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Tuesday, 5 November, 2024
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Budget 2023: इस साल राजकोषीय घाटा के टारगेट को पूरा करने के लिए 6.4% तो FY24 में 5.9% का रखा लक्ष्य

व्यय में वृद्धि के बावजूद, सरकार का कर राजस्व मजबूत रहा है, जिससे राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिली है.

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नई दिल्ली: बुधवार को अपने बजट 2023 के भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की दर से बढ़ने वाली है, लेकिन आगामी वित्तीय वर्ष के लिए विकास का अनुमान नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे को 2022-23 में 6.4 प्रतिशत पर नियंत्रित किया जाएगा, जैसा कि शुरू में बजट में रखा गया था, और 2023-24 में और कम होकर 5.9 प्रतिशत हो जाएगा.

उन्होंने राजकोषीय घाटा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया, जिससे 2025-26 तक राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत से नीचे आ जाएगा.

सीतारमण ने कहा, “2021-22 के अपने बजट भाषण में, मैंने घोषणा की थी कि हम राजकोषीय समेकन (Fiscal Consolidation) के मार्ग को जारी रखने की योजना बना रहे हैं, 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत से नीचे तक पहुंचाना है.” हम इस मार्ग पर चलते रहे हैं, और मैं 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने के अपने इरादे को दोहराती हूं.”

2022-23 के लिए वित्त मंत्री का अनुमान ऐसे समय में आया है जब सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 6 जनवरी को जारी किए गए वर्ष के पहले अग्रिम अनुमान में भी वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7 प्रतिशत आंकी गई है.

अग्रिम अनुमानों में भविष्यवाणी की गई थी कि कृषि क्षेत्र 2022-23 में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगा – जो कि पिछले वर्ष के 3 प्रतिशत की तुलना में अधिक है. हालांकि, अनुमान अन्य प्रमुख क्षेत्रों जैसे विनिर्माण और खनन व उत्खनन में तेज मंदी की भी भविष्यवाणी करते हैं. 2021-22 में 9.9 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में विनिर्माण क्षेत्र के काफी सुस्त 1.6 प्रतिशत से बढ़ने की उम्मीद थी.

आगामी वित्तीय वर्ष की वृद्धि 2022-23 में देखी गई वृद्धि की तुलना में धीमी है, कई पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी एवं सप्लाई चेन पर तनाव का एक मुख्य कारण रूस-यूक्रेन युद्ध को माना जा सकता है.

2022-23 के लिए वित्तमंत्री का अनुमान ऐसे समय में आया है जब 6 जनवरी को मिनिस्ट्री ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन द्वारा जारी वर्ष के पहले अग्रिम अनुमान में वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7 प्रतिशत आंकी गई है.

हालांकि, मंगलवार को जारी आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में भविष्यवाणी की गई है कि 2023-24 में विकास दर 6.5 प्रतिशत रहेगी, हालांकि यह जोड़ते हुए कि यह 6-6.8 प्रतिशत के बीच हो सकती है.

अग्रिम अनुमानों के मुताबिक कृषि क्षेत्र 2022-23 में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगा जो पिछले वर्ष से तीन प्रतिशत से अधिक है. हालांकि, अनुमान अन्य प्रमुख क्षेत्रों जैसे विनिर्माण, खनन एवं उत्खनन में तेज मंदी की भी भविष्यवाणी करते हैं. 2021-22 में 9.9 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में विनिर्माण क्षेत्र में इस बार 1.6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है.

इसी तरह, खनन और उत्खनन क्षेत्र में विकास पिछले वर्ष के 11.5 प्रतिशत से 2022-23 में 2.4 प्रतिशत तक धीमा होना तय है.

विशेष रूप से, यह सर्विस सेक्टर थे जिनसे 2022-23 में मजबूत वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद थी. पहले अग्रिम अनुमानों में ‘बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाओं’ के समूह में 9 प्रतिशत की वृद्धि की भविष्यवाणी की गई थी, जो 2021-22 में 7.5 प्रतिशत थी. निर्माण क्षेत्र में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, और ‘व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं में 13.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की उम्मीद है.

राजकोषीय घाटा नियंत्रण में

वित्तमंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटा जो राजस्व और व्यय के बीच का अंतर है – 2022-23 के लिए पिछले बजट वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य 6.4 प्रतिशत को पूरा करेगा, भले ही सरकार का व्यय – भोजन, ईंधन और उर्वरकों की सब्सिडी पर बढ़ चुका है.

संसद ने पिछले दिसंबर में सरकार द्वारा 3.26 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च की मांग को मंजूरी दी थी, जिनमें से अधिकांश भोजन (80,000 करोड़ रुपये) और उर्वरक (1.09 लाख करोड़ रुपये) सब्सिडी के लिए थे, जो कि एलपीजी सिलेंडर की बिक्री पर होने वाले नुकसान के लिए तेल कंपनियों को दिए गए 22,000 करोड़ रुपये से अलग है.

हालांकि, व्यय में वृद्धि के बावजूद, सरकार का कर राजस्व मजबूत रहा है, जिससे राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिली है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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