मजार-ए-शरीफ महज चार दिन पहले तक एकदम जीता-जागता शहर था, दुकानें खुली थीं और लोगों को चौक-चौराहों पर सड़क के किनारों पर चाय की चुस्कियां लेते देखा जा सकता था लेकिन इस सवाल ने उन्हें थोड़ी हैरानी में डाल रखा था कि जब शहर ‘सुरक्षित’ है तो मीडिया यहां क्यों चक्कर काट रहा है.
काबुल के अलावा जलालाबाद ही ऐसा इकलौता प्रमुख शहर था जो तालिबान के कब्जे से बचा हुआ था. अब अफगानिस्तान की केंद्रीय सरकार के अधिकार में काबुल के अलावा सात अन्य प्रांतीय राजधानी बची हैं.
ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के नेताओं के व्यक्तिगत रूप से महासभा सत्र में भाग लेने की उम्मीद के साथ, यह संभावना है कि सितंबर में यूएनजीए के आसपास ही क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन हो सकता है.
इंडोनेशिया, मलेशिया, तुर्की, श्रीलंका इस्लाम या बौद्ध धर्म की प्रमुखता के बावजूद संवैधानिक, लोकतांत्रिक और स्थिर व्यवस्था में कैसे बने रहे लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार ऐसा क्यों नहीं कर पाए?