अमेरिका ने अफगानिस्तान के नांगरहार प्रांत में आतंकियों के ठिकानों पर ड्रोन से हमला किया है. समाचार एजेंसी के मुताबिक इस हमले में एक साजिशकर्ता ढेर हो गया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने यहां मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि काबुल स्थित चीनी दूतावास ने बताया है कि आत्मघाती हमलों में कोई चीनी हताहत नहीं हुआ.
दिल्ली यूनिवर्सिटी में अध्ययन करने वाली खालिदा सालेह ने दिप्रिंट को दिए खास इंटरव्यू में कहा कि प्रतिरोध आंदोलन नहीं रुकेगा क्योंकि अफगानों को तालिबान की वापसी स्वीकार करने को मजबूर किया गया है.
दो आत्मघाती हमलावरों और बंदूकधारियों ने काबुल के हवाईअड्डे पर अफगानों की भीड़ पर बृहस्पतिवार को हमला किया, जिसमें कम से कम 60 अफगान और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए.
आतंकवादी संगठन ने कहा कि यह वही हमलावर है, जिसने हमले को अंजाम दिया. तस्वीर में कथित हमलावर को काले आईएस झंडे के सामने विस्फोटक बेल्ट के साथ खड़ा देखा जा सकता है.
वहीं अफगानिस्तान से अमेरिकी लोगों की वापसी का काम देख रहे जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने कहा कि माना जा रहा है कि यह हमला इस्लामिक स्टेट समूह से अफगानिस्तान में संबद्ध लोगों ने अंजाम दिया है.
जब पुलिस को दोषी ठहराए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने देने का सिद्धांत मध्यम वर्ग के लोगों की हत्या तक विस्तृत हो जाता है, तो जनता की प्रतिक्रिया अचानक बहुत अलग हो जाती है.