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Friday, 29 March, 2024
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आध्यात्म कैसे बना महिलाओं की आजादी का रास्ता? कलिंग साहित्य महोत्सव में महिलाओं के मोक्ष पर चर्चा

आध्यात्म और धर्म का रास्ता अक्सर महिलाओं के लिए आजादी का रास्ता भी बना. कलिंग साहित्य महोत्सव में स्त्रियों के गुरुओं से लेकर उनके मोक्ष और मुक्ति पर चर्चा हुई.

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नई दिल्ली: साहित्य में कहा गया है कि 5 हजार सालों से पुरुषों ने महिलाओं पर शासन किया. अब महिलाएं उन जंजीरों को तोड़कर आगे बढ़ रही हैं जिन्हें कभी कर्तव्य तो कभी मर्यादा बताकर उनमें जकड़ लिया गया. ओडिशा में शुरू हुए कलिंग साहित्य महोत्सव में हुई चर्चा- ‘क्यों मायने रखती हैं महिला आध्यात्मिक गुरु?’ में स्त्रियों के गुरुओं से लेकर उनके मोक्ष और मुक्ति पर चर्चा हुई.

दिप्रिंट हिंदी कलिंग साहित्य महोत्सव का डिजिटल मीडिया पार्टनर है और लगातार कार्यक्रम के आयोजनों को कवर कर रहा है.

गार्गी, मैत्रयी समेत इतिहास में ऐसे कुछ नाम है जिन्होंने महिलाओं के लिए अध्यात्म के रास्ते बनाए और आगे राह कुछ आसान की, लेकिन मुश्किलें आज भी बनी हुई हैं. आध्यात्म और धर्म का रास्ता अक्सर महिलाओं के लिए आजादी का रास्ता भी बना. इस बात को इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि घर से बाजार जाने के लिए स्त्री को अनुमति नहीं मिलती है लेकिन घर से मंदिर जाने के लिए उसे संघर्ष नहीं करना पड़ता.

मशहूर लेखिका ममता कालिया, रमा पांडे और कोरल दासगुप्ता, शुभ्रस्था, साई स्वरूपा अय्यर इस चर्चा का हिस्सा थी. सत्र में महिला अध्यात्मिक गुरुओं के मायनों पर चर्चा की गई. समाज की बात हो, राजनीति, विज्ञान या फिर अध्यात्म महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले कम रही. ऐसे आध्यातम गुरुओं की बात करें तो ज्यादातर पुरुष ही ही नजर आएंगे. आध्यात्म में गुरुओं के लेकर लिंग भेदभाव की बात पर स्वरूपा जी कहती हैं, ‘ऐसा नहीं है कि आध्यात्म में महिला गुरू नहीं है. बात ये हैं कि वे लाइम-लाइट में नहीं है. लोग किसके पास जाते हैं यह उसी बात पर निर्भर करता है.’

आधी आत्मा को पाना मोक्ष

लेखिका और निर्माता रमा पांडे कहती हैं, ‘साधना ही आध्यात्म है. एक मिनट के लिए आंख बंद करके ध्यान लगाएंगे वही आध्यात्म है. आधी आत्मा को पाने का सफर आध्यात्म है. मोक्ष प्राप्त होता है. सवाल मोक्ष का नहीं, सवाल उस आधी आत्मा का है जो खो गई है. वह आत्मा जो खोती जा रही है उसकी खोज कीजिए, मैं नहीं मानती की इसमें महिलाओं को आगे आना है. महिलाएं आगे खड़ी है.’

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रमा पांडे महिलाओं के आध्यात्म को बताते हुए कहती हैं कि आपकी शांति के पल, जब आप एक कप चाय बनाकर चिड़ियों को सुनती है तो वह आपका आध्यात्म है. शांति ही आपका आध्यात्म है, शांति ही आपकी समृद्धि है, शांति ही आपका विलास है. आधी आत्मा जो खो चुकी है उसको पाना ही मोक्ष है.

आध्यात्म से आज़ादी से का रास्ता

पुरुषों का बाहर जाकर अपना नेटवर्क बड़ा करने की सुविधा हमेशा से हमारे समाज ने उन्हें दी है, लेकिन महिलाओं के हिस्से आए घरे के काम व्यस्थ रहने वाली स्त्रियों के पास यह सुविधा नहीं रही. तो उन्होंने आध्यात्म को अपनी आजादी का रास्ता बनाया. ममता कालिया ने महिलाओं की दशा का उल्लेख करते हुए बताया कि पहले बेमेल विवाहों का चलन बुहत था. उनसे छुटकारा पाने के लिए महिलाएं भक्ति की ओर जाने लगी.

ममता कालिया कहती हैं, ‘मीरा का विवाह बेमेल विवाह था. उससे वह भक्त कवि बनीं. उन्होंने सोचा कि अगर पति से छुटकारा पाना है तो भक्ति के जरिए ही पाया जा सकता है. वह कृष्ण के चरणों में इसलिए गई क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें किसी अपवाद का सामना नहीं करना पड़ेगा. कोई बदनामी नहीं झेलनी पड़ेगी. प्राय: महिलाएं इसलिए भक्ति में जाती हैं क्योंकि उन्हें अपने घर से परिवारों के बंधनों से निकलने का एक ही रास्ता मिलता है.’

ममता कालिया कहती हैं, ‘महिलाओं के लिए धर्म और आध्यात्म पलायन का एक रास्ता रहा है. मध्यकाल में महिलाओं ने लड़ाई की कि उन्हें बौद्ध धर्म में प्रवेश मिले. स्त्री के लिए धर्म मुक्ति का रास्ता है. महिलाओं को घर से बाहर निकलने की आजादी नहीं होती. धर्म का नाम पर उन्हें आजादी मिलती है. धर्म महिलाओं के लिए एस्केप की तरह आता है.’

मोक्ष ही मुक्ति

महिलाओं के लिए मोक्ष उनकी मुक्ति है. जितने अनुष्ठान हम देखतें हैं उनमें ज्यादातर महिलाएं देखने को मिलती है. वो वहां जाती हैं और तालियां बजाती हैं. एक उम्र के बाद तो वह पूी तरह धर्म चली जाती हैं क्योंकि वह स्त्री को सभी चिंताओं से मुक्त करता है. महिलाओं का जीवन तो वैसे भी चिंताओं में बीतता है. कभी अपने वंश की चिंता तो कभी वंश के वंश की चिंता.

ओडिशा के भुवनेश्वरपुर में कलिंग साहित्य महोत्सव 2021 की शुरुआत हुई. साहित्योत्सव का उद्घाटन ओडिशा के पर्यटन मंत्री ज्योति प्रकाश पाणिगग्रही, पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ ओड़िया साहित्याकार सीताकांत महापात्र, भारत में नेपाल के राजदूत रामप्रसाद सुबेदी, केएलफ के प्रबंध निदेशक रश्मि रंजन परिदा ने किया.

इस साहित्योत्सव में साहित्य, सिनेमा, मीडिया और राजनीति जगत से जुड़े 300 स्पीकर हिस्सा ले रहे हैं. कलिंग साहित्य महोत्सव का यह आठवां संस्करण है. कार्यक्रम के आयोजक रश्मि रंजन ने कहा कि इन आठ सालों में कलिंग साहित्य महोत्सव ने कई अहम पड़ाव पार किए हैं. उन्होंने बताया कि साहित्योत्सव को भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सहयोग मिला है.

हिंदी के वरिष्ठ कवि अरुण कमल तथा महिला लेखिकाओं में प्रसिद्ध अभिनेत्री दिव्या दत्ता को कलिंग साहित्य अवार्ड से सम्मानित किया गया.


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