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Friday, 18 October, 2024
होम50 शब्दों में मतमोदी ने संसद में यूनिफॉर्म सिविल कोड को उठाया, उन्हें 'आईडिया ऑफ़ इंडिया' पर बहस के लिए तैयार रहना चाहिए

मोदी ने संसद में यूनिफॉर्म सिविल कोड को उठाया, उन्हें ‘आईडिया ऑफ़ इंडिया’ पर बहस के लिए तैयार रहना चाहिए

दिप्रिंट का महत्वपूर्ण मामलों पर सबसे तेज नज़रिया.

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पीएम मोदी द्वारा संसद में ट्रिपल तालक के बारे में बात करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड का संदर्भ देना भाजपा के अंतिम एजेंडे का प्रबल संकेत है. पूर्ण बहुमत से उत्साहित प्रधानमंत्री मोदी भारतीयों को अधिक ध्रुवीकरण के मुद्दे के लिए तैयार कर रहे हैं. उन्हें भारत आईडिया ऑफ़ इंडिया पर बहस के लिए तैयार रहना चाहिए.

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1 टिप्पणी

  1. यूनिफॉर्म सिविल कोड का संदर्भ देना भाजपा के लिए बहुत ही स्वाभाविक है। वास्तव में भाजपा और उससे भी पहले भारतीय जनसंघ की स्थापना की बुनियाद में ही यूनिफॉर्म सिविल कोड और धारा ३७० की समाप्ति रही है। भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसके प्रबल और मुखर समर्थक रहे थे। उसके बाद सदा ही ये भारतीय जनसंघ और फिर भाजपा के एजेंडे में शामिल रहा है। गौरतलब है कि अटल जी जैसे उदारवादी नेता भी इस एजेंडे के मुखर समर्थक रहे है। एनडीए के दिनों में एकाधिक बार उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि ये एजेंडा महज गठबंधन धर्म की वजह से ठंडे बस्ते में है और जिस दिन भी भाजपा पूर्ण बहुमत में आयेगी इस एजेंडे का परिपालन होगा। अतः यह बिल्कुल ही आश्चर्यजनक नहीं है कि भाजपा इस ओर अग्रसर हो और आरएसएस इसके लिए जोर डाले।
    मगर इससे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या देश इसके लिए तैयार है और क्या पार्टी का एजेंडा देश के एजेंडे के उपर है?
    ये एजेंडा राजनैतिक और प्रशासनिक से बढ़ कर सामाजिक है और इसके परिणाम भी देश के सामाजिक फ्रेम को प्रभावित करने वाले हैं। देश के समक्ष, वास्तव में अन्य अनेक अधिक आवश्यक मुद्दे है। आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, खेतिहर की समस्याएं – और अन्य अनेक मुद्दे जो मुंह बाये खड़े हैं, उनके निदान कि प्राथमिकता है।
    इसके अतिरिक्त मोदी जी ने बार बार कहा है कि राष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक सहमति की आवश्यकता है और वे इसका निरंतर प्रयास करेंगे। उन्होंने अभी अभी यह भी कहा कि वे जमीन और जड़ से जुड़े रहना चाहते हैं और जिन्हें आकाश में उड़ना है उन्हें आकाश मुबारक हो।
    मोदी जी को जो प्यार और समर्थन मिला वो असाधारण है और उन्हें असाधारण बन कर ही आगे बढ़ना होगा।
    उन्हें पार्टी से इतर और विशिष्ट बन कर देश के नेता के रूप में अपने को साबित करना है – अटल जी ने बार बार कहा था – पार्टियां जीतेंगी हारेंगी, चुनाव आएंगे जाएंगे मगर ये देश रहना चाहिए, देश का लोकतंत्र रहना चाहिए।
    मोदी जी से महती ऐतिहासिक अपेक्षाएं है और उन्हें इस पर खरा उतरना है।

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