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Friday, 31 January, 2025
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समाज-संस्कृति

फोटोग्राफर बनने के लिए झाबुआ के आदिवासी बच्चों ने थामा कैमरा  

आदिवासी बच्चों को यूनिसेफ और वसुधा विकास संस्थान ने फोटोग्राफी का प्रशिक्षण दिया है. आने वाले दिनों में उनकी तस्वीरें अगर विभिन्न प्रदर्शनियों में भी नजर आएं तो अचरज नहीं होगा.

अब ‘रावण’ से पेट नहीं पलता साहब, रामलीला कर देती है पुतला बनाने को मजबूर

तितारपुर की गलियों में रावण बनाने की शुरुआत 'रावण वाले बाबा' ने की. 'रावण वाले बाबा' के किस्से पुतला बनाने वालों में काफ़ी लोकप्रिय.

महात्मा गांधी ने भागलपुर में 5-5 रुपए में ऑटोग्राफ देकर बाढ़ पीड़ितों के लिए पैसा जुटाया था

महात्मा गांधी को 'महात्मा' बनाने वाला बिहार का चंपारण ही केवल बापू का कर्मक्षेत्र नहीं था. गांधी बिहार के भागलपुर भी आए थे और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए एकजुट किया था.

मजरूह सुल्तानपुरी, ज़ख्मी दिलों पर गीतों का मरहम लगाने वाला शायर

मजरूह साहब की लेखनी में इंसानी एहसासात, गांव का भरा पूरा परिवेश, लादरीयत (आलस) भरी शाम, बंसी की मधुर धुन है और साथ ही जीवन का राग.

सौ साल पहले महात्मा गांधी ने बिहार में खोला था स्कूल, आज तक नहीं मिली मान्यता

गांधी चंपारण पहुंचने के बाद सबसे पिछड़े गांव भितिहरवा गए थे और वहां उन्होंने सबसे अधिक जोर शिक्षा, स्वच्छता व स्वास्थ्य पर दिया था.

शोले में ‘कितने आदमी थे’ का जवाब देने वाले ‘कालिया’ वीजू खोटे नहीं रहे

विजू खोटे साल 1964 से फिल्मी दुनिया से जुड़े थे. 50 साल से अधिक के अपने करियर में उन्होंने कई मराठी, हिंदी फिल्मों के साथ साथ टेलीविजन धारावाहिकों में और थियेटर में भी काम किया.

श्रद्धाराम फिल्लौरी: जिन्होंने ‘ऊं जय जगदीश हरे’ ही नहीं और भी बहुत कुछ रचा

श्रद्धाराम फिल्लौरी ने कवि कर्म से इतर भी हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है और कई विद्वान उनके उपन्यास ‘भाग्यवती’ को हिंदी का पहला उपन्यास मानते हैं.

गांधी आज ‘महात्मा’ न होते अगर भीड़ द्वारा हमले में उन्हें कुछ हो जाता

जिसे आज 'मॉब लिंचिंग' कहा जाता है, उससे गांधी मुश्किल से बच पाए थे. वरना, गांधी के महात्मा बनने की कहानी वहीं ठहर जाती और उनकी पहचान मोहनदास करमचंद तक ही सीमित हो गई रहती.

देवानंद की ‘प्रेम पुजारी’ जैसी देशभक्ति बॉलीवुड की किसी अन्य फिल्म में देखने को नहीं मिली

प्रेम पुजारी में देवानंद ने रामदेव नामक एक अमन-पसंद सैनिक का किरदार निभाया है, जो कोर्ट मार्शल किए जाने के बाद पलायन करने को विवश हो जाता है.

देश के युवाओं को क्रांति के लिए नेहरू के रास्ते पर चलना चाहिए : भगत सिंह

भगत सिंह के अनुसार सुभाषचंद्र बोस और नेहरू दोनों ही भारत की आजादी के लिए प्रतिबद्ध थे लेकिन दोनों अपने विचारों के स्तर पर काफी अलग हैं. एक भारतीय संस्कृति का वाहक और भावनात्मकता से जुड़ा है तो दूसरा एक क्रांतिकारी है.

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बेंगलुरु, 31 जनवरी (भाषा) कर्नाटक मंत्रिमंडल ने पांच हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से विश्व बैंक से सहायता प्राप्त कर्नाटक जल सुरक्षा...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.