नई दिल्लीः बीजेपी की नई दिल्ली से सांसद और प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी एक नए अवतार में दिखने वाली हैं. वह अपनी छवि के विपरीत अपनी रचानात्मक भूख को मिटाने के लिए एक राजनैतिक क्राइम थ्रिलर लिखकर उन नेताओं की सूची में शामिल हो रहीं है जिनकी पहचान केवल राजनीति के कारण नहीं होती बल्कि जो अन्य क्षेत्रों में भी सक्रिय है. वकालत से राजनीति और अब राजनीति से उपन्यास लेखिका बनी लेखी के नए नॉवेल का नाम है दि न्यू देल्ही कॉन्सपिरेसी.
उपन्यास की कहानी वेदिका खन्ना नाम की नई दिल्ली के एक सांसद के इर्द-गिर्द घूमती है जिसके घर के सामने एक वैज्ञानिक की दिनदहाड़े हत्या हो जाती है पर मरते वैज्ञानिक के अंतिम शब्दों ने सांसद वेदिका को हिलाकर रख दिया कि लोकप्रिय प्रधानमंत्री राघव मोहन की हत्या का बड़ा षड्यंत्र रचा जा रहा है पर वेदिका के पास न तो कोई सुराग़ है न ही कोई इसकी जड़ तक पहुंचने का साधन.
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पर वेदिका ने तय कर लिया है कि वो इस षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश करके रहेगी और उसके इस काम में उसका साथ देती है तेज़ तर्रार पत्रकार ऋेया और साइबर दुनिया को समझने वाला दोस्त कार्तिक. वेदिका कार्तिक और ऋेया के पास वक्त कम है और लक्ष्य बडा. आख़िरकार दिल्ली के पॉवर कॉरिडोर से षड्यंत्र का रास्ता तलाशते हुए तीनों को हांगकांग में सुराग़ मिलता है. हांगकांग में मिली लीड उन्हें तिब्बती मांनटेसरी तक पहुंचाती है जहां उन्हें सारे षड्यंत्र का ताना बाना दिखता है और समय रहते वो उस जगह पहुंच जाती है जहां से देश के ऊपर आने वाले बडे़ संकट को टाला जा सकता है.
वकालत, सांसद और प्रवक्ता की ज़िम्मेदारी निभाते हुए कथाकार के रूप में डेव्यू करने पर मीनाक्षी लेखी दि प्रिंट से बातचीत में कहती हैं ‘इस उपन्यास का मेरी जिंदगी से कोई संबंध नहीं है और यह पूरी तरह से फिक्शन है और इसका प्लाट कई सालों से मेरे अंदर चल रहा था पर इस पर काम मैने पिछले एक साल में पूरा किया है.’ लेखी बताती हैं अभी तक मैं राजनीतिक भाषण, ब्लॉग, लेख वग़ैरह लिखती रहीं हूं पर उपन्यास लिखना बिल्कुल अलग तरह का काम था. उपन्यास पढ़कर मेरे नए रूप से लोग जरूर चौकेंगे.
पर उपन्यास के मुख्य पात्र का सांसद होना और प्लाट में प्रधानमंत्री का होना राजनैतिक गलियारे में कौतूहल जगा चुका है कि नॉवेल में सिर्फ कथा है या कथा में बीजेपी की राजनीति और पॉवर कॉरिडोर के रहस्य का तड़का भी शामिल है.
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बीजेपी के कई नेता यह जानने में उत्सुक हैं कि कहीं उनका कैरेक्टर तो कथा में नहीं शामिल है? लेखी के मुताबिक अभी तक उन्होंने तय नहीं किया है कि उपन्यास का विमोचन अपनी पार्टी के किसी राजनेता से कराएं या किसी लेखिका से.
एक समय में किताब पढ़ने और सिनेमा देखने के शौक़ीन बीजेपी के लौह पुरुष आडवाणी माने जाते थे. अक्सर शनिवार को आडवाणी के लिए नई दिल्ली के महादेव ऑडिटोरियम में विशेष शो का कार्यक्रम रखा जाता था जिसमें वो परिवार सहित पहुंचते थे. वाजपेयी और आडवाणी का एक प्रिय शग़ल पुस्तक विमोचन था. वाजपेयी खुद कवि थे और उनका किताबों से बेहद लगाव था.
मीनाक्षी लेखी के उपन्यास को हार्पर कॉलिन्स ने छापा है और 8 जुलाई को यह बाज़ार में आने वाला है.