वाराणसी : ‘बनारस में मोदी जी ने एक काम किया है सफाई के नाम पर जनता को गुमराह करके अपने चहेतों को मालामाल कर दिया और कुछ नहीं किया, जो उनकी पार्टी को फंड देते हैं. वही उनकी पार्टी के कर्ता-धर्ता लोग हैं, उन्हीं लोगों को ठेकेदार बनाया जा रहा है.’
ये कहना है हाल ही में प्रतिष्ठित ‘ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड’ से सम्मानित हुए पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोमचंद वाल्मीकि का.
सोमचंद वाल्मीकि का कहना है, ‘मोदी के राज में ठेकेदार मालामाल, सफाईकर्मी बेहाल, न इनके वेतन की सुविधा, न इनको आधुनिक उपकरण की, न इनके रहने की सुविधा, न इनके खाने की, न वर्किंग टाइम की सुविधा कि इन्हें कब से कब तक नौकरी करनी है. जब भी किसी नेता या पीएम-सीएम को जिले में आना होता है, तो सफ़ाईकर्मियों से दिन-रात सफाई कराई जाती है.’
वाल्मीकि ने दिप्रिंट को बताया, ‘आजादी के 70 साल तक अलग-अलग लोगों के लिए बनारस में काम हुआ लेकिन वाल्मीकि समाज और सफाईकर्मियों के लिए कुछ नहीं हुआ.’ पीएम मोदी के ऊपर तंज़ कसते हुए सोमचंद कहते हैं, ‘सफाईकर्मी का पैर धोने से क्या फायदा?’
गौरतलब हो कि बीते सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी को स्वच्छ भारत अभियान के सफल संचालन के लिए बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन का ‘ग्लोबल गोलकीपर्स अवार्ड’ मिला है. फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष बिल गेट्स ने पीएम मोदी को न्यूयॉर्क में इस सम्मान से नवाज़ा है. इससे पहले पीएम मोदी ने फरवरी में प्रयागराज में आयोजित कुंभ के मेले में पांच सफाईकर्मियों के पैर धोए और उन्हें अंग वस्त्र भी पहनाया था.
देश की सांस्कृतिक और धार्मिक नगरी होने की वजह से करीब एक लाख पर्यटक यहां प्रतिदिन आते हैं. शहर में सफाई के लिए लगभग 3500 सफाईकर्मी हैं.
सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोमचंद बताते हैं, ‘वाराणसी में 1050 परमानेंट कर्मचारी, 1100 संविदा और 729 आउटसोर्सिंग (ठेकेदारी से) कर्मचारी हैं. उन्होंने यह भी बताया कि, ‘2012 से अब तक एक भी परमानेंट सफाईकर्मी की नियुक्ति नहीं हुई है, जबकि अब तक कुल 1800 सफाईकर्मी रिटायर हो चुके हैं.’ इतना ही नहीं, सोमचंद ने ये भी बताया, ‘एक सफाईकर्मी को 100 वर्ग मीटर की सफाई करनी होती है, लेकिन इस समय एक सफाईकर्मी को 1000 वर्ग मीटर में काम करना पड़ रहा है.’
यह भी पढ़ें : पैरों की धुलाई नहीं चाहिए, सीवर में मरने वालों को मिले शहीद का दर्जा
वाराणसी में संविदा सफाई कर्मचारी सुनीता बताती हैं, ‘अक्सर ज्यादा काम कराया जाता है, कभी-कभी तो 13 से 14 घंटे काम कराया जाता है. लेकिन पैसे उतने ही मिलते हैं. ओवरटाइम काम करने का कोई मेहनताना नहीं मिलता है.’ सुनीता बताती हैं, ‘यहां हर रोज नेता-मंत्री आते रहते हैं और जब वे आते हैं तो लगातार सफाई कराई जाती है.’
एक अन्य सफाईकर्मी अनिल बताते हैं, ‘हमें रोटी चाहिए. हमारा पेट भर जाय ये हमारे लिए काफी है. पीएम हमारा पैर धो रहे हैं, इससे क्या हो जाएगा. कुछ नहीं! लेकिन कोई हमें रोटी देने के बारे में कुछ भी नहीं सोच रहा है.’
वाराणसी में पिछले 20 साल से सफाई का काम कर रहे मनोज बताते हैं कि, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ दिन पहले वाराणसी आए थे, हम लोगों (सफाईकर्मियों) को सम्मानित करने के लिए. ठीक है! सम्मानित कर दिया. उसके बाद पता है उन्होंने हमारे साथ क्या किया?…. उन्होंने हमें कूड़ा वाली गाड़ी में बैठाकर घर भेजा. इसे सम्मान देना कहते हैं? वो हमें सम्मानित न करते तो न सही, लेकिन उन्हें इस तरह से हमारा अपमान नहीं करना चाहिए था.’
मालूम हो कि दो साल पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी के कुछ सफाईकर्मियों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया था.
यह भी पढ़ें : नरेंद्र मोदी ने किस मजबूरी में दलितों के पैर धोए?
शहर के सफाई के बारे में नगर आयुक्त आशुतोष कुमार द्विवेदी ने काफी गोलमोल सा जवाब दिया. सफाई के बारे में उनका कहना है कि लगातार सफाई हो रही है. वहीं, कम सफाईकर्मी के सवाल पर उन्होंने कहा कि सफाईकर्मी तो हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं हैं. सफाईकर्मियों की नियुक्तियों के बारे में नगर आयुक्त ने बताया कि, ‘अब नगर निगम के तरफ से सफाईकर्मियों की नियुक्ति नहीं होती है. ये अब आउटसोर्सिंग द्वारा होती है.’
फिलहाल पीएम का संसदीय क्षेत्र होने के नाते वाराणसी की साफ-सफाई का ज्यादा ध्यान दिया जाता है, लेकिन लगातार सफाई को लेकर हो रही बात के बावजूद स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आया है. आज भी शहर के सिगरा, लहुराबीर, सुंदरपुर, समेत कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कूड़े का अंबार लगा दिखता है लेकिन सीएम या पीएम के आगमन से पहले यहां चकाचक सफाई होती है.