चेन्नई, चार अगस्त (भाषा) तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय में दलील दी है कि राज्य की योजनाओं के नामकरण से संबंधित आदेश, यदि तुरंत लागू किया जाता है, तो पूरी योजना पर रोक लग सकती है।
सरकार ने यह दलील मद्रास उच्च न्यायालय के एक पूर्व आदेश को संशोधित करने के अनुरोध वाली याचिका में दी है ताकि तमिलनाडु सरकार की ‘उंगालादुन स्टालिन’ और ‘नालम काकुम स्टालिन’ योजनाओं को उनके वर्तमान नामकरण के साथ लागू करने की अनुमति मिल सके।
उच्च न्यायालय के निर्देश में संशोधन की मांग वाली इस याचिका पर सुनवाई 7 अगस्त के लिए स्थगित कर दी गई।
मुख्य न्यायाधीश एम. एम. श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की प्रथम पीठ ने 31 जुलाई, 2025 को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि विभिन्न विज्ञापनों के माध्यम से सरकारी कल्याणकारी योजनाओं को शुरू और संचालित करते समय, किसी भी जीवित व्यक्ति का नाम, किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री/वैचारिक नेता की तस्वीर या द्रमुक का पार्टी चिन्ह/प्रतीक/झंडा शामिल नहीं किया जाएगा।
पीठ ने अन्नाद्रमुक सांसद सी. वी. षणमुगम और अधिवक्ता इनियान द्वारा दायर याचिकाओं पर अंतरिम आदेश पारित किया था। राज्य सरकार ने कुछ स्पष्टीकरण मांगते हुए वर्तमान संशोधन याचिका दायर की है।
जब याचिका सुनवाई के लिए आई, तो वरिष्ठ वकील विजय नारायण ने दलील दी कि इस अदालत के अंतरिम आदेश के खिलाफ, द्रमुक पार्टी के कहने पर, उच्चतम न्यायालय में एक उल्लेख किया गया है और इसे परसों सूचीबद्ध किया जाएगा।
पीठ ने कहा कि एक बार आदेश को चुनौती दे दी गई तो ‘‘हम अब कोई और आदेश पारित नहीं करेंगे’’।
राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय में कोई अपील दायर नहीं की है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अगर अदालत राज्य सरकार द्वारा दायर संशोधन याचिका पर स्पष्टीकरण देती है, तो मामला समाप्त हो जाता है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे दो दिन के लिए स्थगित कर सकते हैं। आपको हमारी दुविधा समझनी चाहिए। हम मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर रहे हैं।’’
वरिष्ठ वकील विजय नारायण ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद, राज्य सरकार ने 2 अगस्त को यह कार्यक्रम आयोजित किया।
अपनी संशोधन याचिका में, लोक सचिव रीता हरीश ठक्कर ने दलील दी कि इस अदालत ने फैसला दिया था कि योजना के नाम में किसी भी जीवित राजनीतिक व्यक्ति का नाम लेना और सरकारी कल्याणकारी योजना के विज्ञापनों में किसी भी जीवित व्यक्ति के नाम का इस्तेमाल करना अस्वीकार्य होगा।
उन्होंने कहा कि यह योजना राज्य के मुख्यमंत्री के नाम पर शुरू की गई है, जो एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं और इसे किसी राजनीतिक व्यक्ति के नाम पर नहीं शुरू किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि ‘नालम काकुम स्टालिन’ योजना के लिए वास्तविक सरकारी आदेश 3 जून, 2025 को जारी किया गया था।
इस योजना में राज्य भर में व्यापक चिकित्सा लाभ और स्वास्थ्य जांच के प्रावधान हैं। यह योजना दो अगस्त को शुरू की गई थी।
उन्होंने कहा कि अगर इस अदालत के आदेश को तुरंत लागू कर दिया गया, तो पूरी योजना को स्थगित करना पड़ेगा क्योंकि अब तक प्रकाशित सभी सामग्री को फिर से तैयार करना होगा, जिसमें कई हफ़्ते लगेंगे और अब तक की गई सारी व्यवस्थाएं बेकार हो जाएंगी।
उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि याचिकाकर्ताओं ने आखिरी समय में अदालत का रुख किया है, इसलिए यह निषेधाज्ञा राज्य के लिए एक बड़ी कठिनाई बन जाएगी और व्यापक जनहित को नुकसान होगा।
भाषा वैभव अविनाश
अविनाश
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