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Thursday, 19 December, 2024
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Budget 2023: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को इंफ्रा, इक्विपमेंट, ट्रेनिंग और कम्युनिकेशन के लिए फंड चाहिए

अधिकारियों का कहना है कि बजट आवंटन में वार्षिक 'मामूली वृद्धि' वेतन और भत्तों में चली जाती है. इसके बाद विकास और आधुनिकीकरण के लिए बहुत कम पैसा बचता है.

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नई दिल्ली: सीएपीएफ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि बुधवार को घोषित होने वाले केंद्रीय बजट में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की अपेक्षा है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन, आपदा प्रबंधन, प्रशिक्षण और संचालन के लिए नवीनतम तकनीक के साथ बेहतर उपकरण और एक मजबूत संचार प्रणाली के लिए फंड दिए जाएंगे.

सीएपीएफ के कई स्रोतों के अनुसार, प्रत्येक वर्ष उनको जो फंड आवंटित किया जाता है उसमें मामूली वृद्धि देखी जाती है, जिनमें से अधिकांश वेतन, भत्ते और अन्य खर्चों में चला जाता है, इसके बाद संगठन के विकास और आधुनिकीकरण के लिए केवल थोड़ा सा पैसा ही बचा रह जाता है.

हालांकि, बलों के आधुनिकीकरण के लिए एक अलग फंड भी निर्धारित किया गया है. बुनियादी ढांचे के विकास और बेहतर प्रशिक्षण व उपकरणों पर अक्सर फंड की कमी की वजह से ध्यान देना मुश्किल हो जाता है.

सीआरपीएफ के एक सूत्र ने बताया, “बुनियादी ढांचे, तकनीकी उन्नति और सुरक्षा से संबंधित उपकरणों के लिए पैसा – जिसमें ड्रोन, शुरुआती वॉर्निग सिस्टम, प्रतिक्रिया का समय बढ़ाने के लिए उपकरण, बेहतर प्रशिक्षण, खुफिया जानकारी एकत्र करने और ऑपरेशन के लिए शामिल हैं – जिस पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है,” सूत्र ने आगे कहा, “वेतन, भत्तों के बाद, कुछ खरीदने के लिए ज्यादातर पैसे की कमी हो जाती है.”

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक सूत्र ने यह भी कहा, “बुनियादी ढांचे के विकास के लिए फंड पर्याप्त नहीं हैं और पूंजीगत व्यय के लिए धन बढ़ाया जाना चाहिए”.

सीआरपीएफ और बीएसएफ सहित असम राइफल्स, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) सीएपीएफ का हिस्सा हैं.

पिछले साल 2022 के बजट में, गृह मंत्रालय – जिसके अंतर्गत सीएपीएफ काम करता है – को 1,85,776.55 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जो कि उसके पिछले वित्त वर्ष में आवंटित 1,66,547 करोड़ रुपये से 11 प्रतिशत अधिक था.

सीएपीएफ या अर्धसैनिक बलों के मामले में, हालांकि, आवंटित बजट 87,444.06 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 वित्तीय वर्ष में आवंटित 81,396 करोड़ रुपये से सात प्रतिशत अधिक है.

पिछले साल, सीएपीएफ के आधुनिकीकरण के लिए धन आवंटित किया गया था, ताकि विभिन्न क्षेत्रों में उनकी तैनाती के पैटर्न को ध्यान में रखते हुए बलों को उनकी ऑपरेशनल आवश्यकता के अनुसार आधुनिक, अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस किया जा सके. इसके अलावा, अपग्रेडेड आईटी सोल्यूशन भी सीएपीएफ को प्रदान किए जाने थे. योजना ने 1 फरवरी 2022 और 31 मार्च 2026 के बीच कुल 1,523 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय की घोषणा की

पिछले साल के बजट दस्तावेजों के अनुसार, जो बल सीएपीएफ का हिस्सा हैं, उनमें सबसे अधिक आवंटन सीआरपीएफ के लिए – 29,324.92 करोड़ रुपये किया गया था, उसके बाद बीएसएफ के लिए 22,718.45 करोड़ रुपये, फिर सीआईएसएफ के लिए 12,201.90 करोड़ रुपये और उसके बाद एसएसबी के लिए 7,653.73 करोड़ रुपये दिए गए थे. इसके अलावा आईटीबीपी के लिए 7,461.28 करोड़ रुपये, असम राइफल्स के लिए 6,658.41 करोड़ रुपये और एनएसजी के लिए 1,293.37 करोड़ रुपये दिए गए थे. इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) का बजट भी पिछले साल करीब 10 फीसदी बढ़ाकर 3,168.36 करोड़ रुपये कर दिया गया था.

एनडीआरएफ और दिल्ली पुलिस, जो दोनों गृह मंत्रालय से भी जुड़ी हैं, को भी बजट से ऐसी ही उम्मीदें हैं.


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बेहतर आवास, आपदा राहत के लिए तकनीक

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के एक सूत्र ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के साथ प्राकृतिक आपदाओं के प्रकरणों में वृद्धि हुई है, जिसके लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी राहत कार्यों की आवश्यकता है और अगले बजट में उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

सूत्रों ने कहा, “यह एक छोटा सा संगठन है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं में वृद्धि के साथ, कर्मियों की ड्यूटीज़ भी लगातार बढ़ रही है. यह अच्छा होगा यदि बल के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए और कठिन स्थानों पर ऑपरेशन को ध्यान में रखते हुए नवीनतम तकनीक वाले उपकरणों के लिए धन उपलब्ध कराया जाए.”

दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने बुलेटप्रूफ कारों और एक बेहतर संचार प्रणाली सहित विभाग के लिए अधिक वाहनों की खरीद के लिए धन की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे बल की दक्षता में वृद्धि होगी.

सूत्र ने दावा किया, “नए वाहनों की खरीद के लिए हमेशा धन की कमी होती है जिसमें बुलेटप्रूफ कार, बसें, दंगा नियंत्रण वाहन और पीसीआर वैन भी शामिल हैं जिनके डैशबोर्ड पर कैमरे होते हैं जो निगरानी के उद्देश्यों के लिए आवश्यक हैं. इसके अलावा, नए अपडेटेड वायरलेस सेट वाली एक मजबूत संचार प्रणाली शामिल है. ऐसा लग सकता है कि यह छोटी खरीद है, लेकिन क्लियर होने में काफी समय लगता है सीमित धन के साथ यह बड़ी चुनौती बन जाता है.

दिल्ली पुलिस के मामले में भी, जो कि गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है, 2021 में आवंटित फंड 11,136.22 करोड़ रुपये के से घटाकर 10,096.29 करोड़ रुपये कर दिया गया था.

इस बीच, ITBP के एक सूत्र ने सीमाओं के साथ बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता की ओर इशारा किया जहां सैनिकों को दूर-दराज के स्थानों पर तैनात किया जाता है जो बहुत ठंडे, दुर्गम और अधिक संवेदनशील होते हैं.

सूत्र ने कहा, “यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे सुरक्षित महसूस करें और उन्हें उचित आवास दिया जाए और इसके लिए पैसा निश्चित रूप से निर्धारित किया जाना चाहिए.”

बीएसएफ के एक दूसरे सूत्र ने कहा, “सैनिक सीमाओं पर रहते हैं जहां अनुकूल सुविधाएं मौजूद नहीं हैं, इसे हल किया जाना चाहिए.”

बॉर्डर मैनेजमेंट एलोकेशन 2021-22 में 1,921.39 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2022-23 में 2,517.02 करोड़ रुपये कर दिया गया, जबकि बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर को 2,744 करोड़ रुपये आवंटित किया गया, जो 2021-22 में 2,130 करोड़ रुपये था.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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