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Thursday, 10 October, 2024
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Budget 2023: स्वास्थ्य पर जीडीपी का 2% से अधिक धन खर्च करेगी सरकार, रिसर्च पर रहेगा फोकस

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए इस बार कुल आवंटन 89,155 करोड़ रुपये रखा गया है, जो पिछले साल के 86,200 करोड़ रुपये के आवंटन की तुलना में 0.34% अधिक है.

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नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से बुधवार को पेश आम बजट, 2023 में खासकर इस पर जोर दिया गया कि फार्मास्यूटिकल्स उद्योग में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को प्रोत्साहन मिले और निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में मेडिकल रिसर्च में भी तेजी आए. बजट में स्वास्थ्य के लिए कुल वित्तीय आवंटन सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.1 प्रतिशत रखा गया है.

सीतारमण ने आम तौर पर सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित रहने वाले आदिवासी क्षेत्रों में इस बीमारी के उन्मूलन के लिए सात करोड़ लोगों की यूनिवर्सल स्क्रीनिंग के एक कार्यक्रम की घोषणा भी की है. सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा, ‘2047 तक सिकल सेल एनीमिया पूरी तरह  खत्म करने के लक्ष्य के साथ एक मिशन शुरू होगा, जिसके तहत जनजातीय क्षेत्रों में 0-40 आयु वर्ग के करीब 7 करोड़ लोगों की यूनिवर्सल स्क्रीनिंग होगी और साथ ही बीमारी के प्रति जागरूकता पैदा की जाएगी.’ सिकल सेल एनीमिया एक आनुवांशिक बीमारी होती है जिसमें किसी व्यक्ति का हीमोग्लोबिन कम होने के कारण ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता घट जाती है.

सीतारमण ने कहा, ‘फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से एक नया कार्यक्रम शुरू किया जाएगा. हम उद्योग को विशिष्ट प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रिसर्च एंड डेवलपमेंट में निवेश के लिए भी प्रोत्साहित करेंगे. आने वाले समय में आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और उच्चस्तरीय मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च के लिहाज से कुशल मैनपॉवर मुहैया कराने के लिए मौजूदा संस्थानों में चिकित्सा उपकरणों पर केंद्रित विशेष बहु-विषयक पाठ्यक्रमों पर भी जोर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की चुनिंदा लैब निजी और सार्वजनिक मेडिकल कॉलेजों के फैकल्टी सदस्यों और निजी क्षेत्र की अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) टीमों को शोध की सुविधाएं प्रदान करेंगी ताकि ‘सहयोगात्मक अनुसंधान और नवाचार’ को प्रोत्साहित किया जा सके.

बजट में स्वास्थ क्षेत्र में अनुसंधान पर फोकस किए जाने का चिकित्सा उद्योग ने स्वागत किया गया.

वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि 2014 से अब तक स्थापित 157 मेडिकल कॉलेजों से साथ ही प्रमुख स्थलों पर 157 नए नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जाएंगे. उन्होंने यह भी बताया कि भारत में टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से अब तब 102 करोड़ लोगों को 220 करोड़ कोविड टीके लगाए गए हैं.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए कुल वित्तीय आवंटन 89,155 करोड़ रुपये रखा गया है, जो पिछले साल के 86,200 करोड़ रुपये की तुलना में करीब 0.34 प्रतिशत अधिक है. इसमें स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के लिए 2980 करोड़ रुपये का बजट अनुमान शामिल है जो पिछले साल के 3,200 करोड़ रुपये के अनुमान से कम है, लेकिन 2022-23 के संशोधित अनुमान 2775 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक है.

बजट में सिगरेट पर टैक्स 16 फीसदी बढ़ा दिया गया है. सीतारमण ने कहा, ‘निर्दिष्ट सिगरेट पर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (एनसीसीडी) पिछली बार तीन साल पहले संशोधित किया गया था. इसे संशोधित कर लगभग 16 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव है.’


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उद्योग की क्या रही प्रतिक्रिया

बजट में रिसर्च पर फोकस किए जाने के संदर्भ में चारू सहगल, पार्टनर, लाइफसाइंसेज एंड हेल्थकेयर लीडर, डेलॉइट इंडिया ने कहा, ‘’फार्मा क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को प्रोत्साहन के लिए निवेश मुहैया कराने और एक्सीलेंस सेंटर स्थापित करने की घोषणा बहुत अच्छी है. इससे भारत को लाइफ साइंस सेक्टर में वैल्यू चेन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा, ‘चिकित्सा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उत्कृष्ट अनुसंधान और मैन्युफैक्चरिंग के लिए कुशल जनशक्ति उपलब्धतता पर ध्यान केंद्रित करने से भारत को और अधिक आत्मनिर्भर बनने और आयात पर मौजूदा निर्भरता को घटाने में मदद मिलेगी.’

सर गंगा राम अस्पताल के अध्यक्ष (बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट) डॉ. अजय स्वरूप ने बजट को ‘सही मायने में अच्छा’ बताते हुए कहा, ‘इस साल का बजट सच में अच्छा है. हमें इस बात की बहुत खुशी है कि बजट में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए धन का आवंटन बढ़ाया गया है.’

स्वरूप ने आगे कहा, ‘157 नर्सिंग कॉलेजों की शुरुआत नर्सिंग देखभाल के लिए छात्रों की कमी को दूर करने मददगार होगी. साथ ही सिकल सेल एनीमिया के खात्मे की पहल भी एक स्वागत योग्य कदम है. अच्छा होता अगर हमारे जैसे धर्मार्थ अस्पतालों के लिए भी कुछ प्रोत्साहन दिया जाता जो पिछले पांच दशकों से वास्तव में धर्मार्थ कार्यों में लगे हैं. इसके अलावा दूरवर्ती इलाकों में टेलीमेडिसिन और अनुसंधान के लिए धन और प्रोत्साहन पर भी कुछ ध्यान दिया जाना चाहिए था.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवादः रावी द्विवेदी | संपादनः पूजा मेहरोत्रा)


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