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Wednesday, 13 August, 2025
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घरेलू खेती के विस्तार के साथ भारत बना मलेशिया का सबसे बड़ा पाम बीजों का खरीदार

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(लक्ष्मी देवी ऐरे)

कुआलालंपुर, 21 जुलाई (भाषा) पाम पेड़ के बीजों के आयात के मामले में भारत, मलेशिया का सबसे बड़ा आयातक बनकर उभरा है। भारत द्वारा घरेलू पाम तेल उत्पादन को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के प्रयासों के साथ-साथ पामतेल की मांग का बढ़ना भी इसका एक कारण है।

भारत ने वर्ष 2024 में मलेशिया से 30.3 लाख टन पाम तेल का आयात किया, जो मलेशिया के कुल पाम तेल निर्यात का 17.9 प्रतिशत है। यह इसे मलेशियाई पाम तेल का शीर्ष गंतव्य बनाता है।

मलेशियाई पाम तेल बोर्ड के महानिदेशक अहमद परवीज़ गुलाम कादिर ने घरेलू उत्पादन बढ़ाने के भारत के प्रयासों का हवाला देते हुए पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘मलेशियाई पाम तेल के बीज या छोटे पौधें की मांग में, विशेष रूप से भारत से, उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।’’

भारत का लक्ष्य, वित्त वर्ष 2025-26 तक पाम तेल की खेती का विस्तार तेज़ी से 10 लाख हेक्टेयर तक करना है और अपने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-तेल पाम योजना के तहत 2029-30 तक लगभग 28 लाख टन कच्चे पाम तेल का उत्पादन स्तर हासिल करना है।

देश में फिलहाल वर्ष 2025 के मध्य तक लगभग 3,70,000 हेक्टेयर क्षेत्र में पाम तेल की खेती हो रही है, जिसमें विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों और द्वीपीय क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

कादिर ने बताया कि हालांकि, यह बीज व्यापार काफी हद तक अनौपचारिक बना हुआ है, जिसमें आपूर्ति औपचारिक अनुबंधों या दीर्घकालिक समझौतों के बिना एकमुश्त खेपों के माध्यम से तदर्थ आधार पर की जाती है।

अधिकांश लेन-देन व्यापार-से-व्यापार व्यवस्था के माध्यम से होते हैं जहां मलेशियाई निर्यातक गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री और तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मलेशिया इसका स्वागत करता है क्योंकि यह हमारे बीजों की गुणवत्ता और भारत के साथ हमारी दीर्घकालिक साझेदारी में भरोसे को दर्शाता है।’’

यह स्थिति ऐसे समय बनी है जब भारत द्वारा हाल ही में कच्चे पाम तेल पर शुल्क में कटौती के बाद भारत को मलेशिया के पाम तेल निर्यात में कमी आई है।

कादिर ने कहा कि भारत का शुल्क समायोजन घरेलू आपूर्ति को प्रबंधित करने और उपभोक्ताओं के लिए खाद्य तेल की कीमतों को वहनीय बनाए रखने के व्यापक नीतिगत उपायों का हिस्सा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मलेशिया ने भारत को निर्यात मात्रा में कुछ कमी देखी है, फिर भी हम एक प्रमुख और विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बने हुए हैं, और भारतीय बाजार हमारी प्राथमिकता बना हुआ है।’’

मलेशियाई पाम तेल बोर्ड ने प्रजनन कार्यक्रमों के माध्यम से नई उच्च उपज वाली किस्में विकसित की हैं, जिनसे प्रति हेक्टेयर सालाना 30 टन से अधिक ताजे फलों के गुच्छों का उत्पादन हो सकता है, जो वित्त वर्ष 2020-2023 के बीच दर्ज मलेशिया के राष्ट्रीय औसत 15.47-16.73 टन से लगभग दोगुना है।

उन्नत किस्मों की ऊंचाई वृद्धि भी धीमी होती है, जिससे आर्थिक जीवनकाल 25 वर्ष से बढ़कर 30 वर्ष से अधिक हो जाता है और कटाई कार्य भी आसान हो जाता है।

कादिर ने कहा कि वर्तमान मलेशियाई व्यावसायिक बीज, उचित कृषि पद्धतियों और पर्याप्त सिंचाई के साथ भारत में खेती के लिए उपयुक्त हैं। उन्होंने बताया कि इन सामग्रियों ने पर्याप्त वर्षा वाले कई भारतीय क्षेत्रों के समान उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन किया है।

उन्होंने आगे कहा कि बेहतर सूखा सहनशीलता वाली जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों को विकसित करने के लिए शोध प्रयास चल रहे हैं।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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