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Wednesday, 25 December, 2024
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यूनाइटेड लेफ्ट ने जीता JNU छात्र संघ चुनाव, नए अध्यक्ष ने बताया ‘ABVP, BJP के खिलाफ जनादेश’

AISA के धनंजय ने एबीवीपी के उमेश सी अजमीरा को हराकर जेएनयूएसयू अध्यक्ष पद हासिल किया, उन्होंने ‘हिंसा में शामिल होने’ के लिए एबीवीपी पर कटाक्ष किया, कहा कि लोग 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को ‘गद्दी से उतार देंगे’.

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नई दिल्ली: जैसे ही चुनाव आयोग ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनावों में संयुक्त वाम गठबंधन को विजयी घोषित किया, लाल झंडों की झड़ी और ढोल की थाप के बीच, धनंजय ने हवा में मुट्ठी उठाई और चिल्लाये: “जय भीम, लाल सलाम”, इस दौरान उनके साथ सैकड़ों छात्र भी शामिल थे, जिनके चेहरों पर लाल गुलाल लगा हुआ था और उनके नारों की आवाज़ें चारों ओर गूंज रहीं थीं.

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) के धनंजय ने कहा, “यह जीत उन किसानों के लिए है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए लड़ रहे हैं. ये जीत रोहित वेमुला की है. यह जीत एक स्पष्ट जवाब है कि ABVP और BJP की हमें रोकने की कोशिशों के बावजूद, हम डटे हुए हैं.”

यूनाइटेड लेफ्ट अलायंस ने शनिवार और रविवार की मध्य रात को जेएनयू के छात्र संघ चुनाव में चार में से तीन सीटों पर जीत हासिल की और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को हरा दिया. इस बीच बिरसा आंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (BAPSA) ने यूनाइटेड लेफ्ट के समर्थन से एक सीट जीती.

अध्यक्ष पद जीतने वाले धनंजय को 2,598 वोट हासिल हुए, जबकि एबीवीपी के उम्मीदवार उमेश सी. अजमीरा को केवल 1,676 वोट मिले. उपाध्यक्ष पद पर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के अविजीत घोष ने एबीवीपी की दीपिका शर्मा को हराया.

धनंजय बिहार के गया के रहने वाले हैं और वाम गठबंधन के अनुसार, 27 साल बाद वे JNUSU के दूसरे दलित अध्यक्ष हैं.

वामपंथी गठबंधन के समर्थन से एबीवीपी के अर्जुन आनंद को हराकर BAPSA उम्मीदवार प्रियांशी आर्य ने महासचिव का पद जीता. मतदान के दिन उनकी उम्मीदवार स्वाति सिंह का नामांकन रद्द होने के बाद यूनाइटेड लेफ्ट ने आर्य का समर्थन किया. सिंह भूख हड़ताल पर बैठ गए और रद्दीकरण को “चुनाव में खड़े होने से रोकने की कोशिश” बताया. यूनाइटेड लेफ्ट के ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) के मोहम्मद साजिद ने संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल की.

चार साल के अंतराल के बाद हुए चुनाव, एबीवीपी और यूनाइटेड लेफ्ट अलायंस – जिसमें AISA, SFI, AISF और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) शामिल थे – के बीच एक महामुकाबला हुआ और लेफ्ट ने इस दौरान क्लीन स्वीप कर दिया.

छात्र चुनावों से पहले, केंद्रीय विश्वविद्यालय ने राजनीतिक रणनीतियों में बदलाव देखा. एबीवीपी ने पहली बार एक आदिवासी को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया और अपने मैनिफेस्टो में आंबेडकर के मगशॉट का इस्तेमाल किया.

जैसे ही यूनाइटेड लेफ्ट की जीत की घोषणा हुई, सैकड़ों छात्र नारे लगाने लगे, नाचने लगे और एक-दूसरे को बधाई देने लगे. विजेता – धनंजय, अविजीत, मोहम्मद साजिद और आर्य – एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए एकत्र हुए जहां उन्होंने कथित तौर पर “हिंसा में शामिल होने” के लिए एबीवीपी पर हमला किया.

धनंजय ने छात्रों की तालियों और सीटियों के बीच कहा, “हमारी जीत इसका जवाब है.”

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जेएनयू और उसके छात्रों को बदनाम करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “भाजपा वाले प्रोपेगेंडा फैलाते हैं और कहते हैं कि जेएनयू के छात्रों को गोली मार देनी चाहिए. वो ऐसी फिल्में इसलिए बना रहे हैं ताकि दबे-कुचले लोगों की आवाज़ इस (जेएनयू) गेट से बाहर न जाए. इसलिए दुष्प्रचार करते रहते हैं.” उन्होंने कहा, “वाम गठबंधन की जीत 2024 के चुनावों से पहले देश भर के सभी छात्रों और युवाओं का जवाब है.”


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‘जेएनयू प्रशासन युवाओं के सपनों को मार रहा है’

धनंजय ने यह भी बताया कि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए छात्रों को किस तरह संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने कहा, “इस यूनाइटेड लेफ्ट पैनल में चार लोग थे, लेकिन हमारी एक कॉमरेड स्वाति का नामांकन रद्द कर दिया गया था. हम इसके लिए लड़ेंगे.”

फंड कटौती पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि सीटें कम कर जेएनयू प्रशासन युवाओं के सपनों को मार रहा है.

धनंजय ने कहा, “प्रशासन ने फंड में कटौती की, अधिशेष सीटें कम कर दीं. लाइब्रेरी के फंड में 80 फीसदी की कटौती कर दी. लाइब्रेरी एक यूनिवर्सिटी की आत्मा होती है. इस देश के युवा जेएनयू में पढ़ने का सपना देखते हैं, लेकिन सीटों में कटौती करके ये लोग उनके सपनों को मार रहे हैं. हम सुनिश्चित करेंगे कि उनके सपने मारे न जाएं.”

हाल ही में शामिल किए गए प्रोफेसरों को रेखांकित करते हुए नए अध्यक्ष ने कहा, “ऐसा लगता है कि प्रोफेसरों को काम पर रखने का एकमात्र मानदंड यह है कि उन्हें अक्षम होना चाहिए और आरएसएस का सदस्य होना चाहिए.”

उन्होंने कैंपस में यौन उत्पीड़न और होमोफोबिक शब्दों के इस्तेमाल की घटनाओं के बारे में भी बात की और कहा कि वे सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे मामले अनसुने न किए जाएं.

मणिपुर में हिंसा को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए धनंजय ने कहा, “हम देख रहे हैं कि कैसे दुनिया भर में कमजोरों पर अत्याचार हो रहा है और कैसे यह बेशर्म सरकार उनसे बात तक नहीं कर रही है. यह जीत 2024 के चुनावों के लिए जनादेश है कि देश के लोग (भाजपा को) गद्दी से उतार देंगे.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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