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Friday, 22 November, 2024
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कश्मीरी पत्रकार गौहर गिलानी को दिल्ली एयरपोर्ट पर बिना किसी कारण के हिरासत में लिया गया

गिलानी का पासपोर्ट और बोर्डिंग पास कुछ घंटों के बाद लौटा दिया गया. लेकिन वो कहते हैं कि पिछले 13 साल में पहली बार मुझे इस तरह रोका गया है.

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नई दिल्ली : कश्मीरी लेखक और पत्रकार गौहर गिलानी को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया है. पहले भी राज्य के कई लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है. वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, ‘गौहर को हिरासत में लिए जाना बिल्कुल गलत, गैर-कानूनी और असंवैधानिक है.’

कश्मीर रेज एंड रीजन के लेखक गौहर गिलानी ने कहा, ‘वो मीडिया ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए सुबह की फ्लाइट लेकर जर्मनी जा रहे थे. लेकिन, शनिवार को इमिग्रेशन अधिकारियों ने दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे पर 10 मिनट रुकने को कहा.’

गिलानी ने दिप्रिंट को बताया, ‘वो पिछले 13 साल से काफी यात्राएं कर रहे हैं. लेकिन इससे पहले उन्हें इस तरह कभी नहीं रोका गया. वो जर्मनी के डीडब्लयू मीडिया संस्थान में संपादकों की 8 दिन चलने वाली ट्रेनिंग प्रोग्राम में जा रहे थे. तभी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया और एक आदमी को बुलावा भेजा जिसका नाम अभिषेक था.’

गिलानी ने बताया, ‘उन्हें एक कमरे में ले जाया गया जहां उनसे उनका पासपोर्ट ले लिया गया. जिसके बाद वहां एयरपोर्ट के और भी अधिकारी वहां पहुंच गए. जब गिलानी ने उनसे पूछा कि उन्हें क्यों रोका गया है तो अधिकारियों ने बताया कि आप तो जानते हीं हैं कि आज कल दिक्कत है कश्मीर में.’

गिलानी ने अधिकारियों को समझाया कि वो कोई नेता नहीं है बल्कि वो एक लेखक है. उन्होंने बताया कि वो कई दशकों से हवाई यात्रा कर रहे हैं और टीवी प्रोग्राम में भी अक्सर आते हैं. लेकिन अधिकारियों ने कहा कि हम सिर्फ अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन कर रहे हैं.

जब गिलानी ने लिखित आदेश दिखाने को कहा तो अधिकारियों ने कहा कि उनके पास अपनी लड़ाई लड़ने के सभी अधिकार हैं. लेकिन वो उनसे लिखित आदेश साझा नहीं करेंगे.


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गिलानी ने बताया कि 5 घंटे के बाद उन्हें पासपोर्ट लौटाया गया. लेकिन, तब तक रात के 2 बज चुके थे जिसकी वजह से उन्हें कोई होटल नहीं मिला. गिलानी का कहना है कि मेरा ट्रेनिंग प्रोग्राम छूट गया. यह मेरे बोलने और घूमने के अधिकार में ही कटौती नहीं की गयी है बल्कि मेरे रोजगार के अधिकार को भी सीमित किया गया है.

गैर-कानूनी और असंवैधानिक कदम है

वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर कहती हैं कि गिलानी को हिरासत में लेना सरासर असंवैधानिक है. उनके पास यात्रा करने का अधिकार है, बोलने की आज़ादी है.

वो कहती हैं, ‘गिलानी रोजगार के अवसर के लिए जा रहे थे. वृंदा कहती है कि कोई भी कश्मीरी अगर भारत के बाहर यात्रा कर रहा है तो सरकार उस पर निगरानी रख रही है. सरकार को इन लोगों का बाहर जाना पसंद नहीं आ रहा है.’

ग्रोवर कहती हैं कि किसी भी व्यक्ति को हवाई अड्डे पर तभी रोका जा सकता है जब अधिकारियों के पास इसके लिखित आदेश हो. उस व्यक्ति के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा चल रहा हो.

वृंदा दिप्रिंट को बताती है, ‘बिना किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल हुए बिना इस तरह किसी को हिरासत में लेना बिल्कुल गलत है. वृंदा 2015 के एक मामले का जिक्र करती हैं जिसमें वरिष्ठ ग्रीनपीस कैंपेनर प्रिया पिल्लई को हिरासत में लिए जाने के बारे में बताती है. वो कहती हैं कि हाईकोर्ट ने मामले में कहा था कि इस तरह किसी को हिरासत में लेना गलत है.’

4 साल पहले प्रिया को ब्रिटिश सांसदों को संबोधित करने के लिए जा रही थी. उस वक्त उन्हें हिरासत में ले लिया गया था. प्रिया का केस वृंदा ही लड़ रही थी. कोर्ट ने प्रिया के पक्ष में फैसला सुनाया था.

कश्मीर को शांत किया गया

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार गिलानी को इंटेलिजेंस ब्यूरो के कहने पर हिरासत में लिया गया था. एक सूत्र के अनुसार हिरासत में लिए जाने के बाद उनका सामान भी ले लिया गया और अभी वो इमिग्रेशन अधिकारियों के साथ ही हैं.

अनुच्छेद-370 के हटाए जाने के बाद काफी सारे नेताओं और नागरिकों को हिरासत में लिया गया था. इस सूची में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं. लगभग 500 लोगों को हिरासत में लिया गया था.

पिछले महीने आईएएस अधिकारी से नेता बने शाह फैसल को भी आईजीआई हवाई अड्डे पर रोका गया था. एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि श्रीनगर आते ही उनसे पूछताछ की जाएगी. उन्हें सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया है. गिलानी बताते हैं कि वो थोड़े डरे हुए हैं क्योंकि जब पूर्व मुख्यमंत्री समेत 4000 लोगों को हिरासत में रखा गया तो फिर कौन सी जगह सुरक्षित होगी. दिल्ली या कश्मीर.

गिलानी केंद्र सरकार के अनुच्छेद-370 हटाए जाने के कदम को सही नहीं मानते. वो कहते हैं कि मैंने व्यक्तिगत तौर पर एक लड़की से बात की जो दिल्ली से कश्मीर आईं और यहां से 18 किलोमीटर पैदल चलकर अपने डाइबिटिक पिता को जाकर दवाई पहुंचाई.

या तो वो सभी को शांत करना चाहते हैं या कुछ एक आवाज़ों को. लेकिन इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का इससे लेना-देना नहीं था. ये कोई कश्मीर पर होने वाली कॉन्फ्रेंस नहीं थी बल्कि न्यू मीडिया से संबंधित था. गिलानी पिछले 2 दिनों से अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. गिलानी कहते हैं कि उनके परिवार वालों को पता भी नहीं होगा कि उनके साथ क्या हुआ है.

ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ है. मैं हाल ही में स्पेन, लंदन, जर्मनी गया था. लेकिन इस बार जो हुआ वो चौंकाने वाली और अजीब घटना है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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