छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र), 28 अक्टूबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान परिषद सदस्य संजय केनेकर ने मंगलवार को मांग की कि यहां रेलवे स्टेशन के बोर्ड से उर्दू में लिखा गया ‘छत्रपति संभाजीनगर’ नाम हटाया जाए।
तीन साल पहले शहर का नाम बदले जाने के बाद, पिछले हफ्ते सरकार ने औरंगाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर स्टेशन करने की अधिसूचना जारी की थी।
महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य केनेकर ने कहा, ‘‘जब अधिसूचना में भाषा (उर्दू) का उल्लेख नहीं है, तो बोर्ड पर उस भाषा में नाम क्यों लिखा गया है? अधिसूचना में केवल हिंदी, अंग्रेजी और मराठी का उल्लेख है। उर्दू में नाम देखकर मैं हैरान रह गया।’’
केनेकर ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘क्या रेलवे अधिकारी के रिश्तेदार मुगलों के साथ काम करते थे? मैंने उन्हें फोन कर बदलाव करने को कहा। देश ने कई ‘शाही’ हुकूमतें और अंग्रेजों का शासन देखा है, जिन्होंने हमारे इतिहास को मिटाने की कोशिश की। उर्दू में नाम लिखना हम पर निजामी भाषा थोपने का प्रयास है।’’
छत्रपति संभाजीनगर 1948 तक हैदराबाद के निजाम की रियासत का हिस्सा था और इसे उस समय औरंगाबाद कहा जाता था।
उर्दू में नाम लिखे जाने पर भाजपा नेता के विरोध को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद इम्तियाज जलील ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
जलील ने कहा, ‘‘हम यहां पिट लाइन (रखरखाव ट्रैक) के उद्घाटन की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन वे तो बोर्डों का उद्घाटन कर रहे हैं। अगर उन्हें (भाजपा को) दूसरी भाषाएं नहीं आतीं, तो यह उनकी समस्या है। जो लोग उर्दू नाम का विरोध कर रहे हैं, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि दिल्ली रेलवे स्टेशन, जहां उनके शीर्ष नेता बैठते हैं, वहां भी उर्दू और पंजाबी में नाम लिखा है।’’
भाषा
खारी नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
