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Saturday, 21 December, 2024
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सहानुभूति की लहर या शक के बीज? केजरीवाल की गिरफ्तारी के बीच दिल्ली में AAP बनाम BJP जारी

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद AAP अपने ‘जेल से जवाब’ अभियान के जरिए से शहर में धारणा की लड़ाई जीतने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा का कहना है कि अदालतों ने उन्हें ज़मानत देने से इनकार किया है.

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नई दिल्ली: रोहिणी सेक्टर-16 में दिल्ली सरकार द्वारा संचालित मोहल्ला क्लिनिक में अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए 54-वर्षीय इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर कर्मचारी संजय शर्मा, मेडिकल जांच सहित जनता को मुफ्त प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की आम आदमी पार्टी (आप) की पहल की प्रशंसा कर रहे हैं.

फिजियोथेरेपिस्ट और रोहिणी सेक्टर 16 निवासी नैन्सी भटनागर के अनुसार, यह क्लिनिक, 2015 से AAP सरकार द्वारा शुरू किए गए लगभग 520 में से एक है, जो न केवल आस-पास की झुग्गी बस्तियों के लोगों को, बल्कि पड़ोसी मध्यम-आय समूह हाउसिंग सोसायटियों के लोगों को भी परामर्श के लिए आकर्षित करता है.

अब समाप्त हो चुकी शराब नीति मामले में कथित संलिप्तता को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगभग एक महीने से जेल में हैं. आप नेता मोहल्ला क्लीनिक से लेकर मुफ्त बस यात्रा तक महिलाओं के लिए शुरू की गई अपनी कल्याणकारी पहलों का प्रदर्शन करके आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए समर्थन जुटा रहे हैं.

हालांकि, कुछ नागरिकों के मन में संदेह पैदा हो गया है. उन्होंने सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं कि केजरीवाल को ज़मानत मिलने में इतना समय क्यों लग रहा है — एक तथ्य जिसे भाजपा भी अपने अभियान में उजागर कर रही है.

शर्मा ने कहा, “हम शराब नीति मामले के तथ्यों को नहीं जानते हैं, लेकिन अगर केजरीवाल निर्दोष हैं तो अदालत ने उन्हें ज़मानत या कोई राहत क्यों नहीं दी? यह सवाल हर किसी के मन में है.”

आप दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से चार पर चुनाव लड़ रही है, जबकि गठबंधन सहयोगी कांग्रेस शेष तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. अपने नौ साल के काम पर भरोसा करते हुए AAP ने 8 अप्रैल को अपना ‘जेल का जवाब वोट से’ अभियान शुरू किया, जिसमें भाजपा पर केजरीवाल को प्रचार करने से रोकने के लिए राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया गया.

फिर भी, नुकसान पहले ही हो सकता है. रामजस कॉलेज में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर तनवीर ऐज़ाज़ ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले केजरीवाल की गिरफ्तारी और अदालत से राहत में देरी से आप के अभियान पर “प्रतिकूल प्रभाव” पड़ सकता है.

ऐज़ाज़ ने कहा, “केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आप उम्मीद कर रही थी कि उन्हें तुरंत ज़मानत मिल जाएगी और लोग उनके प्रति सहानुभूति रखेंगे और एक बार बाहर आने के बाद, वे चुनाव प्रचार मोड में आ जाएंगे और पार्टी इसके इर्द-गिर्द अपना अभियान तैयार करेगी, लेकिन यह योजना के मुताबिक नहीं हुआ और अदालतों से राहत मिलने में देरी ने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया है.”


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जेल और ज़मानत बने दिल्ली चुनाव के मुद्दे

पिछले साल से आप के तीन नेताओं — केजरीवाल, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शराब नीति से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोपों के लिए गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन को मई 2022 में भ्रष्टाचार के एक अलग मामले में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, उनसे केंद्रीय एजेंसियों द्वारा शराब नीति मामले को लेकर भी पूछताछ की गई थी. कुछ निवासी इसे राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य संशय में हैं.

मनीष सिसौदिया के निर्वाचन क्षेत्र पटपड़गंज में कई निवासी केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठा रहे हैं, जो लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के कुछ ही दिनों बाद हुई थी. वे पिछले फरवरी में इसी मामले में सिसोदिया की गिरफ्तारी से लेकर मामले की मौजूदा प्रकृति की ओर इशारा करते हैं.

सिसोदिया के निर्वाचन क्षेत्र के आवासीय क्षेत्र मंडावली के निवासी गुरुमीत सिंह ने कहा, “आप और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल चल रहा है. जनता नहीं जानती कि सच्चाई क्या है, लेकिन उन्हें अब क्यों गिरफ्तार किया गया है? मामला तो लगभग दो साल से चल रहा है.”

ऐसा लगता है कि AAP अब सहानुभूति लहर पर भरोसा कर रही है. ‘जेल से जवाब’ अभियान और मीडिया बातचीत के माध्यम से वे भाजपा पर राजनीतिक कारणों से उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगा रहे हैं.

प्रेस वार्ता के दौरान आप नेता आतिशी. सलाखों के पीछे केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करने वाली छवियां वर्तमान में आप मीडिया सम्मेलनों का मुख्य आधार हैं | फोटो: एक्स/AAPDelhi
प्रेस वार्ता के दौरान आप नेता आतिशी. सलाखों के पीछे केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करने वाली छवियां वर्तमान में आप मीडिया सम्मेलनों का मुख्य आधार हैं | फोटो: एक्स/AAPDelhi

केजरीवाल की गिरफ्तारी से लोग बीजेपी से नाराज़ हैं. वे गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठा रहे हैं. नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से आप उम्मीदवार सोमनाथ भारती ने दिप्रिंट को बताया, “लोग समझते हैं कि यह सिर्फ उन्हें चुनाव में प्रचार करने से रोकने और दिल्ली में उनकी सरकार को गिराने के लिए किया गया है.”

ज़मानत में देरी पर भारती ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था में एक प्रक्रिया होती है जिसका पालन करना होता है. उन्होंने शराब नीति मामले में गिरफ्तारी के छह महीने बाद इस महीने की शुरुआत में संजय सिंह की ज़मानत पर रिहाई की ओर इशारा किया. भारती ने कहा, “आखिरकार उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत पर रिहा कर दिया और प्रवर्तन निदेशालय ने भी इसका विरोध नहीं किया. केजरीवाल का मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जिसने प्रवर्तन निदेशालय को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.”

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘गारंटियों’ को बढ़ावा देने के अलावा, भाजपा का दिल्ली अभियान अदालतों द्वारा केजरीवाल को ज़मानत देने से इनकार पर केंद्रित है.

बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और दिल्ली के लोकसभा प्रभारी ओपी धनखड़ ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, “केजरीवाल अदालत के आदेश पर जेल में हैं, बीजेपी की वजह से नहीं. दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी है. लोगों को न्यायपालिका पर भरोसा है और वे समझते हैं कि कोई कारण होगा कि अदालतों ने उन्हें कोई राहत नहीं दी है.”

‘यह चुनाव पीएम के लिए है, सीएम के लिए नहीं’

रोहिणी से लगभग 40 किलोमीटर दूर, पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चिल्ला गांव के निवासी केजरीवाल सरकार द्वारा कॉलोनी की सड़कों के निर्माण से लेकर स्कूलों में सुधार और मोहल्ला क्लीनिक स्थापित करने तक किए गए कार्यों को सूचीबद्ध करने में तत्पर हैं.

हालांकि, कई लोगों का यह भी कहना है कि ये उपलब्धियां फिलहाल प्रासंगिक नहीं हैं.

चिल्ला के निवासी 70-वर्षीय वीरेंद्र सिंह ने कहा, “केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में बहुत काम किया है, लेकिन यह चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों के बारे में है, न कि स्थानीय मुद्दों के बारे में. यह पीएम को चुनने के लिए है, सीएम को नहीं.”

ऐज़ाज़ के अनुसार, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के आधार पर अपनी वोटिंग प्राथमिकताओं को समायोजित करने की लोगों की प्रवृत्ति, केजरीवाल की गिरफ्तारी के साथ मिलकर, AAP की संभावनाओं को काफी नुकसान पहुंचा सकती है.

उन्होंने बताया कि AAP 2019 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली में एक भी सीट जीतने में विफल रही, लेकिन सिर्फ नौ महीने बाद विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की और 70 विधानसभा सीटों में से 62 पर विजयी हुई. 2019 में दिल्ली में AAP का वोट शेयर लगभग 18 प्रतिशत था, लेकिन फरवरी 2020 के विधानसभा चुनावों में यह बढ़कर 53.5 प्रतिशत हो गया.

ऐज़ाज़ ने कहा, “इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि लोग, जिनमें झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग भी शामिल हैं, चुनाव के आधार पर और नेता या पार्टी का चेहरा कौन है, वोट करते हैं.”


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नागरिकों ने आप-दिल्ली एलजी के बीच तीखी नोकझोंक की

जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं दिल्ली में केंद्र-राज्य के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है, नागरिक बीच में फंस गए हैं. सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में दवाओं की कमी से लेकर हालिया जल संकट तक के लिए दिल्ली सरकार के मंत्री केंद्रीय अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं.

पिछले हफ्ते आप मंत्री आतिशी ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर शाहदरा में पानी भरने को लेकर हुए विवाद में एक महिला की मौत के बाद दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निलंबित करने की मांग की थी.

हालांकि, 16 अप्रैल को केजरीवाल को लिखे एक खुले पत्र में दिल्ली के उपराज्यपाल ने पानी की कमी की समस्या के लिए सरकार की आलोचना की और आतिशी पर “संकीर्ण राजनीतिक लक्ष्यों” के लिए महिला की मौत का फायदा उठाने का आरोप लगाया. उपराज्यपाल ने आगे आरोप लगाया कि आप सरकार ने “अनुचित जल आपूर्ति” को ठीक करने के बजाय “मुफ्त पानी की कल्पना” रची है.

फिर, 8 अप्रैल को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने AAP विधायकों की शिकायतों के बाद अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में दवाओं की कमी के मुद्दे को संबोधित किया. भारद्वाज ने आरोप लगाया कि अस्पतालों, मोहल्ला क्लीनिकों और डिस्पेंसरियों के लिए दवाएं खरीदने के लिए केंद्रीय खरीद एजेंसी (सीपीए) के टेंडर को “पूर्व-निर्धारित साजिश” के कारण सरकारी अधिकारियों द्वारा एक साल तक अंतिम रूप नहीं दिया गया.

आप विधायकों ने डॉक्टरों की नियुक्ति में देरी के कारण कुछ मोहल्ला क्लीनिक बंद होने का मुद्दा भी उठाया. बवाना से आप विधायक जय भगवान ने दिप्रिंट को बताया कि डॉक्टरों की नियुक्ति में देरी के कारण उनके निर्वाचन क्षेत्र के 24 मोहल्ला क्लीनिकों में से तीन बंद हो गए हैं.

तिमारपुर में पत्रकार बस्ती के निवासियों ने कहा कि आसपास के क्षेत्र में मोहल्ला क्लिनिक छह महीने के अंतराल के बाद हाल ही में फिर से खोला गया था. निवासी सीता देवी ने कहा, “पिछले एक साल में क्लिनिक केवल कुछ दिनों के लिए चालू हुआ है. हम पिछले एक साल से पड़ोसी इलाके के मोहल्ला क्लिनिक में जा रहे हैं. यहां के लोग मोहल्ला क्लिनिक पर निर्भर हैं. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह पूरे साल चालू रहे.”

क्लीनिकों में दवाओं की कमी की शिकायतों के बाद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को प्रतिदिन स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया. भारद्वाज ने 17 अप्रैल को जारी एक प्रेस बयान में कहा, “सीएस (मुख्य सचिव) को दवाओं की उपलब्धता के दावों को सत्यापित करने के लिए दिल्ली सरकार के अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों का दैनिक दौरा करने का निर्देश दिया गया है, सीएस को अपने दौरे का रोस्टर प्रदान करने और दैनिक रिपोर्ट साझा करने का निर्देश दिया गया है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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