जनरल कमर बाजवा राजनीति में फौज के सीधे दखल के खिलाफ प्रतीत होते हैं लेकिन, खादिम रिजवी और उनके साथी दबे-छिपे कह रहे हैं कि हो सकता है जनरल सही तबके के न हों।
यह कहानी है कि कैसे नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी, जसवंत सिंह और अविश्वसनीय रूप से मुलायम सिंह की बुद्धिमत्ता के बिना भारतीय वायु सेना का सुखोई-30 हासिल करने का सपना उड़ान भरने से पहले ही ध्वस्त हो गया होता।
वर्तमान बांग्लादेश को हेमलेट की तरह ही उस सवाल का सामना करना होगा जो उसे परेशान करता था. 1971 में 75 मिलियन सपनों से जन्मा बांग्लादेश बनना है या नहीं? या उसका व्यंग्य?