scorecardresearch
Saturday, 23 November, 2024
होमफीचरमुंबई का एक पुलिस अधिकारी कैसे बना कुत्तों का सबसे अच्छा दोस्त, क्रूरता के खिलाफ FIR भी दर्ज करते है

मुंबई का एक पुलिस अधिकारी कैसे बना कुत्तों का सबसे अच्छा दोस्त, क्रूरता के खिलाफ FIR भी दर्ज करते है

एमएचबी पुलिस स्टेशन के सुधीर कुडालकर स्ट्रीट डॉग्स को बचाने के मिशन पर हैं. इंस्टाग्राम पर लगभग 50,000 फॉलोअर्स के साथ वह सोशल मीडिया पर लोगों की पसंद बन गए हैं.

Text Size:

मुंबई: पिछले साल जून में, मुंबई के पश्चिमी उपनगर बोरीवली में एमएचबी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुधीर कुडालकर को एक व्हाट्सएप संदेश मिला कि पास की एक झुग्गी में एक आवारा कुत्ता बेहोश हो गया है. जिसके बाद वह मौके पर पहुंचे. तीन साल का वह कुत्ता खून से लथपथ और बेहोश था. उसके सिर पर लोहे की रोड से प्रहार किया गया था और घाव काफी गहरा था.

कुडालकर कुत्ते को तुरंत ही पास के अस्पताल में ले गए. कुत्ते को बचा लिया गया और एक महीने तक उसे चिकित्सा सहायता मिलती रही. सीनियर इंस्पेक्टर यहीं नहीं रुके. उन्होंने इलाके के उन दो लोगों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ़ क्रुएल्टी टू एनिमल एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई, जिन्होंने जानवर को पीटा था. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि कुत्ता उन पर भौंकता था और कई बार काट भी चुका था, इसलिए उन्होंने आत्मरक्षा में उस पर हमला किया. लेकिन पड़ोस के अन्य लोगों को ऐसी कोई शिकायत नहीं थी.

कुडालकर ने दिप्रिंट को बताया, “जब उसे छुट्टी दी गई, तो मैं कुत्ते को व्यक्तिगत रूप से उसके ऐरिया में ले गया और उसका स्वागत किया. मैं वहां यह संदेश देने गया था कि मैं कुत्ते के साथ देने के लिए उसके साथ हूं. अगर यह काटता है तो उन्हें मारने की बजाय अधिकारियों को सौंप देना चाहिए था. किसी और ने इसकी शिकायत नहीं की थी. इसका मतलब है कि उन्होंने (आरोपी) कुत्ते के साथ कुछ किया था.”

मामला अभी भी एक स्थानीय अदालत में चल रहा है और आरोपी जमानत पर बाहर हैं, लेकिन कुत्ता पूरे ऐरिया में स्वतंत्र रूप से रह रहा है और तब से कोई शिकायत नहीं हुई है.

धोखाधड़ी का भंडाफोड़ करने, चोरों को पकड़ने, हत्यारों पर नकेल कसने और कुत्तों को बचाने के बीच, 50 वर्षीय पुलिसकर्मी को अपराध की एक बड़ी श्रृंखला से पर्दा उठाना है. आवारा जानवरों को बचाने के मिशन पर, वह इंस्टाग्राम पर लगभग 50,000 फॉलोअर्स के साथ सोशल मीडिया पर लोगों की पसंद बन गए हैं. Gen-Y पुलिसकर्मी नियमित अपील करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करके और जानवरों के लिए मुंबई को सुरक्षित बना रहे हैं. और लोग उनके आह्वान पर बड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. 2020 में शुरू हुआ उनका प्योर एनिमल लवर (PAL) ग्रुप आज 7,000 लोगों का मजबूत नेटवर्क है.

The Gen-Y soft-spoken cop is making Mumbai safe for animals one neighbourhood at a time | Special arrangement
सुधीर कुडालकर मुंबई को एक समय में एक पड़ोस को जानवरों के लिए सुरक्षित बना रहे हैं | फोटो: विशेष व्यवस्था

यह भी पढ़ें: पेड़ों पर काली गुड़िया, देवी के पैरों के निशान — काला जादू कानून का महाराष्ट्र में बमुश्किल हुआ इस्तेमाल


PAL की शुरुआत

कुडालकर बचपन से ही पशु प्रेमी रहे हैं लेकिन 2020 की महामारी ने आवारा जानवरों को देखने का उनका नजरिया बदल दिया. महामारी के दौरान, कई लोगों ने अपने पालतू जानवरों को सड़कों पर छोड़ दिया, और उन्हें खाना खिलाना एक बड़ी समस्या बन रही थी क्योंकि लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे. कुडालकर कहते हैं, इससे ये जानवर असुरक्षित हो गए.

“महामारी के दौरान, खाना देने वाले नहीं थे, पशुओं के साथ क्रूरता बढ़ गई, होटल और रेस्तरां बंद हो गए, उस समय, कई लोगों (पशु फीडर) ने मुझसे संपर्क किया कि उन्हें जानवरों को खिलाने के लिए बाहर आने दिया जाए, जिसे मैंने पुलिस के माध्यम से सुविधाजनक बनाया.”

इस तरह PAL का जन्म हुआ. फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पहुंच पाने से पहले इसकी शुरुआत एक व्हाट्सएप ग्रुप के रूप में हुई थी. ग्रुप में पूरे मुंबई महानगर क्षेत्र के पशु प्रेमी, पशु कार्यकर्ता, जमीनी स्तर के फीडर और वकील शामिल हैं.

कुडालकर कहते हैं, कई समाजों में पशु प्रेमियों के साथ भेदभाव किया जाता है. कुछ लोगों को अपनी लिफ्टों में पालतू जानवरों को ले जाने की अनुमति नहीं है या सोसायटी परिसर में जानवरों को खिलाने के लिए जुर्माना लगाया जाता है. पशु अधिकारों पर अतिक्रमण करने वाले आरडब्ल्यूए जैसे नियमों से निपटने का मतलब कानूनी दंश झेलना है. तभी मुंबई पुलिस को लगा कि एक PAL कानूनी टीम बनाना जरूरी है, जिसमें अब 30 सदस्य हैं.

वे कहते हैं, ”हम यह कानूनी मदद बिना किसी शुल्क के प्रदान करते हैं क्योंकि कई सदस्य स्वयं पशु प्रेमी हैं.”

PAL के आज लगभग 11 उप-समूह हैं और प्रत्येक उप-समूह में 500-600 सदस्य हैं.

जब भी कोई सदस्य किसी जानवर को संकट में देखता है, तो वे इसे ग्रुप में डाल देते हैं और आस-पास के लोग जानवर की देखभाल करते हैं, ज़रूरत पड़ने पर उसे अस्पताल ले जाते हैं और उसकी देखभाल करते हैं.

कुत्तों को बचाने के इस काम से नई पहचान अर्जित करने वाले पुलिसकर्मी का कहना है, “स्वास्थ्य देखभाल उपचार के बाद, हम जानवरों को वहीं ले जाते हैं जहां वे रहते हैं क्योंकि उन्हें स्थानांतरित करना एक उचित विकल्प नहीं है.”

इस पहल के प्रमुख के रूप में एक पुलिस व्यक्ति का होना बहुत मददगार है.

पीएएल की लीगल टीम की वकील प्रीति सालस्कर कहती हैं, “यदि आपके पास एक वरिष्ठ निरीक्षक है, तो पुलिस तंत्र के माध्यम से नेविगेट करना आसान हो जाता है. इसलिए कभी-कभी जब हम उनका नाम लेते हैं तो पुलिस इसे गंभीरता से लेती है. यहां तक कि पीड़ितों के लिए भी प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है.”

PAL की एक अन्य सदस्य मानवी देवलेकर, पेशे से वकील, जो ग्रुप की एडमिन टीम में हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि कुडालकर के साथ होने पर, एफआईआर दर्ज करना या फॉलो-अप के माध्यम से नेविगेट करना आसान हो जाता है. उनके पक्ष में होने से विश्वास का कारक बढ़ जाता है.

जब मुंबई की एक सोसायटी ने पांच पिल्लों को अपने परिसर से बाहर किया गया, और उनके मां से अलग कर दिया गया जो बेचैन होकर उन्हें ढूंढ रही थी. यह कुडालकर ही थे जिन्होंने सोसायटी के निवासियों को जागरूक किया और पिल्लों को उनकी मां से मिलाने में मदद की.

देवलेकर कहते हैं, “अब सोसायटी के सदस्यों के साथ कोई समस्या नहीं है और कोई शिकायत नहीं है. तो हां, वह बहुत मददगार है.”

Kudalkar has been an animal lover since his childhood but the 2020 pandemic changed the way he looked at strays | Special arrangement
कुडालकर बचपन से ही पशु प्रेमी रहे हैं लेकिन 2020 की महामारी ने आवारा जानवरों को देखने का उनका नजरिया बदल दिया | फोटो: विशेष व्यवस्था

जानवरों को दुर्व्यवहार से बचाना

जानवरों को बचाने के लिए PAL का नेटवर्क अन्य संस्थाओं के साथ भी साझेदारी करता है. कभी-कभी अंधे या लकवाग्रस्त जानवरों के मामले सामने आते हैं जो अपने आप जीवित नहीं रह पाते. ऐसे मामलों को संभालने के लिए, PAL ने तीन शेल्टर होम्स – विरार, मीरा-भायंदर और मलाड-मध के साथ समझौता किया है.

अब तक, PAL समूह ने 50 से अधिक जानवरों को बचाया है और उन्हें शेल्टर होम्स में भेजा है.

आवारा जानवरों को बचाने और उन्हें सुरक्षित स्थान पर लाने के लिए धन की आवश्यकता होती है. और कुडालकर एंड कंपनी ने क्राउडफंडिंग का रास्ता अपनाया है. कुडालकर कहते हैं, जो कोई भी जानवर के इलाज के लिए फंड लेकर आता है, हम अपने ग्रुप में उनके नाम और राशि की घोषणा करते हैं, जिसे सभी देख सकते हैं.

वे कहते हैं, “तो दानकर्ता को पता है कि वह जो राशि भुगतान कर रहे हैं वह एक विशेष उपचार या भोजन के लिए है, हम रसीदों के स्क्रीनशॉट को उनके देखने के लिए ग्रुप में भी डालते हैं. इसलिए, यह सब पारदर्शी है और दानकर्ता आश्वस्त है कि पैसा कहां जा रहा है.”

ग्रुप में व्यवस्थापक, वित्त टीम और समन्वयक हैं, “ठीक उसी तरह जैसे एक कंपनी में होते हैं.”


यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र के गांव वालों ने रोकी विकसित भारत यात्रा, पूछा- मोदी क्यों भारत सरकार क्यों नहीं?


घर में पांच बिल्लियां, एक पुलिस स्टेशन में

कुडालकर अपनी पत्नी और एक बेटे के साथ मुंबई के विले पार्ले इलाके में रहते हैं. पालतू जानवरों के प्रति उनका प्यार तब शुरू हुआ जब कई साल पहले उनकी पत्नी, उनकी दोस्त और एक स्कूल के उप-प्रिंसिपल ने एक फ़ारसी बिल्ली को बचाया और उसे घर ले आए. तब से, उनके पास बिल्लियों की संख्या बढ़ गई है.

वर्तमान में, उनके पास पांच बिल्लियां हैं: दो मिश्रित नस्ल की और तीन फ़ारसी बिल्लियां. और उनमें से दो को उनकी पत्नी ने बचाया था.

पिछले कुछ वर्षों में जानवरों के साथ अपने काम के लिए, कुडालकर को कई प्रशंसाएं मिली हैं. पेटा से लेकर भारत के पशु कल्याण, महाराष्ट्र सरकार और पुलिस विभाग तक, पुलिस अधिकारी कई पुरस्कारों और प्रशंसा पत्रों के प्राप्तकर्ता हैं.

और जो कुडालकर के घर से शुरू होता है वह उनके कार्यस्थल-एमबीएच पुलिस स्टेशन तक फैला हुआ है.

आवारा कुत्तों और बिल्लियों का एक झुंड पुलिस स्टेशन क्षेत्र में और उसके आसपास घूमता रहता है, जो आगंतुकों का स्वागत करने के लिए तैयार रहता है. कुडालकर इन आवारा जानवरों के लिए हर दिन अपने कार्यस्थल पर पानी, भोजन ले जाते हैं. यहां तक कि जब वह आसपास नहीं होते, तब भी उन्हें यहां नियमित रूप से खाना खिलाया जाता है. वे थाने के स्थायी सदस्य बन गये हैं.

और लोला नाम की बिल्ली, यहां सबसे ज्यादा लोकप्रिय है.

पिछले साल जुलाई में कुडालकर का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर वायरल हुआ था. डेस्क के पीछे, कुडालकर के बजाय, कुर्सी पर एक काली और सफेद बिल्ली बैठी थी, जो कैमरे की ओर दृढ़ता से देख रही थी जैसे कि वह वहीं थी… एक बॉस की तरह.

वरिष्ठ पीआई सुधीर कुडालकर को लोला, सभी बिल्लियों और कुत्तों के बीच सबसे ज्यादा प्यारी है, जिसकी वह पुलिस स्टेशन के आसपास देखभाल करते हैं.

For his work with the animals, over the years, Kudalkar has received many accolades | Special arrangement
जानवरों के साथ अपने काम के लिए, पिछले कुछ वर्षों में, कुडालकर को कई प्रशंसाएं मिली हैं | फोटो: विशेष व्यवस्था

वह इंस्टाग्राम पर 46.5k फॉलोअर्स और केवल छह महीनों में बचाए गए जानवरों की कहानियों से भरे पेज के साथ कुडालकर की बड़ी फैन फॉलोइंग का कारण भी हैं.

लोला, जो हमेशा एमएचबी पुलिस स्टेशन के आसपास भटकती हुई पाई जाती थी, लापता हो गई थी. स्टेशन पर मौजूद सभी लोगों ने उसकी तलाश की. एक दिन, वह रहस्यमय तरीके से फिर से प्रकट हुई, कुडालकर के पैर पर हाथ फेरते हुए, अपने प्यार का दावा करने के लिए वापस आ गई.

उन्होंने उत्साहपूर्वक उनकी वापसी की ख़बर इंस्टाग्राम पर साझा की. कुडालकर ने कहा, “यह हमारे पहले वीडियो में से एक था जो वायरल हुआ.”

वीडियो को अब तक 395K से अधिक बार देखा जा चुका है और 52K लाइक्स मिले हैं, और कई अच्छे काॅमेंट्स भी मिले हैं जो उनका दिल भर देती हैं. किसी ने लोला को ‘IPS Kaalu’ कहा. जानवरों के साथ कुडालकर के काम की प्रशंसा करने वाले कई काॅमेंट्स हैं. एक पशु प्रेमी जानना चाहता था कि क्या लोला को गिरफ्तार किया गया था और उसकी हिरासत किसके पास थी.

कुडालकर ने उत्तर दिया, “वह मेरे दिल की हिरासत में है.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: ‘एक बड़ा कदम’— गुजरात सरकार ने GIFT सिटी में दी शराब बेचने की छूट, उद्योग जगत ने फैसले का किया स्वागत


share & View comments