दोनों देशों के बीच हुए करीब 2,000 करोड़ रुपये के करार पर इस महीने की शुरुआत में हस्ताक्षर किए गए थे. आर्मेनिया की आवश्यकता के अनुसार उसे तेजी के साथ इन साजोसामान की आपूर्ति करनी है.
रक्षा प्रतिष्ठान का मानना है कि चूंकि एलएसी सक्रिय सैन्य गतिविधियों वाली सीमा है, इसलिए आईटीबीपी को उसके अधीन लाया जाना चाहिए. लेकिन इससे इतर राय रखने वाला एमएचए ‘एक बॉर्डर, एक फोर्स’ पर जोर दे रहा है.
1954 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब उग्रवाद से निपटने के लिए इस क्षेत्र में एक पूरी ब्रिगेड की तैनाती नहीं की गई. उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौतों के कारण भी यहां हिंसा में कमी आई है.
हैदराबाद स्थित पाणिनियन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 4.5 केएन टर्बोजेट इंजन का ‘संकल्पनात्मक सत्यापन’ पूरा कर लिया है. इस परियोजना पर डीआरडीओ के कई पूर्व वैज्ञानिक और जेट इंजन विशेषज्ञ काम कर रहे हैं.