एक मात्र अटैक हेलीकॉप्टर है जो कि 5 हजार मीटर से लैंड कर सकता है और टेक-ऑफ कर सकता है.

वायुसेना ने कहा कि एलसीएच का पहला प्रोटोटाइप साल 2010 में बनाया गया था. 2020 के मध्य तक एलसीएच की तीन टेस्टिंग हो चुकी थी और ऐसा पाया गया कि ये सारी जरूरतें पूरी करता है. उसके बाद समुद्र की सतह पर, सियाचिन के उच्च ग्लेशियर पर, उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में और रेगिस्तानी एरिया में इसका परीक्षण किया गया.

खास बात यह है कि एडवॉन्स्ड लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव की सारी कमियों को इसमें दूर किया गया है.

रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन नारंग के मुताबिक, ‘एएलएच को जब बनाया गया था तो विचार के साथ बनाया गया था कि ऐसा दुनिया में दूसरा हेलीकॉप्टर नहीं होगा. इसने एलसीएच को बनाने में बेहतर बनाने औऱ ज्यादा प्रैक्टिकल मशीन बनाने में मदद की.’


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