नैनीताल, 18 नवंबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पत्नी की पहचान से जुड़े एक अनोखे मामले में असली ‘धनुली देवी’ का पता लगाने के लिए कुटुंब अदालत को मामले की सुनवाई फिर से करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति आशीष नैथानी ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कुटुंब अदालत ने महिला की पहचान, वैवाहिक स्थिति या उसके दावे की प्रामाणिकता की पर्याप्त जांच नहीं की।
नैनीताल की कुटुंब अदालत ने धनुली देवी नाम की एक महिला के पक्ष में भरण-पोषण राशि के भुगतान का आदेश दिया था, जिसके बाद खड़क सिंह नामक व्यक्ति ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर कर इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता खड़क सिंह और खुद को उसकी दूसरी पत्नी बताने वाली महिला धनुली देवी अदालत में पेश हुए।
महिला ने दावा किया कि वह उसकी दूसरी पत्नी है। महिला ने अपनी मां का नाम दुर्गा देवी तथा पिता का नाम बिलोभ सिंह बताया। उसने यह भी कहा कि उसका एक विवाहित पुत्र और एक विवाहित पुत्री भी है और उसकी पुत्री का स्वयं खड़क सिंह ने कन्यादान किया था।
महिला ने खुद को अशिक्षित बताते हुए अंतरिम भरण पोषण की मांग की।
हालांकि, खड़क सिंह ने कहा कि उसकी असली पत्नी की पांच अगस्त 2020 को मृत्यु हो चुकी है और अदालत के सामने पेश हुई महिला उनके घर में सहायिका के रूप में काम करती थी। खड़क सिंह ने कहा कि वह पेंशन संबंधी लाभ पाने के लिए झूठ बोलकर उनकी पत्नी बनने का नाटक कर रही है।
न्यायालय ने पाया कि रिकॉर्ड में धनुली देवी नाम की दो अलग-अलग महिलाएं हैं, जिनमें एक की कथित तौर पर 2010 में मृत्यु हो गई तथा दूसरी महिला अदालत में उपस्थित होकर खुद के खड़क सिंह की पत्नी होने का दावा कर रही है।
अदालत में पेश महिला के आधार कार्ड पर भी उसका नाम धनुली देवी तथा उसके पति के नाम के रूप में खड़क सिंह का नाम अंकित है ।
उच्च न्यायालय ने कहा कि मामला जटिल तथ्यात्मक मुद्दों से जुड़ा है, जिसकी गहन जांच की जरूरत है।
न्यायालय ने कहा कि केवल दस्तावेजी तथा अन्य सबूत ही सच्चाई स्थापित कर सकते हैं लेकिन कुटुंब अदालत ऐसी गहन जांच करने में विफल रही।
कुटुंब अदालत के आदेश को रद्द करते हुए उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि वह इस मामले की पुन: सुनवाई करे तथा दोनों पक्षों को पहचान, वैवाहिक स्थिति और अन्य प्रासंगिक तथ्यों के संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए।
भाषा सं दीप्ति जोहेब
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