नई दिल्ली: भारत कनाडा में कोई भी गैरकानूनी काम करने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई करेगा—अगर सबूत दिए जाएं. हाई कमिश्नर दिनेश पटनायक ने रविवार को कहा कि अब तक ओटावा ने कोई भी ऐसा प्रमाण नहीं दिया है जो निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारियों की भूमिका दिखाता हो.
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले पांच महीनों से भारत और कनाडा की सरकारों के बीच लगातार हो रही उच्च-स्तरीय बैठकों के बीच, भारत का स्वागत है कि कनाडा ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग को ‘आतंकी इकाई’ घोषित किया है.
सीबीसी न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में पटनायक ने कहा, “मैं आपको बहुत साफ बता रहा हूं. हमने पहले भी कनाडा में कुछ गतिविधियों के बारे में आरोप लगाए हैं. कनाडाई हमेशा कहते हैं कि सबूत ‘बियॉन्ड ए रीज़नेबल डाउट’ होना चाहिए और जब तक साबित न हो, लोग निर्दोष होते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “और जब भी हम उन्हें सबूत देते हैं कि गैंग एक्टिव हैं, लोग भारत-विरोधी गतिविधियां कर रहे हैं, तो हमें कहा जाता है कि यह सबूत काफी नहीं है. हम उनकी बात मान लेते हैं…जब आप (कनाडा) हम पर आरोप लगाते हैं और हम कहते हैं कि हमने नहीं किया, कोई सबूत नहीं है, तो आपको भी हमारी बात उसी तरह स्वीकार करनी चाहिए जैसे हम आपकी करते हैं.”
यह इंटरव्यू उस दिन हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीका में जी20 सम्मेलन के दौरान कनाडाई पीएम मार्क जे. कार्नी से मुलाकात की. दोनों देशों ने CEPA (कम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट) पर बातचीत फिर शुरू करने का फैसला किया, जिसे पिछले पीएम जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने रोक दिया था.
सितंबर 2023 में ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि निज्जर (जिसे भारत ने आतंकी घोषित किया है) की हत्या में भारतीय अधिकारियों का हाथ है. इसी के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया. अक्टूबर 2024 में भारत ने अपना हाई कमिश्नर और पांच अन्य राजनयिक कनाडा से वापस बुला लिए. भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को भी निष्कासित किया, जिनमें एक्टिंग हाई कमिश्नर स्टुअर्ट व्हीलर भी थे.
लेकिन पटनायक ने सीबीसी न्यूज़ से साफ कहा कि अगर सबूत दिए जाएं तो भारत कार्रवाई करेगा—जैसे अमेरिका में पन्नू की हत्या की साजिश वाले मामले में भारत सहयोग कर रहा है.
उन्होंने कहा, “अगर कोर्ट में सबूत दिए जाते हैं…तो हम खुद कार्रवाई करेंगे, जैसे अमेरिका में कर रहे हैं, लेकिन इस समय, आपके पास वह सबूत नहीं है.”
भारत के कनाडा में दूत ने कहा, “हमारे पास सबूत नहीं हैं, लेकिन आप जानते हैं कि अमेरिका में एक केस है जहां कनेक्शन है और हम अमेरिका के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं…हम नहीं चाहते कि कोई भी व्यक्ति विदेश में ऐसी हरकत करे जिससे भारत की छवि खराब हो.”
पिछले कुछ महीनों में भारत-कनाडा रिश्तों में फिर से तेज़ी आई है. कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद पिछले महीने भारत आई थीं और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस महीने कनाडा गए. दोनों पीएम दो बार मिल चुके हैं — जून में और अब रविवार को.
सुरक्षा सहयोग भी फिर से शुरू हो गया है. कनाडा की नेशनल सिक्योरिटी और इंटेलिजेंस एडवाइज़र नथाली जी. ड्रोइन सितंबर में एनएसए अजीत डोभाल से मिलने दिल्ली आई थीं. कनाडा के व्यापार मंत्री मनिंदर सिद्धू भी हाल ही में भारत आए और पीयूष गोयल से मिले.
पटनायक ने कहा, “हम अब न्यूक्लियर मुद्दों, व्यापार, खाद्य व खाद, छात्र, शिक्षा—हर सेक्टर में बातचीत आगे बढ़ा रहे हैं. अच्छी बात यह रही कि (डिप्लोमैटिक) ठंडक के बावजूद रिश्तों की बुनियाद नहीं बदली.”
हालांकि, कुछ मुद्दे अब भी बने हुए हैं—खासकर सिख अलगाववादी जो कनाडा में ‘खालिस्तान रेफरेंडम’ करा रहे हैं.
पटनायक बोले, “देखिए, यह एक फर्जी रेफरेंडम है. शांतिपूर्ण विरोध करना या कुछ मांगना राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा है, हमें इससे दिक्कत नहीं. भारत में भी कुछ राजनीतिक दल खालिस्तान की मांग करते हैं…आप लोग जानते हैं कि असली रेफरेंडम कैसे होते हैं. यह सिर्फ एक दिखावा है.”
उन्होंने कहा, “रेफरेंडम का एक तय तरीका होता है. यह तो कनाडाई नागरिकों द्वारा कनाडा में किया जा रहा है, लेकिन भारत में लोग इसे कनाडा की दखलअंदाजी के रूप में देखते हैं. यही समस्या है.”
भारतीय दूत ने यह भी कहा कि इन रेफरेंडम के दौरान सिख अलगाववादी भारतीय राज्य के खिलाफ हिंसा का महिमामंडन भी करते हैं और यहीं पर ‘फ़्री स्पीच’ और ‘हेट स्पीच’ के बीच की थिन लाइन दिखती है.
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