कुछ और ऐसी चीजें भी हैं जो कलाम कतई नहीं थे, वह क्षुद्र मानसिकता वाले, निंदक, स्वार्थी, प्रतिशोधी, सिद्धांतहीन, अहंकारी नहीं थे. यही वजह है कि एक अरब से अधिक लोग दशकों से उन्हें अपने सबसे प्रिय नेता के तौर पर याद करते हैं.
फिलहाल अजेय दिख रही भाजपा क्या यह चाहती है कि देश की करीब 15 फीसदी आबादी को उसकी आस्था के कारण अलग-थलग कर दिया जाए? यह तो भारतीय लोकतंत्र को कमजोर ही करेगा.
किसी को अपने विचारों के लिए जेल में नहीं डाला जाना चाहिए, न उस पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. खासकर उन विचारों के लिए जो केवल सोशल मीडिया पर जाहिर किए गए हों.
मोदी सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी यह रही है कि वह चुनावी बहुमत की सीमाओं को स्वीकार करने से कतराती है, जिस वजह से भूमि कानून, कृषि कानून का कबाड़ा हो गया, श्रम संबंधी नियम लागू न हो पाए
बेनज़ीर की हत्या, भारत पर 26/11 के हमले, एबटाबाद में अमेरिकी सैनिकों के हमले में लादेन की मौत— जनरल मुशर्रफ़ के राज में हुई इन वारदात ने पाकिस्तान को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया लेकिन वे खुद को लोकतांत्रिक मानते रहे.
मोदी सरकार की कश्मीर नीति राज्य का स्टेटस बदलने और इस बात का निर्धारण करने में सफल रही है कि किस पर बात होगी और किस पर नहीं लेकिन इससे आतंकवाद का खात्मा हो जाएगा यह खयाली पुलाव है.
विश्व व्यवस्था बदल रही है और हर देश भारत को खुश करने में जुटा है जिसके कारण अब तक तो भारत के लिए अकल्पनीय आर्थिक, रणनीतिक और सैन्य संभावनाएं उभरती रही हैं, अब भारत के ऊपर है कि वह इनका कैसे लाभ उठाता है.
यह तो निर्विवाद तथ्य है कि मंदिर तोड़े गए और मस्जिदें बनाई गईं, अब उस इतिहास को बदला नहीं जा सकता लेकिन सौहार्द पर विचार करने से पहले हम अतीत की गलतियों से इनकार नहीं कर सकते.
भारत को अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ साफ प्रतिरोध क्षमता हासिल करनी होगी. चीन के मामले में ऐसा उसे हमला करने की बड़ी कीमत चुकाने का डर पैदा करके किया जा सकता है, तो पाकिस्तान को दंड का डर पैदा करके किया जा सकता है.