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Friday, 17 May, 2024
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टेलीविज़न पर ‘नागिन’ नहीं, युवा पुरुषों को भा रही है यूट्यूब वाली ‘चुड़ैल’

नैतिक कहानियों के तौर पर बेची जा रही इन वीडियोज के एनालिटिक्स कई यूट्यूब चैनल्स ने दिप्रिंट के साथ साझा किए. सबसे ज्यादा पुरुष इस तरह के वीडियोज देख रहे हैं.

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नई दिल्ली: टीवी वाली नागिन के दिन अब पुराने हो गए जब टीआरपी की रेस में वो सबको पछाड़ देती थी. अब यूट्यूब का मैदान है और व्यूज की रेस. इस रेस में टॉप पर ‘चुड़ैल’ हैं. वही चुड़ैल जिसकी कहानियां शायद आपने अपनी दादी-नानी से सुनी होंगी या फिर दोस्तों से किस्से सुने हों. चुड़ैल को ‘यूट्यूब सेंसेशन’ कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. जानिए कैसे-

एक गांव में बाबू लाल नाम का एक आदमी था. काम कुछ करता नहीं था. गांव की ही एक सुंदर लड़की को राम प्यारी कहकर छेड़ा करता था. उसके दोस्त ने बताया था कि वो लड़की चुड़ैल है. लेकिन बाबू लाल की जिद के आगे झुककर उसके माता-पिता ने लड़की से शादी करा दी. शादी के अगले दिन बाबूलाल की मां ने घर के नौकर की छुट्टी कर दी और बहू को घर का सारा काम करने के लिए कहा. साथ ही दहेज नहीं लाने का ताना भी मारा. इसपर बहू और सास की लड़ाई हो गई. बहू जब गुस्से में कमरे में आई तो बाबूलाल ने उसका चेहरा शीशे में देखा. उसका चेहरा नीला था. उसे पता चला कि वो सच में चुड़ैल है. वो भागा-भागा उसके दोस्त के पास गया. चुड़ैल भी उसके पीछे-पीछे चल पड़ी और उसकी बलि चढ़ाने की तैयारी करने लगी. इतनी ही देर में बाबूलाल के दोस्त ने बजरंग बलि का मंत्र पढ़ा. चुड़ैल भष्म हो गई.

कई सामाजिक बुराइयों वाली इस वीडियो के एनिमेटेड वर्जन को यूट्यूब पर 33 करोड़ लोग देख चुके हैं.

ये इकलौता ऐसा वीडियो नहीं है

चुड़ैल का हनीमून, चुड़ैल जाग उठी, चुड़ैल कल आना, चुड़ैल जली दिवाली में नाम के सैंकड़ों टाइटल के साथ ये वीडियोज करोड़ो व्यूज ला रही हैं. सबसे रोचक बात ये है कि ‘चुड़ैल कल आना‘ नाम से कई यूट्यूब चैनल्स ने वीडियो लगाए हैं. हरेक वीडियो को करोड़ों बार देखा गया है. गौरतलब है कि साल 2018 में आई ‘ओ स्त्री कल आना‘ फिल्म सुपर हिट हुई थी. फिल्ममेकर्स ने फिल्म की सफलता देखते हुए इसके सीक्वल की घोषणा भी कर दी थी. यूट्यूब पर चुड़ैल नाम से देखी गई एक वीडियो को 115 मिलियन व्यूज मिले हैं.

ये वीडियो कौन बना रहा है? कौन लोग इसे देख रहे हैं? चुड़ैल से जुड़े इस ट्रेंड को समझने के लिए दिप्रिंट ने करीब सैंकड़ों वीडियोज के कंटेंट की पड़ताल की और साथ ही इन वीडियोज़ को बनाने 3 यूट्यूब चैनल्स से बात की.

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दिल्ली के इंदरलोक में स्थित ‘ड्रीम स्टोरी टीवी एडवेंचर‘ के दफ्तर में 7 लोगों की टीम काम करती है. इस यूट्यूब चैनल के मालिक नीरज भास्कर ने दिप्रिंट को बताया, ‘पहले ये यूट्यूब चैनल चलाने से पहले मैंने थोड़ी रिसर्च की थी. अपनी रिसर्च में मैंने पाया कि लोग भूत वाले वीडियो पसंद कर रहे हैं. मैंने भूत के नाम से बनानी शुरू की. ये वीडियो इतने पॉप्युलर हो रहे हैं कि चुड़ैल की कहानियों के नाम से अलग सेक्शन बनाया गया है. जो जनवरी 2019 में शुरू किया गया था. अब इसके करीब 4 लाख 80 हजार सबस्क्राइबर हैं और वीडियोज को मिलाकर कुल व्यूज 104,196,899 हैं.’

वहीं ‘बेस्ट बडीज स्टोरिज एंड राइम्स‘ यूट्यूब चैनल के 5 लाख सब्स्क्राइबर हैं और तीन महीने पहले ही चुड़ैल कीवर्ड के साथ वीडियोज लगाने शुरू किए हैं. एक अन्य पॉप्युलर यूट्यूब चैनल ‘बेडटाइम स्टोरीज किड्सलॉजिक‘ के एक मिलियन सब्स्क्राइबर से ज्यादा सबस्क्राइबर हैं. ये चैनल भी लगभग एक साल ये इस तरह के वीडियो बना रहा है लेकिन चुड़ैल वीडियो के ट्रेंड में आने के बाद इस यूट्यूब चैनल ने भी ‘भोली सास‘ और ‘पढ़ी-लिखी बहू‘ के साथ-साथ ‘लाल साड़ी वाली चुड़ैल‘ के नाम से वीडियो अपलोड करने शुरू किए हैं. ‘माई कार्टून टीवी हिंदी स्टोरिज‘ नाम के चैनल ने शुरू में कई जादुई चीजों पर वीडियो बनाए लेकिन दो चार वीडियो के बाद से ये चैनल भी लगातार चुड़ैल के नाम से ही वीडियोज बना रहा है.

कौन देख रहे हैं ये वीडियोज?

नैतिक कहानियों के तौर पर बेची जा रही इन वीडियोज के एनालिटिक्स कई यूट्यूब चैनल्स ने दिप्रिंट के साथ साझा किए. सबसे ज्यादा पुरुष इस तरह के वीडियोज देख रहे हैं. जैसे ड्रीम टीवी के मुताबिक, ‘मात्र 24 फीसदी महिलाएं इस तरह के वीडियोज देख रही हैं. 25 से 34 की उम्र के 42 प्रतिशत लोग हैं तो 18 से 24 की उम्र के 28 फीसदी. 93 प्रतिशत व्यूअर्स भारत के हैं तो 3 फीसदी पाकिस्तानी भी चुड़ैल के वीडियोज में इंटरेस्ट रखते हैं.’ ड्रीम टीवी के नीरज का मानना है कि जो 25 से 34 के ऐज ग्रुप के लोग अपने छोटे बच्चों को ये वीडियो दिखा रहे हैं. माता-पिता के फोन के जरिए ये वीडियो चार साल की उम्र तक के बच्चों तक पहुंच रहे हैं.

दिल्ली के पिंटो पार्क में रह रहा 4 साल का कुश आसानी से चुड़ैल टाइप करता है और एक के बाद एक चुड़ैल के वीडियो खुलते चले जाते हैं. कुश की मां सोनाली ने दिप्रिंट को बताया कि टीवी पर प्रसारित हो रहे सीरियल भी भूत-प्रेत की कहानियों से जुड़े हैं. अब यूट्यूब पर एनिमेटेड वीडियोज़ की बाढ़ सी आ गई है. कुश सारा दिन जय हनुमान और चुड़ैल की ही बातें करता है.

वहीं किड्सलॉजिक के हिसाब से गभग 50 फीसदी ट्रैफिक 25 से 35 उम्र के लोगों का है. उसके अलावा 70 फीसदी पुरुष ये वीडियो देखते हैं. किड्सलॉजिक ने इन वीडियोज के लिए तीन स्क्रिप्ट राइटर हायर किए हैं जिनमें दो लड़के और तीन लड़कियां हैं.

कैसे काम करती हैं चैनल्स की टीम?

ड्रीम टीवी की टीम में 7 लोग काम करते हैं जिसमें से 2 महिलाएं हैं. 22-32 ऐज ग्रुप के इन युवाओं ने एनिमेशन का कोर्स किया हुआ है.

इन वीडियोज के लिए कहानी खुद नीरज भास्कर ही लिखते हैं. करीब 4 साल से यूट्यूब के बिजनेस में काम कर रहे नीरज कहते हैं, ‘मेरी खुद की 6 साल की बेटी है. जब मैं इन वीडियोज के लिए कहानी सोच रहा होता हूं तो मेरे दिमाग में ये भी चल रहा होता है कि मेरी बेटी इसे कैसे देखेगी. इसलिए इन कहानियों की चुड़ैल ज्यादा डरावनी नहीं होती. मैं आखिर में सच्चाई की जीत करवाता हूं ताकि बच्चे अच्छाई या बुराई का फर्क कर सकें.’

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

आमतौर पर प्रचलित कथाओं में चुड़ैल को एक बुरी महिला के तौर पर पेश किया जाता है जो खून पीने या मारने के मकसद से घूमती है. पारिवारिक बैठकी में सुनाए जाने वाले चुटकुलों में अक्सर पति-पत्नी का जिक्र आते ही चुड़ैल के खून पीने जैसी लाइनें आ जाती हैं. गांव-कस्बों में भांति-भांति की चुड़ैल के किरदार गढ़ लिए गए हैं.

इसके विपरीत पहेली, भूतनाथ अंकल, चमत्कार जैसी बॉलीवुड फिल्मों में पुरुष भूतों को एक खास मकसद यानि की बुराई पर सच्चाई की जीत का चेहरा बनाया गया है.

हिंदी साहित्य की चर्चित लेखिका और महिलाओं के अधिकारों की बात करने वाली गीताश्री की हाल ही में ‘भूत खेला’ किताब लॉन्च हुई है. इस किताब में उन्होंने भूतों को खराब लाइट में पेश नहीं किया है बल्कि उनके मानवीय पक्ष सामने रखे हैं. भूतनियों की कहानियों में ‘सिस्टरहुड’ की झलक दिखती हैं जहां वो जिंदा औरतों को परेशान करने नहीं बल्कि उनकी मदद करने आती हैं.

इस ट्रेंड पर कमेंट करते हुए गीताश्री ने कहा, ‘भूत के लिए भूतनी शब्द है लेकिन चुड़ैल का कोई पुलिंग नहीं है. डायन और चुड़ैल बहुत सोची समझी साजिश के तहत गढ़े गए शब्द हैं जो महिलाओं को खराब शक्लो सूरत और खून पीने वाले किसी प्राणी के तौर पर पेश करते हैं.’

वह आगे कहती हैं, ‘जो बच्चे इस तरह के वीडियोज को देखकर बड़े होंगे वो ताउम्र महिलाओं की एक खास धारणा अपने मन में बनाकर रखेंगे. लेकिन बाजारवाद नैतिक और सामाजिक मुल्यों की परवाह किए बिना ट्रेंडिगं नैरेटिव बेचने में कामयाब रहता है.’

एम्स के मनोचिकित्सक डॉक्टर राजेश सागर कहते हैं, ‘माता-पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चों को इस तरह के ट्रेंड से दूर रखें. खासकर 4 से 7 साल के बच्चों को. चुड़ैल शब्द से भले ही उत्सुकता पैदा होती हो लेकिन लंबे समय तक ये बच्चों के दिमाग पर हावी रहते हैं.

हाल फिलहाल में देश के कई हिस्सों में मानसिक रूप से विक्षिप्त महिलाओं को चुड़ैल बताकर भीड़ ने मार डाला. अक्सर इस तरह की घटनाएं हमारा ध्यान नहीं खींचती लेकिन अगर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो साल 1991 से लेकर 2010 के बीच लगभग 1700 महिलाओं को चुड़ैल बताकर भीड़हत्या कर दी गई. कई बार ये हत्याएं जमीन जायदाद को लेकर भी हुई हैं जब महिला के पति या बच्चे ना रहे हों.

मारी गई इन औरतों को हुलिया कैसा था?

ठीक वैसा ही जैसा इन वीडियो और फिल्मों में दिखाया जाता है. बिना धुले और गंदे बाल, फटे कपड़े, मानसिक रूप विक्षिप्त, नाखूनों में मैल. इस तरह की सिरीज पर भास्कर कहते हैं यह वीडियो पूरी तरह से मनोरंजन के लिए बनाया जा रहा है. आज चुड़ैल ट्रेंड कर रही है कल कुछ और ट्रेंड करेगा.

(इस खबर को इंग्लिश में भी पढ़ सकते हैं, यहां क्लिक करें)
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