भारत के बड़े शहर बदहाल हो रहे हैं, वे विशाल झोंपड़पट्टियों में तब्दील होते जा रहे हैं, और जब उन्हें सुधारने की कोशिश की जाती है तो ‘कोरल’ यानी मूँगे की चट्टानें आड़े आने लगती हैं जैसा कि मुंबई में हुआ.
राहुल गांधी और कांग्रेस अपने आरोपों पर कभी भी स्थिर नहीं रही है. वे अपनी हार की वजह अपने नेतृत्व की क्षमता और संगठन में ढूंढने के बजाय अलग-अलग प्रक्रियाओं में ढूंढते हैं. राहुल गांधी एक नेता की तरह नहीं, बल्कि गांव के मास्टर की तरह नजर आते हैं.