नई दिल्ली: चीन ने अरुणाचल के पास एक और गांव बना लिया है जो उस क्षेत्र के बाहर है जिसे भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) समझता है लेकिन मैकमोहन लाइन के अंदर ही नज़र आता है.
एक सैटेलाइट इमेज एक्सपर्ट जिनका ट्विटर हैंडल @Detresfa_ है वो कहते है कि ‘नया गांव सर्वे ऑफ इंडिया और मैकमोहन लाइन सीमा के अंदर ही नज़र आता है’.
This village appears to be within the survey of #India & McMahon line boundary, geography however, restricts access allowing #Beijing to move unchallenged, such land grabs alter maps & promote sinicization of local features hindering future challenges to Indian territorial claims https://t.co/5AJCMiSGcL pic.twitter.com/3hmFCGlOYT
— d-atis☠️ (@detresfa_) November 18, 2021
इस बीच, एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में कहा गया ‘चीन ने अरुणाचल प्रदेश में कम से कम 60 इमारतों का एक दूसरा एनक्लेव या क्लस्टर बना लिया है’.
उसमें आगे कहा गया कि सेटेलाइट तस्वीरों के अनुसार ये नया एनक्लेव 2019 में मौजूद नहीं था लेकिन एक साल बाद देखा जा सकता था.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘ये एनक्लेव अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा बनाए गए एक गांव के 93 किलोमीटर पूर्व में है’. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि दूसरा एनक्लेव, ‘भारत के अंदर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बीच’ 6 किलोमीटर अंदर पड़ता है.
वहीं, सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ‘भारत जिसे एलएसी समझता है’ उसके अंदर कोई निर्माण नहीं हुआ है.
रक्षा संस्था के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें एक एलएसी बचाने के लिए दी गई है और हम वही कर रहे हैं. भारत जिसे एलएसी समझता है’ उसके अंदर कोई घुसपैठ या निर्माण नहीं हुआ है’.
सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहे नए गांव की लोकेशन के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने आगे कहा, ‘गांव के कॉर्डिनेट्स एलएसी के उत्तर में और एलएसी के चीन की ओर पड़ते हैं’.
सूत्रों ने ये भी कहा कि एलएसी और मैकमोहन लाइन के बीच में एक फासला है और सेना एलएसी की रक्षा करती है.
लेकिन रक्षा संस्थानों ने इस विवाद में पड़ने से इनकार कर दिया कि क्या वो गांव उस क्षेत्र मे पड़ता है जिसपर भारत दावा करता है और उन्होंने ये भी कहा कि मैकमोहन लाइन के मुद्दे से निपटना उनका काम नहीं है.
मैकमोहन लाइन 1913-14 में ब्रिटिश भारत, तिब्बत, और चीन के बीच शिमला सम्मेलन में तय की गई थी लेकिन चीन इस लाइन को अवैध मानता है.
जैसा कि दिप्रिंट ने पहले ख़बर दी थी कि अरुणाचल प्रदेश के पास चीन ने जो पहला गांव बनाया था वो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के क़ब्ज़े वाली जगह पर था जिसने उसे 1959 में असम रायफल्स की एक चौकी को हथियाकर लिया था.
उसके बाद से ये इलाक़ा चीन के नियंत्रण में रहा है और उसके बाहर है जिसे भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) समझता है लेकिन मैकमोहन लाइन के अंदर है.
पूर्वी सेना कमांडर ले.जन. मनोज पाण्डेय ने हाल ही में एलएसी के पास चीनियों के गांव बनाने की ओर ध्यान खींचा था.
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चीन ने भूटान क्षेत्र में और गांव बनाए
इस बीच, @Detresfa_ने कहा कि चीन और भूटान के बीच विवादित ज़मीन पर पिछले साल के बाद से कम से कम चार नए चीनी गांव स्थापित किए हुए नज़र आते हैं जो लगभग 100 वर्ग किलोमीटर इलाक़े में फैले हैं.
Disputed land between #Bhutan & #China near Doklam shows construction activity between 2020-21, multiple new villages spread through an area roughly 100 km² now dot the landscape, is this part of a new agreement or enforcement of #China's territorial claims ? pic.twitter.com/9m1n5zCAt4
— d-atis☠️ (@detresfa_) November 17, 2021
ये निर्माण भूटान की ज़मीन पर माना जाता है जो डोकलाम के क़रीब है वो इलाक़ा जिसमें 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध पैदा हो गया था.
भूटान की ज़मीन पर चीन के पहले गांव बनाने की तस्वीरें पिछले साल नवंबर में सामने आईं थीं. हालांकि थिम्पू ने ऐसे किसी घटनाक्रम से इनकार किया था.
लेकिन, भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बाद में कहा कि भूटान की ज़मीन पर निर्माण हुआ था जिसपर अब चीन दावा करता है.
चीन ने LAC के पास और हेलिपोर्ट्स बनाए
16 नवंबर को thedrive.com पर एक लेख में @detresfa_ने लिखा कि चीन तिब्बत के पूरे पठार पर भारत की अपनी तनावपूर्ण सीमा के साथ हेलिपोर्ट्स का एक नेटवर्क स्थापित कर रहा है जिसका किसी संकट में भारी इस्तेमाल किया जा सकता है.
रिपोर्ट में कई नए हेलिपोर्ट्स के निर्माण और मौजूदा हेलिपोर्ट्स के विस्तार का विवरण दिया गया जिससे संकेत मिलता है कि भारत से गतिरोध के दौरान चीन सैन्य निर्माण की भारी गतिविधियां अंजाम देता रहा है.
पिछले साल एलएसी पर तनाव शुरू होने के कुछ हफ्ते बाद ही दिप्रिंट ने ख़बर दी थी कि चीन लद्दाख़ के अंदर और डोकलाम के पास एक हेलिपोर्ट बना रहा था.
उस समय सूत्रों ने कहा था कि ये विस्तार साउथ चाइना सी जैसी रणनीति में फिट बैठते हैं जिससे अंदाज़ा होता है कि बीजिंग अपने पश्चिमी प्रादेशिक दावों पर आक्रामक तरीक़े से आगे बढ़ने की योजना बना रहा है.
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