नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को बुलायी गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, जबकि विपक्ष ने लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला की हिरासत के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया और मांग की कि उन्हें सदन में भाग लेने की अनुमति दी जाए.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संवाददाताओं को बताया कि बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का सबसे महत्वपूर्ण काम चर्चा और बहस करना है. 27 दलों के सदस्यों ने बैठक में भाग लिया.
Prime Minister Narendra Modi tweets, "Attended the All-Party Meeting earlier today. This time, we mark the 250th session of the Rajya Sabha. In both Houses, we shall have constructive debates on ways to empower citizens and further India’s development." pic.twitter.com/lAE6VvFibR
— ANI (@ANI) November 17, 2019
जोशी के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह सत्र भी पिछले सत्र जितना ही फलदायी होना चाहिए.
उन्होंने मोदी को यह कहते हुए उद्धृत किया, ‘सरकार सदनों के नियमों और प्रक्रियाओं के दायरे में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है.’
प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि संसद में रचनात्मक चर्चा नौकरशाही को भी सतर्क रखती है.
सर्वदलीय बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा कि पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को भी संसद की कार्रवाई में भाग लेने की इजाजत मिलनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि अतीत में कई ऐसे उदाहरण हैं, जब इन्हीं परिस्थितियों में सांसदों को सदन में शामिल होने की इजाजत दी गई.
आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने पहले भी विपक्ष को ये भरोसा दिया है कि वे सदन में जो मुद्दे उठाना चाहें, उठा सकते हैं, लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं होता है.
उन्होंने कहा, ‘किसी सांसद को अवैध रूप से हिरासत में कैसे लिया जा सकता है? उन्हें संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए.’
आजाद ने कहा, ‘वे स्थायी समितियों की जांच के बिना ही विधेयक पारित कराना चाहते हैं.’
इस सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कई वरिष्ठ विपक्षी नेताओं ने भाग लिया. बैठक में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा भी मौजूद थे.
चौधरी ने कहा, ‘बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, प्रदूषण… हम आम आदमी से जुड़े मुद्दे उठाएंगे. पहले ही कई सदस्य फारूक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा उठा चुके हैं. उन्हें सदन की चर्चा में शामिल होने की इजाजत दी जानी चाहिए.’
सूत्रों ने बताया कि अब्दुल्ला को सत्र में भाग लेने की अनुमति देने के बारे में सरकार की ओर से कोई निश्चित प्रतिक्रिया नहीं मिली.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सासंद हसनैन मसूदी ने कहा कि सरकार पर संवैधानिक बाध्यता है कि वह यह सुनिश्चित करे कि अब्दुल्ला संसद सत्र में शामिल हों.
मसूदी ने संवाददाताओं से कहा, ‘कश्मीर की स्थिति बेहद खराब है… हम इस मुद्दे को उठाएंगे.’
उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला कश्मीर के लोगों की आवाज हैं और कश्मीर के लोगों को बिना प्रतिनिधित्व के नहीं छोड़ा जा सकता.
इस मांग का समर्थन करते हुए आजाद ने कहा, ‘एक सांसद को अवैध रूप से हिरासत में कैसे रखा जा सकता है. उन्हें संसद आने की इजाजत मिलनी चाहिए.’
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला सितंबर से जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं.
साथ ही आजाद ने मांग की कि आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में न्यायिक हिरासत में चल रहे चिदंबरम को भी संसद की कार्रवाई में शामिल होने की इजाजत मिलनी चाहिए.
बैठक में उपस्थित नेताओं में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, लोजपा नेता चिराग पासवान और समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव, तेलुगु देशम पार्टी के जयदेव गल्ला और वी विजयसाई रेड्डी भी शामिल थे.
पासवान ने महिला आरक्षण विधेयक का मुद्दा उठाया.
केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई इस बैठक का संचालन संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने किया.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को सभी राजनीतिक दलों से सदन के सुचारू संचालन के लिए सहयोग की अपील की थी.
बैठक के बाद बिरला ने कहा कि सदन में विभिन्न दलों के नेताओं ने अलग अलग मुद्दों का उल्लेख किया, जिनपर वे 18 नवंबर से 13 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान सार्थक चर्चा करना चाहते हैं.