भारत आज दुनिया में जिस बेहतर हैसियत में है वैसी स्थिति में वह शीतयुद्ध के बाद के दौर में कभी नहीं रहा. हमें तय करना पड़ेगा कि विश्व जनमत को हम महत्वपूर्ण मानते हैं या नहीं. अगर मानते हैं तो हमें उनकी मीडिया, थिंक टैंक, सिविल सोसाइटी के साथ संवाद बनाना चाहिए.
(अश्विनी श्रीवास्तव) नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों सहित सरकारी कर्मचारियों से जुड़े...