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शुक्रवार, 6 जून, 2025

श्रेया शंकर

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मत-विमत

अब वक्त है कि बकरीद के रूप को बदला जाए—भारत के गरीबों को अब मांस नहीं, लैपटॉप और AC चाहिए

अब जब लोग सच में किसी अमीर पड़ोसी से मांस के तोहफे की उम्मीद नहीं करते, तो क्या सिर्फ गरीबों को खाना खिलाने के नाम पर अब भी जानवरों की बलि देना ठीक माना जा सकता है?

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