2022-23 के पहले दो महीनों में परिवहन संबंधी देरी के कारण कई बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी हो गई थी. इसे देखते हुए भारतीय रेलवे को कई यात्री ट्रेनों को रद्द करके मालगाड़ियों के लिए रास्ता बनाना पड़ा था.
एर्दोआन की सोच अब तुर्की की सीमाओं से बाहर भी साफ़ तौर पर दिखने लगी है. सीरिया की नई सरकार ने शरिया को अपने क़ानूनों की बुनियाद बना लिया है, ठीक वैसे ही जैसे एर्दोआन अपने देश में चाहते हैं.