बता दें कि पंजाब चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टियां दलित समुदाय के मतदाताओं को लुभाने में लगे हैं जिसके चलते रविदास जंयती पर कई पार्टियों के नेता आश्रम पहुंच रहे हैं.
लोकपाल और लोकायुक्त ऐक्ट साल 2013 में पास किया गया था. लेकिन समय के साथ तमाम राज्यों ने ऑम्बुड्समैन को शक्तियों को कम किया और अब इसके ऊपर 'दंतहीन' होने का टैग लग गया है.
आरएसएस के सरसंघचालक अगर ‘मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने’ के बढ़ते दावों पर रोक लगाने की अपील कर रहे हैं तो इसके पीछे यह एहसास है कि यह मसला कहीं भाजपा सरकार के काबू से बाहर न हो जाए .