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Wednesday, 18 December, 2024
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एकनाथ खडसे ने कहा, ‘BJP में लौटना अब विकल्प नहीं, फडणवीस और गिरीश महाजन ने मेरी घर वापसी रोक दी’

पूर्व भाजपा नेता खडसे ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मंत्री गिरीश महाजन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने पार्टी में उनके लौटने के रास्ते में बाधाएं अटकाई हैं, जिसकी घोषणा उन्होंने इस अप्रैल में की थी.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व नेता एकनाथ खडसे, जिन्होंने 2020 में पार्टी छोड़ दी और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में शामिल हो गए, ने दावा किया है कि उनकी पुरानी पार्टी में उनकी वापसी अब “बंद विकल्प” है क्योंकि “महाराष्ट्र भाजपा नेताओं” ने उनका अपमान किया था.

दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रतिद्वंद्वी के रूप में जाने जाने वाले खडसे ने यह भी कहा कि वे अब आगामी राज्य चुनाव में एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के लिए प्रचार करेंगे क्योंकि उन्होंने पार्टी की सदस्यता नहीं छोड़ी है और क्योंकि “वे और अपमान नहीं सह सकते हैं”.

इस साल अप्रैल में लोकसभा चुनाव से पहले, खडसे ने भाजपा में फिर से शामिल होने की योजना की घोषणा की थी और यहां तक ​​कि अपनी बहू रक्षा खडसे के लिए प्रचार भी किया था, जो भाजपा नेता हैं और रावेर लोकसभा क्षेत्र से तीसरी बार फिर से नामांकित हुई थीं और चुनाव जीती थीं. रक्षा को बाद में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.

खडसे की बेटी रोहिणी एनसीपी में हैं और पार्टी की महिला विंग की प्रमुख हैं. माना जाता है कि वे जलगांव में मुक्ताईनगर विधानसभा सीट से टिकट की आकांक्षी हैं, जिसका खडसे ने भाजपा के लिए छह बार प्रतिनिधित्व किया है.

खडसे, जो वर्तमान में महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य हैं, ने पूछा, “मैं कब तक इंतज़ार करूंगा? पांच महीने तक, राज्य के भाजपा नेताओं ने मुझे अपमानित किया. पार्टी के केंद्रीय नेताओं की उत्सुकता के बावजूद मुझे पार्टी में शामिल नहीं किया गया. मैं कितना अपमान सहूंगा?”

इस साल की शुरुआत में केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने एनसीपी-एसपी से खडसे की घर वापसी के लिए उनसे संपर्क किया था. पवार कथित तौर पर खडसे पर रावेर से रक्षा के खिलाफ चुनाव लड़ने का दबाव बना रहे थे, लेकिन खडसे ने अपनी बहू और भाजपा का समर्थन करने का फैसला किया.

जब उनसे पूछा गया कि केंद्रीय नेताओं के आश्वासन के बावजूद भाजपा में उनकी वापसी को किसने रोका, तो खडसे ने कहा, “हर कोई उनके नाम जानता है”.

उन्होंने कहा, “जब मैं दिल्ली में (भाजपा अध्यक्ष जेपी) नड्डाजी से मिला, तो विनोद तावड़े और रक्षाताई मौजूद थे. नड्डाजी ने मुझे पार्टी में शामिल होने के लिए पार्टी का पटका दिया, लेकिन उसके बाद महाराष्ट्र भाजपा के कुछ नेताओं ने मेरी वापसी का विरोध किया और इसलिए कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई. मैंने पांच महीने तक इंतज़ार किया है.”

जब उनसे पूछा गया कि क्या वे फडणवीस और राज्य के मंत्री गिरीश महाजन की ओर इशारा कर रहे हैं, जिन्होंने उनकी वापसी को रोका है, तो खडसे ने कहा: “हां, फडणवीस और महाजन ने मेरी घर वापसी रोक दी. मैं शुरू में इच्छुक नहीं था, लेकिन केंद्रीय भाजपा नेताओं ने मुझे फिर से पार्टी में शामिल होने के लिए राजी कर लिया पर मैं अब और अधर में नहीं रह सकता.”

दो सितंबर को खडसे के 72वें जन्मदिन पर, उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र मुक्ताईनगर में पोस्टरों में शरद पवार और रोहिणी खडसे और अन्य एनसीपी-एसपी नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें थीं, जो पवार के प्रति उनकी निष्ठा का संकेत देती हैं.

हालांकि, भाजपा ने कहा है कि खडसे वैचारिक रूप से पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं और लोकसभा चुनावों की तरह विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का समर्थन करेंगे. खडसे पर अपनी पार्टी के रुख का बचाव करते हुए महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने मीडिया से कहा: “खडसे साहब भाजपा की विचारधारा में यकीन करते हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रक्षाताई के लिए काम किया. वे अपने वादे निभाने के लिए जाने जाते हैं और मुझे यकीन है कि वे आगामी राज्य चुनाव में पार्टी के लिए काम करेंगे.”

इस साल की शुरुआत में केंद्रीय नेतृत्व के साथ खडसे की बैठक के बारे में दिप्रिंट से बात करते हुए भाजपा के एक सूत्र ने कहा, “बातचीत के दौरान, खडसे ने सुझाव दिया कि वे नड्डा या (गृह मंत्री) अमित शाह की मौजूदगी में जो भी तारीख बाद में तय की जाएगी, उस दिन भव्य तरीके से पार्टी में शामिल होंगे.”

केंद्रीय टीम के वरिष्ठ भाजपा नेता ने यह भी कहा कि यह तय किया गया था कि एकनाथ खडसे को पार्टी में शामिल किया जाएगा. नेता ने दिप्रिंट को बताया, “लेकिन देवेंद्र फडणवीस उनकी घर वापसी के लिए उत्सुक नहीं थे और यहां तक ​​कि गिरीश महाजन भी उनके शामिल होने के खिलाफ थे. यही कारण है कि केंद्रीय नेताओं की इच्छा के बावजूद, उनकी वापसी नहीं हुई.”

पांच महीने में भाजपा की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर खडसे ने कहा कि “उनके पास अब और धैर्य नहीं है” और वे महाराष्ट्र चुनाव में पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के लिए प्रचार करेंगे.

उन्होंने कहा, “मैं भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हूं और गोपीनाथ मुंडे और प्रमोद महाजन के साथ मिलकर महाराष्ट्र में पार्टी के विकास के लिए अथक प्रयास किया. आज अगर भाजपा महाराष्ट्र में सत्ता में है, तो यह हमारे प्रयासों की वजह से है, लेकिन जब फडणवीस ने राज्य इकाई की कमान संभाली तो मेरे योगदान को नजरअंदाज कर दिया गया. अब लंबे इंतज़ार के बाद मैं भाजपा में फिर से शामिल होने का इच्छुक नहीं हूं.”

खडसे ने कहा, “मैं एनसीपी से एमएलसी सदस्य हूं. मैंने भाजपा को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कई महीने दिए, लेकिन अब मैं एनसीपी के लिए प्रचार करूंगा और पार्टी के महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन की जीत सुनिश्चित करूंगा.”


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खडसे-महाजन की प्रतिद्वंद्विता

महाजन, जिन्हें फडणवीस का करीबी सहयोगी माना जाता है, और खडसे जलगांव के एक ही जिले से आते हैं.

जलगांव में किसका वर्चस्व है, इस पर महाजन और खडसे के बीच प्रतिस्पर्धा दोनों के बीच कड़वाहट का मुख्य कारण रही है. 2013 में जब फडणवीस महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख बने, तो उन्होंने सभी मामलों में खडसे के बजाय महाजन को चुना.

पिछले हफ्ते महाजन ने खडसे पर आरोप लगाया था कि “2021 में जब महाराष्ट्र में एमवीए सत्ता में थी, तब उन्होंने उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.”

पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “यह (पूर्व राज्य गृह मंत्री) अनिल देशमुख थे जिन्होंने मुझे खडसे द्वारा मुझे जबरन वसूली के मामलों में मामला दर्ज करने के लिए किए जा रहे फोन कॉल के बारे में बताया था.”

सोमवार को खडसे पर फिर से हमला करते हुए महाजन ने मीडिया से कहा, “खडसे के साथ असली समस्या यह है कि वह सभी पदों को केवल अपने परिवार के लिए रखना चाहते हैं”.

महाजन ने कहा, “वे चाहते हैं कि सभी पद उनके परिवार के सदस्यों को दिए जाएं. उनकी बहू केंद्रीय मंत्री हैं, लेकिन वे अपनी बेटी को एनसीपी-एसपी से विधानसभा चुनाव में उतारना चाहते हैं. अगर विपक्षी एमवीए सरकार बनाती है, तो खडसे चाहेंगे कि उन्हें मंत्री बनाया जाए. वे 30 से अधिक वर्षों से जनप्रतिनिधि हैं और अभी भी और अधिक चाहते हैं.”

खडसे ने हालांकि, महाजन के आरोपों को निराधार बताया.

खडसे ने दिप्रिंट से कहा, “ये आरोप निराधार हैं. मैं जलगांव पुलिस को महाजन के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने के लिए कैसे राजी कर सकता हूं? वे राजनीतिक हिसाब बराबर करने के लिए निराधार आरोप लगा रहे हैं.”

रक्षा खडसे ने पिछले हफ्ते कहा था कि “अगर गिरीश महाजन और एकनाथ खडसे अपनी कड़वाहट को दूर कर देते हैं, तो इससे जलगांव के विकास में मदद मिलेगी. हालांकि खडसे की घर वापसी पर फैसला भाजपा को लेना है, लेकिन अगर वे और महाजन एकजुट होकर काम करते हैं, तो इससे जिले को मदद मिलेगी. लोकसभा चुनाव के दौरान, केंद्रीय भाजपा नेताओं ने खडसे जी से बात की थी और उन्होंने मेरे अभियान में मेरी मदद करने के लिए उनके निर्देश के अनुसार काम किया.”

भाजपा के पुराने साथी

खडसे भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं, जिनकी पार्टी को अब ज़रूरत है, क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और भाजपा को लोकसभा चुनाव में मिली हार से उबरना है, जिसमें वो राज्य में 23 से घटकर 9 सीटों पर आ गई थी. यहां तक ​​कि कांग्रेस का प्रदर्शन भी भाजपा से बेहतर रहा.

महाजन के नेतृत्व वाली आठ लोकसभा सीटों में से एमवीए ने छह सीटें जीतीं और पार्टी के कई नेताओं ने कथित तौर पर उनके प्रदर्शन की शिकायत की थी.

दिप्रिंट से बात करते हुए भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, “खडसे के साथ तालमेल के पीछे का विचार उत्तर महाराष्ट्र की लोकसभा और विधानसभा सीटों पर उनके प्रभाव का इस्तेमाल करना था. वे पार्टी के पुराने साथी रहे हैं और उत्तर में 36 विधानसभा क्षेत्र हैं. यह तय हुआ कि भाजपा रक्षा को लोकसभा में उतारेगी और खडसे उनके लिए और विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करेंगे.”

पदाधिकारी ने कहा, “पार्टी ने राज्य के नेताओं के विरोध के बावजूद रक्षा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया, जिससे खडसे को नियंत्रित रखने की ज़रूरत पर जोर पड़ा. अब, खडसे की बहू कैबिनेट में है और अगर वे एनसीपी के लिए प्रचार करते हैं, तो यह भाजपा के लिए उस समय शर्मिंदगी की बात होगी, जब वे पहले से ही कड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है.”

हालांकि, महाराष्ट्र भाजपा के एक नेता ने कहा, “पार्टी राज्य चुनाव जीतने के लिए बेताब है और खडसे की वजह से फडणवीस को नाराज़ नहीं कर सकती. केंद्रीय भाजपा रक्षा के ज़रिए खडसे को नियंत्रित रखने की कोशिश करेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि वे एनसीपी के टिकट पर अपनी बेटी की जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं.”

खडसे 1980 के दशक में भाजपा कार्यकर्ता के तौर पर सक्रिय राजनीति में आए थे और पार्टी को उत्तरी महाराष्ट्र में अपना आधार बनाने में मदद की थी.

2014 में जब विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और अविभाजित शिवसेना ने मिलकर सरकार बनाई थी, तब वे राज्य में सीएम पद के दावेदार थे. विपक्ष के नेता के तौर पर खडसे मुख्य दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने फडणवीस को सीएम चुना.

इसके बाद खडसे राज्य मंत्रिमंडल में दूसरे नंबर पर आ गए और उन्हें कई अहम विभाग सौंपे गए, लेकिन दो साल के भीतर ही, 2016 में, भूमि खरीद सौदे को लेकर विवाद में फंसने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. तब यह भी कहा गया था कि फडणवीस ने इस मौके का इस्तेमाल अपने प्रतिद्वंद्वी को किनारे करने के लिए किया.

2019 में खडसे को मुक्ताईनगर से टिकट नहीं दिया गया और पार्टी ने उनकी बेटी रोहिणी को मैदान में उतारा, जो निर्दलीय उम्मीदवार चंद्रकांत पाटिल से चुनाव हार गईं. तब खडसे ने आरोप लगाया था कि “यह फडणवीस का काम था, जिन्होंने उन्हें झूठे मामले में फंसाकर उनके राजनीतिक करियर को बर्बाद कर दिया और उनकी बेटी की हार में भी मदद की.”

इसके बाद खडसे और रोहिणी अविभाजित एनसीपी में शामिल हो गए.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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