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Friday, 31 January, 2025
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समाज-संस्कृति

कश्मीर : ‘कांगड़ी’ के सहारे चलती है सर्दियों में ज़िन्दगी

हस्तनिर्मित कांगड़ी को बनाना अगर एक कला है, तो कांगड़ी को सेंकना और इसका इस्तेमाल करना भी कम महारत का काम नहीं है.

महाराष्ट्र के इस गांव के बच्चों का ‘अपना बैंक, अपना बाजार’

बच्चों ने एक बैंक व्यवस्था तैयार की. इसे उन्होंने 'आदर्श विद्यार्थी बैंक' नाम दिया. बच्चों ने बातचीत में बताया कि इस बैंक में वे घर से मिलने वाले जेब खर्च का पैसा जमा करते हैं.

वीपी सिंह भारतीय राजनीतिक इतिहास के ट्रेजेडी किंग क्यों हैं

मंडल कमीशन की वजह से सवर्णों का बड़ा हिस्सा वीपी सिंह से हमेशा के लिए नाराज हो गया. लेकिन पहेली ये है कि देश के ओबीसी ने उन्हें गर्मजोशी के साथ अपनाया क्यों नहीं?

अमेरिकी लेखक और प्रोफेसर को भारतीय खाने को ‘बकवास’ कहना महंगा पड़ा

टॉम निकोल्स अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज में पढ़ाते हैं, साथ ही अमेरिकन राजनीति की अच्छी समझ रखते हैं.

‘यादों की बारात’- जिसने हिंदी सिनेमा में मसाला फिल्मों के दौर की शुरुआत की

भरपूर एक्शन और बेहतरीन संगीत वाली इस फिल्म ने जीनत अमान को स्टार बना दिया.

गोवा के बच्चों ने जाना श्रम का महत्व, जीते 60 पार 60 से ज्यादा दादियों के दिल!

यह आयोजन जिस दृष्टिकोण के तहत किया गया था उसे 'मूल्यवर्धन के समग्र शाला दृष्टिकोण' नाम दिया गया है. इस दृष्टिकोण का अर्थ है स्कूल में स्वतंत्रता, समता, न्याय और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबिंबित होना

आधार से किसका उद्धार: डाटा, मीडिया और सत्ता के गठजोड़ से खड़ी की गई योजना

किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन उसके लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है. इंसान अपनी निजता के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील...

हिंदी के लेखक ने कैसे शुरू की सोशल मीडिया पर ‘गमछा क्रांति’

12 नवंबर की रात को हिंदी साहित्य के लेखक नीलोत्पल मृणाल को कनॉट प्लेस के एक रेस्त्रां में घुसने से मना कर दिया गया जिनकी बगावत सोशल मीडिया पर छा गई और आखिर में जीत हुई.

डेटिंग एप्स के ज़माने में सादा-सरल सा प्यार दिखाती है फिल्म ‘छोटी सी बात’

1976 की ये बासु चटर्जी की फिल्म आज भी प्रासंगिक लगती है. ये सिर्फ एक रोमांटिक कॉमेडी नहीं है, बल्कि उस सुनहरे समय की साक्षी है जब प्यार और डेटिंग का मतलब धीरज रखना और जल्द हार न मानना होता था.

महाराष्ट्र के इस स्कूल के बच्चे अपने दोस्तों को चप्पल बनाकर करते हैं गिफ्ट

स्कूल में सभी बच्चों के पैरों में जूते या चप्पलें होने से हर एक के भीतर आत्मविश्वास झलकता है. इसके कारण लगभग सभी बच्चे नियमित स्कूल आ रहे हैं. पर, एक वर्ष पहले ऐसा नहीं था.

मत-विमत

क्या हम सच में चीन का विकल्प बन सकते हैं? मोदी का 2014 का भारत को महान बनाने का वादा बिखर चुका है

एक समय था जब भारतीय लोग तकनीक के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी होने का सपना देखते थे. अब, चीनी इतने आगे हैं कि वे हमें प्रतिस्पर्धी भी नहीं मानते. यह उनके और अमेरिका के बीच की बात है.

वीडियो

राजनीति

देश

‘सर्वजन हिताय व सुखाय’ के बिना देशहित अधूरा: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर मायावती

लखनऊ, 31 जनवरी (भाषा) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शुक्रवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.