नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया। जून तिमाही में उच्च वृद्धि और वैश्विक वृद्धि और व्यापार पर अमेरिकी शुल्क वृद्धि के कम प्रभाव को देखते हुए यह अनुमान बढ़ाया गया है।
इंडिया रेटिंग्स के बयान के अनुसार, उसे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी सालाना आधार पर सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। यह उसके पिछले अनुमान 6.3 प्रतिशत (जुलाई, 2025 में जारी) से 0.7 प्रतिशत अधिक है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले वित्त वर्ष के 6.5 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है।
भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत रही जो पांच तिमाहियों में सबसे तेज वृद्धि है।
दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के जीडीपी वृद्धि का आधिकारिक आंकड़ा 28 नवंबर को जारी किया जाएगा।
इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि जुलाई, 2025 में उसके अंतिम अनुमान के बाद से घरेलू और वैश्विक दोनों परिदृश्यों में काफी बदलाव आया है।
अमेरिका के सभी देशों पर एकतरफा शुल्क वृद्धि के कारण अनिश्चित वैश्विक परिदृश्य प्रमुख बाधाएं हैं। भारत पर अगस्त, 2025 से जो शुल्क लगाया गया है, वह सबसे अधिक में से एक है।
रेटिंग एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री और सार्वजनिक वित्त मामलों के प्रमुख देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि जुलाई के अनुमान के बाद से आर्थिक परिस्थितियां काफी अनुकूल हुई हैं। इनमें उम्मीद से अधिक तेजी से मुद्रास्फीति में गिरावट, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में वास्तविक मजदूरी दर में वृद्धि और जीएसटी को युक्तिसंगत बनाना शामिल हैं।
आर्थिक वृद्धि अनुमान में तीव्र वृद्धि के दो प्रमुख कारण हैं। जून तिमाही में अपेक्षा से अधिक तीव्र जीडीपी वृद्धि और वैश्विक वृद्धि और व्यापार पर अमेरिकी शुल्क वृद्धि का प्रभाव पहले के अनुमान से कम होना है।
इंडिया रेटिंग्स ने जुलाई में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था और इसके लिए शुल्क युद्ध और किसी भी पूंजी निकासी के प्रमुख जोखिम को जिम्मेदार ठहराया था।
रेटिंग एजेंसी का मानना है कि वित्त वर्ष 2025-26 की वृद्धि दर के लिए जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
एजेंसी ने कहा, ‘‘भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में तेजी और सर्दियों के महीनों में अनुकूल मौसम की स्थिति जीडीपी वृद्धि को सात प्रतिशत से ऊपर ले जाने की क्षमता रखती है। हालांकि, अगर मांग में सुधार (उपभोग और निवेश) अपेक्षा से कमजोर रहा, तो इससे जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट आ सकती है।’’
इंडिया रेटिंग्स को उम्मीद है कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाये जाने और कम मुद्रास्फीति के कारण वित्त वर्ष 2025-26 में निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में सालाना आधार पर 7.4 प्रतिशत की वृद्धि होगी जो बीते वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत थी।
भाषा रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
