रेत और शराब माफियाओं ने बिहार की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है, आपराधिक राजनीति को बढ़ावा दिया है, ग्रामीण इलाकों में भ्रष्टाचार को जन्म दिया है और इसके युवाओं को कम से कम एक दशक के लिए बेरोजगार बना दिया है.
शगुफ्ता इकबाल, सलोनी पवार और पायल धारे जैसी महिला गेमर्स स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर मजबूत उपस्थिति बना रही हैं. लेकिन महिलाएं अभी भी प्रतिस्पर्धी गेमिंग से दूर हैं.
कानूनी प्रावधानों में ब्लाइंड एस्पिरेंट्स के लिए 1% सीटें आरक्षित हैं, सिलेक्शन प्रोसेस में दिव्यांगता के लिए पदानुक्रम का पालन करना पड़ता है — चलने-फिरने में अक्षम लोगों को अक्सर अधिक सिफारिशें मिलती हैं.
अर्धकुंवारी से भवन तक बैटरी से चलने वाली कारों और हेलीकॉप्टर की सवारी जैसी पिछली पहलों के विपरीत, रोपवे प्रोजेक्ट को स्थानीय व्यवसायों के सबसे बड़े हत्यारे के रूप में देखा जा रहा है.
हरियाणा के ग्रामीणों ने नशे के खिलाफ लड़ाई अपने हाथों में ले ली है. राज्य भर में निगरानी समूह ड्रग्स का सेवन करने वालों और बेचने वालों का नाम लेकर उन्हें शर्मिंदा कर रहे हैं, लेकिन इसमें जाति भी अहम भूमिका निभाती है.
घटती हुई जनसंख्या, परंपराओं का कमजोर होना और राष्ट्रीय स्तर पर कम होती उपस्थिति ने बेंगलुरु और आस-पास के कोडागु क्षेत्र में कोडवा समुदाय में जल्द कदम उठाने की जरूरत महसूस करवाई है.
मंचन में रामायण की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं को दिखाया गया — सीता स्वयंवर और राम के वनवास से लेकर सीता के अपहरण और रावण के वध तक. राजनीतिक नेताओं से भरे दर्शकों ने जय श्री राम के नारे लगाकर उत्साहपूर्वक प्रतिक्रिया दी, जिसमें कुछ उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गईं.
मथुरा-वृंदावन रसूखदारों के लिए वीकेंड हॉटस्पॉट बन गया है. परिक्रमा से लेकर पैराग्लाइडिंग तक, यह सब रील्स के लिए है, लेकिन कुछ निवासी खुश नहीं हैं. 'हमें भक्ति चाहिए, भीड़ नहीं.'