नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2025 में पूछे गए तीन प्रश्नों में “गंभीर त्रुटियां” थीं।
न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील को संबंधित उच्च न्यायालय का रुख करने का निर्देश दिया।
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) देशभर के सरकारी और निजी मेडिकल संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए नीट-यूजी का आयोजन करती है।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी, “ये (तीन) प्रश्न बिल्कुल गलत थे। मैंने दो विशेषज्ञों की राय ली है, जिन्होंने मेरी बात से सहमति जताई है। उन्होंने मेरी बात को प्रमाणित किया है।”
वकील ने दावा किया कि ये तीन प्रश्न याचिकाकर्ता के लिए 13 अंकों का अंतर पैदा कर रहे थे।
पीठ ने कहा कि परीक्षा पहले ही समाप्त हो चुकी है।
उसने कहा, “आप इसे (याचिका को) वापस लें और उच्च न्यायालय जाएं। हम आपके लिए विकल्प खत्म नहीं करना चाहते।”
याचिकाकर्ता के वकील ने आग्रह किया कि शीर्ष अदालत विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त कर सकती है, जो तीन दिनों के भीतर इन तीन प्रश्नों पर अपनी राय दे सकती है।
उन्होंने कहा कि पीठ विशेषज्ञ समिति की राय जानने के बाद कोई फैसला ले सकती है।
पीठ के याचिका पर विचार करने में रुचि न दिखाने के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने इसे वापस ले लिया।
चार जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने एक प्रश्न में कथित त्रुटि के मद्देनजर नीट-यूजी 2025 के परिणामों को चुनौती देने वाली एक अलग याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
भाषा पारुल दिलीप
दिलीप
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