भारत अपने पूरब में स्थित आर्थिक शक्तियों से जुड़ना चाहता है तो उसे एक ऐसी ही दुनिया बनने की कल्पना करनी चाहिए जैसी दुनिया 19वीं सदी के कोलकाता की थी. वैश्विक भारत केवल नौकरशाही वाली व्यवस्थाओं से नहीं बनेगा, उसके लिए कल्पना की परियोजना की ज़रूरत होगी.
फुलरई के कुछ निवासियों ने यह भी दावा किया कि सरकार भगदड़ में मरने वालों की संख्या कम बता रही है, जो 300 से भी अधिक हो सकती है, क्योंकि कुछ शवों को गांव वाले सीधे अपने घर ले गए थे. हालांकि, एसडीएम ने इससे इनकार किया है.