एक पहलवान ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘उनके (मेस में) पास उचित बर्तन और चम्मच भी नहीं हैं. एक कोच अपना स्टील का ग्लास ला रहा था क्योंकि यहां ज्यादा ग्लास नहीं हैं. कभी कभार कोच प्लेट से दूध पीते हैं.’
कश्मीर में जो सामान्य स्थिति बहाल हुई है उसे, मुनीर के मुताबिक, उलटना जरूरी था. पहलगाम कांड की तैयारी उनके भाषण और इस हमले के बीच के एक सप्ताह में तो नहीं ही की गई, इसमें कई महीने नहीं तो कई सप्ताह जरूर लगे होंगे.