नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी की शुक्रवार को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के अंत में की गई टिप्पणी कि “बेचारी महिला” द्रौपदी मुर्मू “मुश्किल से बोल पा रही थीं”, कांग्रेस के “अभिजात्यवादी, गरीब विरोधी और आदिवासी विरोधी स्वभाव” को दर्शाती है.
इस प्रकरण के बाद से कहा जा सकता है कि बजट सत्र के हंगामेदार होने के लिए माहौल तैयार हो गया है.
सोनिया ने संसद के बाहर अपने बेटे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की ओर मुड़ते हुए, जब मीडिया ने बजट सत्र पर राष्ट्रपति मुर्मू के अभिभाषण पर प्रतिक्रिया लेने के लिए अपने माइक उनके आगे किए यह टिप्पणी की.
सोनिया को यह कहते हुए सुना गया, “बेचारी महिला…राष्ट्रपति अंत तक बहुत थक गई थीं…वे मुश्किल से बोल पा रही थीं, बेचारी.” संबोधन के बारे में अपने विचार से राहुल ने पहले “बोरिंग” कहा और फिर कहा, “नॉ, कॉमेन्ट्स”. फिर उन्होंने अपनी मां से कहा: “एक ही बात को बार-बार दोहराना.”
भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने सोनिया गांधी से राष्ट्रपति मुर्मू और भारत के आदिवासी समुदायों से “ऐसे शब्दों के जानबूझकर इस्तेमाल” के लिए माफी मांगने की मांग की, जो “कांग्रेस पार्टी की अभिजात्य, गरीब-विरोधी और आदिवासी-विरोधी प्रकृति” को दर्शाता है.
Hon. President Smt. Droupadi Murmu ji's address to the joint session of Parliament was both insightful and forward-looking, providing a comprehensive overview of the government's remarkable development journey over the past decade under the visionary leadership of Hon. PM Shri…
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) January 31, 2025
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी इस विवाद में कूदते हुए कहा कि सोनिया की टिप्पणी “विश्वास से परे चौंकाने वाली” है.
उन्होंने कहा, “कोई यह सोचने लगा है कि क्या कांग्रेस एक कार्यशील लोकतंत्र में एक राजनीतिक पार्टी है, या यह हमारे गणतंत्र की संस्थाओं, जिसमें राज्य के प्रमुख भी शामिल हैं, के प्रति बहुत कम सम्मान रखने वाले हकदार और अभिमानी लोगों का समूह है. क्या उन्हें कोई शर्म नहीं है?”
पुरी ने एक्स पर पोस्ट किया, “देश के सर्वोच्च पद को सुशोभित करने वाली पहली आदिवासी महिला और बेहतरीन मूल्यों को प्रदर्शित करने वाली महिला के लिए ‘उबाऊ’ और ‘बेचारी महिला’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना कांग्रेस पार्टी और उसके प्रथम परिवार के सदस्यों की अभिजात्य हकदार मानसिकता को दर्शाता है.”
Sonia Gandhi Ji’s comment on the President of India, is shocking beyond belief. Referring to her in such a condescending and derogatory way is appalling. One is beginning to wonder if Congress is a political party in a functioning democracy, or is it a set of entitled and… pic.twitter.com/HGNPpvx6RA
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) January 31, 2025
भाजपा के सूचना और प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ के प्रभारी भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि यह टिप्पणी “उनकी सामंती मानसिकता” को दर्शाती है.
गौरव गोगोई ने एक्स पर लिखा कि राष्ट्रपति के स्वास्थ्य के लिए सोनिया की “सहानुभूति” “भाजपा के लोगों को हज़म नहीं हो रही है”.
उनकी पोस्ट में आगे कहा गया: “भारत में हर व्यक्ति राष्ट्रपति के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखता है. क्या भाजपा राष्ट्रपति मुर्मू के प्रति दिखाए गए अनादर के लिए जवाब देगी, जब उन्हें संसद या अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में आमंत्रित नहीं किया गया था? मैं उन्हें इस सवाल का जवाब देने की चुनौती देता हूं.”
बाद में, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अपनी मां का बचाव करते हुए कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि सोनिया का कोई अनादर करने का इरादा नहीं था.
उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में भाग लेने के लिए जाते समय संवाददाताओं से कहा, “मेरी मां 78-वर्षीय महिला हैं, उन्होंने बस इतना कहा कि राष्ट्रपति इतना लंबा भाषण पढ़कर थक गए होंगी, बेचारी. मेरा मानना है कि उनके मन में उनके (राष्ट्रपति) लिए बहुत सम्मान है.”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया ने इस तरह की बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है. वह दोनों सम्मानित लोग हैं, वह हमसे उम्र में बड़ी हैं. यह बिल्कुल स्पष्ट है कि उनका कोई अपमान करने का इरादा नहीं है.”
भाजपा की माफी की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रियंका ने कहा, “भाजपा को पहले देश को खाई में धकेलने के लिए माफी मांगनी चाहिए.”
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस पर राष्ट्रपति मुर्मू का अपमान करने का आरोप लगाया गया है.
2022 में पार्टी के तत्कालीन लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने मुर्मू को “राष्ट्रपत्नी” कहकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था.
बाद में उन्होंने मुर्मू से लिखित माफी मांगी और कहा कि यह “ज़ुबान फिसलने” की वजह से हुआ था.
एक्स पर अपने पोस्ट में मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी, जो अक्सर संविधान की बुकलेट दिखाते हैं, उन्होंने राष्ट्रपति से शिष्टाचार भेंट करने के बारे में भी नहीं सोचा है, जबकि वे लोकसभा में विपक्ष के नेता के पद पर हैं.
मालवीय ने लिखा, “कांग्रेस को बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान, संवैधानिक मूल्यों या सामाजिक रूप से हाशिए पर पड़े लोगों- यानी दलितों, ओबीसी और आदिवासियों के प्रति कोई सम्मान नहीं है. सड़ांध ऊपर से शुरू होती है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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