बीजेपी में, कम-से-कम शीर्ष स्तर पर पारिवारिक उत्तराधिकार का कोई उदाहरण नहीं मिलेगा. आप देख सकते हैं कि यह वाजपेयी-आडवाणी के दौर में भी हुआ. युवा प्रतिभा की पहचान और उसे मजबूती देने का यह चलन पार्टी अध्यक्ष के चयन के मामले में ज्यादा उल्लेखनीय दिखता है.