रांची : झारखंड की राजधानी रांची का पिठोरिया गांव अचानक देश दुनिया की नजरों में आ गया. वजह बना 15 जुलाई को दिया गया रांची सिविल कोर्ट का एक फैसला. पिठौरिया थाना के केस नंबर 58/2019 राज्य बनाम ऋचा भारती मामले में कोर्ट ने कहा कि उसे कुरान की पांच प्रतिया बांटनी होगी. यह जमानत मिलने की एक शर्त थी. ऋचा पर फेसबुक पर सांप्रदायिक पोस्ट करने के आरोप थे.
लेकिन भारती को रांची की सिविल कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. जज मनीष कुमार सिंह की अदालत ने अपनी शर्त को वापस ले लिया है. जिसके तहत जमानत के बदले ऋचा को क़ुरान की पांच प्रतियां बांटने का आदेश था.
जैसे ही यह फैसला 16 जुलाई के अखबारों में छपा, हिन्दू संगठनों ने इसका जोरदार विरोध किया. यहां तक की रांची जिला कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी फैसला देने वाले जज मनीष कुमार सिंह की कोर्ट का बहिष्कार कर दिया. प्रतिरोध मार्च भी निकाला.
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रांची जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर पिठोरिया गांव में बुधवार 17 जुलाई की दोपहर 12 बजे ऋचा के घर न्यूज चैनलों का मजमा लगा हुआ है. उनके पिता प्रकाश पटेल (48) बारी–बारी से सबको समय दे रहे हैं. घर में घुसते ही जो पहला कमरा है, वहां चैनल वाले कैमरा सेट लगा दे रहे हैं. कुर्सी पर वह बैठ जाती हैं. दिल्ली के स्टूडियो से उनके साथ सवाल जवाब शुरू हो जाता है.
मां ने कहा न कुरान बाटेंगे, न लेंगे
इस दौरान बगल के कमरे में उसकी मां मीना देवी (38), बहन रचना भारती (17) और भाई कमल नयन (15) बैठे हैं. पिता प्रकाश पटेल आ रहे हरेक फोन का जवाब दे रहे हैं. मीना देवी से यह पूछने पर कि आपकी बेटी मुस्लिम धर्म के खिलाफ जो लिखती रही है, उससे आप सहमत हैं क्या. उन्होंने कहा, ‘मेरी बेटी ने कुछ गलत नहीं किया है. बेटी के खिलाफ जो लोग कमेंट कर रहे हैं, उसे उठा लेने की धमकी दे रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही.’
घटनाक्रम के बारे में उन्होंने बताया, ‘बीते 12 जुलाई की शाम को अचानक पुलिस मेरे घर आई और बेटी को बोली जीप में बैठो. पुलिस से पूछने पर कहा कि थाना चलो, सब पता चल जाएगा आपकी बेटी ने क्या किया है. थाने में 500 से अधिक लोगों की भीड़ जमा थी.’
‘थाने में ग्रामीण एसपी आशुतोष शेखर भी पहुंचे थे. मैंने उनका पैर पकड़ लिया. कहा यहीं पर दोनों समुदायों में आपसी बातचीत के बात मामले को सुलझा दीजिए, लेकिन वह नहीं माने. रात 8.30 बजे ऋचा को जेल भेज दिया. इस दौरान मेरे पति घर से बाहर थे.’
बीकॉम सेकेंड ईयर की छात्रा रचना भारती कहती हैं, ‘हिन्दू, मुसलमान को मिलकर रहना चाहिए. नमक मिर्च लगाकर इसको पेश किया गया है. इतना बड़ा मामला नहीं था. लेकिन झगड़े की शुरुआत हमने नहीं की, इसकी शुरुआत तो उन लोगों ने की है.’
वहीं 10वीं का छात्र कमल नयन ने बताया इस दौरान उनके घर वीएचपी, बजरंग दल, आरएसएस और बीजेपी के लोग आए थे. वह कहता हैं, ‘अगर पुलिस केवल फेसबुक पर लिखने के आधार पर गिरफ्तार करने लगे तो जेल में जगह नहीं बचेगी.’
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा हम लड़ेंगे केस
पिता प्रकाश पटेल ने बताया कि, ‘शिकायतकर्ता मंसूर खलीफा गांव के शांति समिति में भी हैं. मैं भी उस समिति का सदस्य हूं. मैं अब भी उनकी इज्जत करता हूं. लेकिन मेरा कहना है कि उनको थाने में शिकायत से पहले एक बार मुझसे बात करनी चाहिए थी.’
इस बीच उन्हें बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के दिल्ली ऑफिस से फोन आया. फोन लाइन पर उस तरफ स्वामी खुद थे. उन्होंने कहा कि अगर किसी तरह की कानूनी मदद की जरूरत हो तो वह उनके ऑफिस से संपर्क कर सकते हैं. अब प्रकाश पटेल के चेहर पर खुशी की चमक थी. तुरंत दूसरी बार फोन की घंटी घनघनाई अब स्वामी के ऑफिस से वकील का फोन था, दोनों में कुछ बातें हुईं. एड्रेस का आदान-प्रदान भी हुआ.
एक बार फिर प्रकाश पटेल ने बोलना शुरू किया. शिकायतकर्ता मंसूर खलीफ (72) ने मान लिया है कि ‘उनसे गलती हुई है. ऋचा भी उनकी बेटी के समान है.’ उन्होंने लिखित तौर पर मामला वापस लेने के लिए कोर्ट में आवेदन भी दिया, लेकिन कोर्ट के आदेश से सब सन्न थे.’
पिता ने कहा- दोनों तरफ हैं उन्मादी लोग
इधर भगवा कुर्ताधारी कुछ युवक हाथ में पांच पुस्तक गीता लिए खड़े थे. अनुरोध किया कि एक फोटो खिंचवानी है गीता देते हुए. फोटो सेशन हुआ.
उन्होंने फिर कहा, ‘ये सब जो हुआ वह कुछ उन्मादी लड़कों की वजह से हुआ. मैं ये नहीं कहता कि ऐसे लोग केवल मुसलमानों में ही हैं, हिन्दुओं में भी हैं. मुझे न तो इस्लाम से दुश्मनी है, न कुरान से लेकिन कोर्ट के फैसले से आहत हूं.’
गांव की मुखिया ने कहा ऋचा ने गलत किया है
ऋचा के घर के सामने रह रहीं शीला देवी (76) कहती हैं कि ‘किसी धर्म के खिलाफ कुछ बोलना गलत है.’ उनके घर से सटा तीसरा घर एक मुस्लिम परिवार का है. गेट पर खड़े होकर सब माजरा देख रहे थे. पूछने पर कहा अभी माहौल खराब है, कुछ नहीं बोलेंगे.
वहीं पिठौरिया पंचायत की मुखिया मुन्नी देवी कहती हैं ‘सच पूछिये तो ऋचा से हम बहुत गुस्सा हैं. न वो ऐसा लिखतीं, न इतना बवाल होता. उसके पड़ोसी ही मुसलमान हैं. उनके घर में जाकर ही कुरान बांट देती तो क्या हो जाता. जैसा हम लोगों के लिए गीता है, वैसे ही तो कुरान है.’
उन्मादी भीड़ को शांत करने के लिए की शिकायत
ऋचा भारती के घर से 200 मीटर दूर दर्जी मोहल्ले में शिकायतकर्ता और अंजुमन इस्लामिया पिठौरिया के सदर मंसूर खलीफा के घर भीड़ जमा है. वह भी एक चैनल के साथ लाइव डिबेट में शामिल होने के बाद पानी पी रहे थे. यहां भी माहौल गर्म हो गया था.
उन्होंने कहा, ‘ऋचा मेरे धर्म के मामले में बहुत गलत कमेंट कर रही थी. जुलाई 12 को मेरे पास 500 से अधिक लड़के पहुंचे उनके खिलाफ शिकायत लेकर. इसमें हमारे गांव के अलावा आसपास गांव के युवक भी शामिल थे. कहने लगे अभी फौरन कार्रवाई कीजिए, नहीं तो कुछ भी हो सकता है. मैंने कहा भी कि पहले आपस में मामला सुलझा लेते हैं लेकिन लड़के नहीं माने. फिर दबाव में आकर मैंने एक शिकायत पत्र थाने में जमा करा दिया. अगर मैं ऐसा नहीं करता, तो उस वक्त कुछ भी हो सकता था.’
उनके मुताबिक ‘लड़कों ने उसके पोस्ट दिखाए, बहुत खराब लगा. फिर सोचे नादान बच्ची है, किसी के बहकावे में आकर ऐसा लिख रही है. उन्होंने कहा, ‘प्रशासन ने भी कुछ गलत नहीं किया. अगर वह चालान नहीं करता, गिरफ्तार नहीं करता तो मामला बिगड़ जाता.
उन्होंने कहा, ‘चालान होने के बाद मुझे भी दुःख हुआ. हम आपसे में बैठे भी, तय किया और मामले को वापस लेने का फैसला किया. वह भी कोर्ट में. इस बीच फैसला ऐसा आ गया और मामला कहां से कहां पहुंच गया.’
पास बैठे मो. सरवर कहते हैं कि ‘ऐसा नहीं है कि ऋचा के लिखने से इस्लाम खतरे में आ गया. वह हम लोगों की बेटी की तरह है. अगर हम लोग इसकी शिकायत थाने से नहीं करते, तो लोकल लड़के आपस में लड़ जाते. क्योंकि ऋचा के पोस्ट पर स्थानीय लड़के पहले से ही लड़ते रहे हैं.’
ऋचा के उन्मादी पोस्ट और पलटते जवाब
इधर शाम को महिला आयोग ने ऋचा को बुलावा भेजा था. जब वह आयोग के कार्यालय से बाहर निकलीं तो इस सवाल पर कि आप अजान की तुलना एक खास जानवर के आवाज से कैसे कर सकती हैं. पहले तो वह इंकार करती रहीं कि ऐसा कुछ लिखा है. फिर उन्होंने कहा ‘वो मेरी पोस्ट नहीं थी, मैंने शेयर किया है.’
पलटते हुए उन्होंने कहा, ‘असल सवाल ये है कि जो लोग सनातन धर्म के खिलाफ कुछ बोल रहे हैं, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही. दोबारा पूछने पर कि जो आपने लिखा है, उससे सहमत हैं क्या. झुंझलाते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने क्या शेयर किया है, क्या नहीं, मुझे कुछ याद नहीं.’
फिर उन्होंने कहा, ‘मैं अजान को गलत नहीं कह सकती लेकिन मेरी पोस्ट पर जो गालियां दी जा रही हैं, उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही.’ फिर उन्होंने पूछा, ‘मैंने और क्या गलत लिखा है ये तो बताइए.’ यह कहने पर कि आपने रोहिंग्या मुसलमानों को गाली दी है तो उन्होंने कहा, ‘मैंने भारतीय मुसलमानों को गाली तो नहीं दी न. ये लोग तो हमारा हक मार रहे हैं. एक बार फिर उन्होंने कहा कि मैंने बस शेयर किया है, कुछ लिखा नहीं है.’
कोर्ट ने बदल लिया फैसला
इधर शाम होते-होते कोर्ट ने अपना फैसला बदल लिया जिसमें कहा गया कि इस फैसले में कुरान बांटने की जो बाध्यता थी, कोर्ट उसे वापस लेती है. इधर जिला बार एसोसिएशन के महासचिव कुंदन प्रकाश ने कहा कि ‘कोर्ट को राजनीतिक नहीं होना चाहिए. फैसले में यह दिख रहा था. इसलिए उस खास जज की कोर्ट की सुनवाई से हम लोगों ने खुद को अलग रखा.’ यह भी बताया कि ऋचा भारती के फेसबुक पोस्ट उन्होंने नहीं देखे हैं.
(आनंद दत्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं. )