छह जनवरी को कैपिटल बिल्डिंग पर ट्रंप के समर्थकों ने हमला कर दिया था जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि ट्रंप ने अपने भाषण के जरिए समर्थकों को हिंसा के लिए भड़काया.
ट्रंप के वकील ब्रूस कैस्टर ने कहा, ‘प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों ने महाभियोग के लिए जो आरोप पेश किए हैं, उन्हें सही साबित करने के लिए सबूतों का अभाव है.’
मानवाधिकार के पैरोकारों ने भी सैन्य नेताओं से अनुरोध किया है कि वे इस कानून की योजना को रद्द कर दें और एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद इंटरनेट पर लगी पाबंदियों को खत्म करें.
कंजरवेटिव पार्टी के वरिष्ठ सांसद रेस-मॉग ने कहा, ‘चूंकि भारत हमारा मित्र देश है, ऐसे में सिर्फ यही सही होगा कि हम तभी अपनी आपत्ति प्रकट करें, जब यह लगे कि जो कुछ भी चीजें हो रही हैं वह हमारे मित्र देश की प्रतिष्ठा के हित में नहीं हैं.’
अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने कहा, ‘सेना से जुड़े मौजूदा एवं पूर्व अधिकारियों पर यह प्रतिबंध लगाया गया है जिन्होंने म्यांमार में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को हटाने में अहम भूमिका निभायी.
कैपिटल हिल्स के दंगे के दौरान सामने आए वीडियो में एक दंगाई ने कहा, ‘हमें यहां बुलाया गया’, दूसरे ने कहा, ‘ट्रंप ने हमें भेजा’. एक अन्य ने कहा, ‘वह खुश होंगे. हम ट्रंप के लिए लड़ रहे हैं.’
डेमोक्रेटिक सांसद जैमी रस्किन की अगुवाई में प्रतिनिधि सभा के डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों ने ट्रंप पर छह जनवरी को अमेरिकी कैपिटल (संसद भवन) में हुआ दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया.