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Tuesday, 19 November, 2024
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राहुल Vs स्मृति ईरानी: एक के ‘आदर्श ग्राम’ ने उनका पुतला फूंका, तो दूसरे को मिलीं CSR फंड से बनी सड़कें

राहुल गांधी ने 2014 में गांव को गोद लिया था, जबकि केंद्रीय मंत्री ने 2019 में गोद लिया था. सड़कें बन गई हैं और अन्य सुविधाएं भी हैं, लेकिन बहुत कुछ किया जाना बाकी है, खासकर आंतरिक क्षेत्रों में.

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नई दिल्ली: एक दूसरे से 44 किमी की दूरी पर स्थित जगदीशपुर और सुजानपुर गांवों को हर बार स्थानीय और बाहरी लोगों के बीच ‘विकास’ पर चर्चा के लिए एक साथ रखा जाता है. तुलना इसलिए सामने आती है क्योंकि इन्हें प्रतिद्वंद्वी सांसद राहुल गांधी और स्मृति ईरानी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत अपनाया था.

जगदीशपुर में, स्थानीय निवासी उस शुरुआती खुशी को नहीं भूल सकते जब उन्हें पता चला कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 2014 में उनके गांव को गोद लिया था. उस साल, राहुल ने अमेठी संसदीय सीट पर ईरानी को 1.07 लाख वोटों के अंतर से हराया था.

मिश्रा कहते हैं, “उस मंच से ही, उन्होंने (राहुल) घोषणा की, ‘मैंने गांव को गोद ले लिया है, लेकिन वास्तव में गांव को विकसित करने के लिए पैसा कहां से आएगा.” तब लोग वास्तव में निराश हो गए… और तब से, उनकी ओर से गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है,”

उनका कहना है कि राहुल के कार्यक्रम से निकलने के बाद ग्रामीणों ने विरोध स्वरूप राहुल का पुतला जलाया.

इसके विपरीत, सुजानपुर में वर्तमान प्रधान के समर्थन से लगाए गए बोर्डों पर लिखा है, ‘दीदी स्मृति ईरानी ने गांव को गोद लेकर इसका चेहरा बदल दिया है… हम कांग्रेस को वोट नहीं देंगे.’

2019 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा गोद लिए गए इस गांव में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड का आगमन हुआ है, क्योंकि इसे अमेठी के सांसद ने गोद लिया था.

फिर भी, विसंगतियां मौजूद हैं. उदाहरण के लिए, गांव के अंदरूनी हिस्सों में बमुश्किल कोई सड़क है. दिप्रिंट को शौच के लिए खेतों की ओर जाती तीन महिलाएं भी मिलीं. एक महिला ने कहा, “हमारे पास शौचालय नहीं है. हम दोपहर में खेतों में जाते हैं,”

‘वह जो आपको परिवार मानता है’

राहुल का पुतला जलाने से पहले की घटनाएं आज भी जगदीशपुर गांव के निवासियों के मन पर अंकित हैं. तिवारी ने दिप्रिंट को बताया, ”हमें ऐसा लगा जैसे हमें एक सपना दिखाया गया और फिर धोखा दिया गया.”


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त्रिपाठी ने कहा, “ऐसा लगता है कि जैसे हमें एक सपना दिखाया गया और फिर हमारे साथ छल किया गया.”

इस घटना ने लोगों के दिमाग पर काफी गहरी छाप छोड़ी है.

जगदीशपुर की एक अन्य स्थानीय बाटन देवी शुक्ला ने दिप्रिंट को बताया कि गांव को गोद लेने से लोगों को यह विश्वास हो गया था कि गांव को आखिरकार नालियां और सड़कें मिल जाएंगी. “लेकिन जब उन्होंने (राहुल) पूछा कि पैसा कहां से आएगा, तो हमने उनसे कोई उम्मीद करना बंद कर दिया. फिर कभी उन्हें वोट भी नहीं दिया…वरना हम तो हमेशा उन्हें ही जिताते थे.’

2019 में जब नतीजे आए तो राहुल बीजेपी की स्मृति ईरानी से 55,000 से अधिक वोटों के अंतर से हार गए.

पिछले हफ्ते, ईरानी ने उसी राम लीला मैदान में जगदीशपुर को संबोधित किया, जहां 2014 में राहुल ने लोगों को संबोधित किया था. उनके भाषण के दौरान भीड़ से चिल्लाते हुए एक गांव निवासी ने कहा, “राहुल गांधी ने हमारे गांव को गोद लिया और हवा में गायब हो गए.”

ईरानी ने मंच से जवाब दिया, “अपनाता वही है जो तुम्हें परिवार मानता है.” वह (राहुल) गए और वायनाड को अपना परिवार कहा,”

Jagdishpur pradhan Vimal Kumar Srivastava recalls how villagers feel let down by Rahul Gandhi even today | ThePrint | Praveen Jain | ThePrint
जगदीशपुर प्रधान विमल कुमार श्रीवास्तव याद करते हैं कि कैसे ग्रामीण आज भी राहुल गांधी द्वारा अपमानित महसूस करते हैं दिप्रिंट | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

जगदीशपुर ग्राम पंचायत के प्रधान विमल कुमार श्रीवास्तव याद करते हैं कि राहुल द्वारा गांव को गोद लेने के बाद, विकास कार्यों के लिए गांव की सड़कों और नालियों को मापा गया था. “ऐसी कोई सड़क नहीं बची थी जिसे मापा न गया हो.”

गांव का एक आधारभूत सर्वेक्षण भी किया गया, और SAGY वेबसाइट पर अपलोड किया गया.

श्रीवास्तव कहते हैं, “लेकिन बाद में, उन्होंने कुछ नहीं किया… उन्होंने (राहुल) हमसे कहा कि अगर उन्हें अलग से फंडिंग मिलेगी तो वह इस योजना के तहत हमारे लिए काम करेंगे. अन्यथा, वह अपने पूरे संसदीय क्षेत्र के लिए काम करेंगे,”

तिवारी कहते हैं, ”उन्होंने गांव को गोद क्यों लिया, जब उन्हें नहीं पता था कि फंड कहां से आएगा…अगर उन्होंने इसे संसद में उठाया होता, तो हम समझ जाते, लेकिन उन्होंने हमारे बीच खड़े होकर ऐसा कहा.”

SAGY की सबसे बड़ी आलोचना इसके कार्यान्वयन के लिए अलग से धन की कमी रही है. SAGY वेबसाइट यह स्पष्ट करती है कि योजना के लिए “कोई अतिरिक्त धन आवश्यक नहीं समझी जाती है”.

हालांकि, SAGY अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मौजूदा केंद्र और राज्य प्रायोजित योजनाओं सहित उपलब्ध संसाधनों से विकास का काम करना होता है. इसलिए, अन्य संसाधनों के अलावा, पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि (बीआरजीएफ) और संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) के धन का उपयोग इस उद्देश्य के लिए किया जा सकता है.

विकास कौन लाया?

पिछले 10 वर्षों में, 4,000 मतदाताओं वाले जगदीशपुर की कई सड़कों को ठीक किया गया है. सरकारी अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि 2016 के बाद से, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत 320 ‘आवास’ (घर) बनाए गए हैं, और इसी तरह 980 व्यक्तिगत शौचालय भी बनाए गए हैं.

हालांकि, कलावती और सीमा देवी जैसे कई निवासी अभी भी स्वच्छ पानी जैसी बुनियादी आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करते हैं. हैंडपंप की ओर इशारा करते हुए कलावती देवी बताती हैं, “हैंडपंप अच्छा पानी नहीं देता है… यदि आप इसे भरते हैं और स्टोर करते हैं, तो पानी पीला हो जाता है…इसलिए, हम इसका उपयोग केवल नहाने या कपड़े धोने के लिए कर सकते हैं.”

Kalawati and Seema Devi at Jagdishpur where supply of clean water is still not sufficient | Praveen Jain | ThePrint
जगदीशपुर में अपने घर क बाहर कलावती और सीमा देवी,जहां पर साफ पानी की सप्लाई अब भी उचित मात्रा में नहीं है | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

कई निवासियों का कहना है कि उन्हें पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है, क्योंकि उनके पास नल का कनेक्शन नहीं है.

जबकि कुछ परिवारों का दावा है कि कोई भी यह सुनिश्चित नहीं कर सकता कि पानी की टंकी राहुल की देखरेख में बनाई गई थी. किसी भी स्थिति में, टंकी पिछले कुछ महीनों से पानी की आपूर्ति नहीं कर रही है. गांव में कोई अस्पताल नहीं है, बल्कि एक स्वास्थ्य केंद्र है. यहां किसी बैंक की कोई शाखा या एटीएम नहीं हैं और कई खुली नालियां हैं जिनके ऊपर मच्छर भिनभिनाते हैं.

जगदीशपुर में जो भी ‘विकास’ हुआ है, लोगों ने इसका श्रेय या तो उत्तर प्रदेश सरकार को दिया या स्थानीय ग्राम पंचायत को. गांव में एक स्कूल, इंटरलॉकिंग रोड कनेक्टिविटी और कुछ सोलर स्ट्रीट लाइटें हैं.

मिश्रा कहते हैं, “इन 10 सालों में गांव में काम हुआ है. बदलाव आया है. गांव के अंदर कई सड़कें बेहतर हो गई हैं, इंटरलॉकिंग सड़कें हैं…हमारे पास निरंतर बिजली भी है.”

वह इस बदलाव के लिए 2017 में सत्ता संभालने वाली योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार को श्रेय देते हैं.

एक अन्य निवासी करुणेश कुमार सिंह विकास का श्रेय ग्राम पंचायत को देते हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हमारी सड़कें पानी से भरी हुआ करती थीं. यहां तक ​​कि जब राहुल गांधी जी आए थे, तब भी सड़कों पर पानी भरा हुआ था,”

सड़कें, पानी की टंकी, अमृत सरोवर

दूसरी ओर, सुजानपुर, जिसमें लगभग 3,200 मतदाता हैं, को ईरानी द्वारा गोद लिए जाने के बाद से कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निधि प्राप्त हुई है.


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इंटरलॉकिंग और सीमेंट कंक्रीट सड़कों और कुछ नालियों के निर्माण के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), कोरवा से लगभग 9.2 करोड़ रुपये की फंडिंग आई. गांव में लगाए गए कई बोर्डों से इस फंडिंग के बारे में पता लगता है.

कागज पर, 2019 के बाद से कुल 49 ऐसी सड़क निर्माण परियोजनाएं शुरू की गईं, जिनमें 12 मीटर से 466 मीटर तक की सड़क की लंबाई सीएसआर और ग्राम पंचायत फंड जैसे अन्य संसाधनों के माध्यम से वित्त पोषित है.

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के धन का उपयोग करके 6.7 किमी की मुख्य सड़क बनाई गई थी. 6.7 किमी में से 898 मीटर सड़क सुजानपुर से होकर गुजरती है.

निवासी कमलेश कुमार का कहना है कि ईरानी द्वारा गोद लिए जाने के बाद से सुजानपुर में कई सड़कों का निर्माण हुआ है. उनका कहना है, “स्थिति अब काफी बेहतर है”, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अभी भी कई गलियां बिना पक्की सड़क के हैं.

“दीदी स्मृति ईरानी ने भी गांव का दौरा किया था, लेकिन वह आमतौर पर केवल यहां (मुख्य सड़क) तक ही आती हैं और चली जाती हैं.”

सुजानपुर के एक अन्य स्थानीय राजू प्रजापत भी अब तक किए गए काम की सराहना करते हैं. “काम किया जा रहा है. सड़कें, पानी की टंकी. बिजली की परेशानी दूर हो रही है. यह पूरी तरह से नहीं हुआ है, लेकिन चीजें बेहतर हो रही हैं… कुछ लोग हैं जो अभी भी पीछे रह गए हैं, लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि चीजें सभी के लिए बेहतर हो जाएंगी.’

हालांकि, गांव के अंदर की गलियां बमुश्किल पक्की हैं. इस दौरान बनाई गई कुछ इंटरलॉकिंग सड़कों को भी बारिश और ट्रैक्टरों का खामियाजा भुगतना पड़ा है, जिसके कारण केवल खुले फ्रेम ही बचे हैं.

Inside Sujanpur, the lanes remain to be paved as seen in this above image | Praveen Jain | ThePrint
सुजानपुर के अंदर, गलियों को पक्का किया जाना बाकी है जैसा कि इस ऊपर की तस्वीर में देखा जा सकता है प्रवीण जैन | दिप्रिंट

निवासी सहीदा दिप्रिंट को बताती हैं, “कहीं भी नालियां नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वे कॉलोनियां बनाएंगे, वह अभी तक नहीं हुआ. उन्होंने किया क्या है? कोई शौचालय नहीं, कुछ भी नहीं. यहां बिल्कुल भी सुविधाएं नहीं हैं. हमारे पास नल नहीं है. घर में बैठने की जगह नहीं है, नल कहां होगा?”

सहीदा के पति देहरादून में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं, जबकि वह अपनी तीन बेटियों और एक बेटे की देखभाल करती हैं. “हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं है… जब नेता आते हैं तो बाहर मुख्य सड़क से लौट जाते हैं… गोद लेने का काम सिर्फ कागजों पर है, कोई काम नहीं हो रहा है.”

सुजानपुर के दूसरे कोने में, मुंशी राजा गांव के अंदर सड़कों की कमी पर अफसोस जताते हैं. निवासी कहते हैं, “सभी सड़कें टूटी हुई हैं और उनमें पानी से भरे गड्ढे हैं. पूरे इलाके में पानी भर जाता है. हम इन सड़कों से साइकिल या मोटरसाइकिल भी नहीं ले जा सकते,”

‘कांग्रेस को वोट नहीं देंगे’

इसके अतिरिक्त, सुजानपुर में एक अमृत सरोवर (तालाब) बनाया गया है. दिप्रिंट ने गांव में पानी की टंकी के निर्माण स्थल का भी दौरा किया. साइट के बाहर एक बोर्ड पर लिखा है कि काम अक्टूबर 2021 में शुरू हो गया है.

The pond built in BJP MP Smriti Irani's adopted village Sujanpur | Suraj Singh Bisht | ThePrint
बीजेपी सांसद स्मृति ईरानी के गोद लिए गांव सुजानपुर में बना तालाब | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

एसएजीवाई के तहत 2019 से किए गए कार्यों की स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि पेयजल और ग्रामीण पाइपलाइनों से संबंधित 76 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. लेकिन, कई परिवारों के घरों में नल नहीं है. उनकी गलियों में या तो नालियां नहीं हैं, या खुली नालियां हैं जिनमें मच्छरों का प्रकोप है.

इस महीने की शुरुआत में, पूर्व कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने एक बयान देकर हंगामा खड़ा कर दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि “जब वह (ईरानी) अपने गोद लिए गांव में कुछ नहीं कर सकीं, तो वह अमेठी के लिए क्या कर सकती हैं”.

सिंह ने गांव का दौरा किया था और एक्स (पहले ट्विटर) पर भी केंद्रीय मंत्री की आलोचना करते हुए पोस्ट डाले थे.

12 अप्रैल को, एक अन्य ट्वीट में, सिंह ने लिखा कि कैसे ईरानी अपना एमपीएलएडीएस फंड खर्च नहीं कर सकीं, और लिखा, “काश उन्होंने यह पैसा अपने गोद लिए गांव सुजानपुर को दे दिया होता, तो उनके सांसद निधि से वहां कुछ काम किया गया होता”

सिंह के बयान सुजानपुर के कुछ वर्ग के लोगों को पसंद नहीं आए, जिन्होंने तब हिंदी में बोर्ड लगाकर घोषणा की कि कांग्रेस नेता ने “झूठ बोलकर गांव का अपमान किया”.

The board put up at Sujanpur in support of Smriti Irani | Suraj Singh Bisht | ThePrint
स्मृति ईरानी के समर्थन में सुजानपुर में लगाया गया बोर्ड | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

बोर्ड पर लिखा हुआ है, ”कांग्रेस नेता दीपक सिंह के बयान से पूरा सुजानपुर आहत है. हम कांग्रेस को वोट नहीं देंगे. यदि कोई कांग्रेस नेता गांव में आता है, तो विरोध किया जाएगा.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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