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Thursday, 21 November, 2024
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‘हनुमान ड्रामा’ को ग्लोबल बनाने का मकसद, संस्कृत को दुनिया भर में पहुंचाना है

आदित्य नारायण धैर्यशील हक्सर ने दामोदर मिश्रा के हनुमन्नाटक का अंग्रेजी में अनुवाद किया है, जो वाल्मिकी रामायण के सबसे पुराने नाटकों में से एक है.

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नई दिल्ली: रिटायर्ड राजनयिक और अनुवादक 83 वर्षीय आदित्य नारायण धैर्यशील हक्सर भाषा की बाधाओं को तोड़ने के मिशन पर हैं. उन्होंने अपनी 2022 की किताब एंथोलॉजी ऑफ ह्यूमरस संस्कृत वर्सेज के साथ ऐसा किया, और अब, वह रामायण को वैश्विक स्तर पर ले जाना चाहते हैं. उनके इस मिशन में 11वीं सदी के राजा भोज के दरबारी कवि दामोदर मिश्रा के संस्कृत नाटक हनुमन्नाटक का अंग्रेजी में अनुवाद करना शामिल है.

हक्सर ने हाल ही में दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में अपने नए काम, हनुमान नाटक के लॉन्च के दौरान कहा, “कोई भी किताब या फिर लेख जब किसी विशिष्ट भाषा में लिखी जाती है तो वह केवल कुछ लोगों यह पाठकों तक ही सिमित रह जाती हैं, लेकिन जब हम उसे अन्य भाषाओं में ट्रांसलेट करते है उसकी पहुंच ज्यादा से ज्यादा लोगों तक हो जाती है, और मेरा एकमात्र मकसद ‘हनुमान ड्रामा’ को संस्कृत से इंग्लिश में ट्रांसलेट कर इसे अधिक से अधिक पाठकों तक पहुंचाना है.”

14 अंकों वाला एक महानाटक, ‘हनुमान’ सबसे पुराने नाटकों में से एक है जिसे वाल्मिकी रामायण के अनुरूप माना जाता है. हालांकि वेद प्रकाश उपाध्याय जैसे विद्वानों द्वारा इसका हिंदी में अनुवाद किया गया है, लेकिन नाटक ने अमर चित्र कथा कॉमिक पुस्तकों या ए के रामानुजन की थ्री हंड्रेड रामायण जैसी मुख्यधारा की साहित्यिक या लोकप्रिय संस्कृति का उल्लंघन नहीं किया है.

हनुमान ड्रामा दामोदर मिश्रा की ‘हनुमान’ नाटक का अनुवाद है. हनुमान राम कथा पर आधारित सबसे पुराने नाटकों में से एक है और इसकी नाट्य शैली ही इसे अन्य रामायण से अलग बनाती है.

हक्सर ने मिश्रा के काम को उसकी नाटकीय गुणवत्ता के कारण ही चुना. यह हनुमान के दृष्टिकोण से रचा गया महाकाव्य है और इसमें वह लेखक और अभिनेता हैं, इसलिए इसका नाम ‘हनुमान नाटक’ है.

‘हनुमान ड्रामा’ की शीर्षक की बात करते हुए राधा चक्रवर्ती कहती हैं, “मुझे लगता है कि इस शीर्षक के माध्यम से हनुमान को सेलिब्रेट किया गया है. हनुमान को केवल कहानी में किसी हीरो या किरदार के रूप में नहीं बल्कि एक लेखक के रूप में सेलिब्रेट किया गया है. इसमें वाल्मीकि की रामायण से बहुत सारी चीज़े अलग तरीके से पिरोये गए है. वाल्मीकि की रामायण एक कथा थी लेकिन यह एक नाटक है.”

यह बुक डिस्कशन जितना इस किताब, रामायण के अलग अलग रूपों के बारे में था उतना ही इसमें ट्रांसलेशन के महत्व पर भी ज़ोर दिया गया. संस्कृत, अनुवादक की भूमिका, एक अच्छी कहानी की शक्ति, और भारत से श्रीलंका और बाली तक सैकड़ों वर्षों से चली आ रही रामायण की विभिन्न पुनरावृत्तियां और व्याख्याएं चर्चा का विषय बनी रही.

दिल्ली के IIC में एएनडी हक्सर के ‘हनुमान ड्रामा’ का लॉन्च इवेंट | फोटो: अलमिना खातून | दिप्रिंट

माधवनला कथा (माधव और काम) के पहले अंग्रेजी अनुवाद सहित संस्कृत से 20 से अधिक अनुवादित रचनाएं प्रकाशित करने वाले हक्सर को पता है कि एक अनुवादक किसी भी लेख में नई जान कैसे डाल सकता है.

अनुवादक, लेखिका और पैनल की सदस्य राधा चक्रवर्ती ने कहा, किसी भी चीज़ का अनुवाद उसे कहने का एक अलग रूप देता है क्योंकि हर भाषा की अपनी अलग ख़ूबसूरती और चीज़ों को कहने का एक अलग तरीका होता है. मुझे लगता हैं कि अनुवाद लेख या किताब को पुनर्जीवन देता है.

हनुमान नाटक के माध्यम से, हक्सर पाठकों को प्राचीन काल के सामाजिक संरचनाएं, पारिवारिक संबंध, पदानुक्रम, नैतिकता और जीवन का लेखा-जोखा प्रदान करते हैं.

चक्रवर्ती ने दिप्रिंट को बताया कि, “यह किताब हमें आज हमारी अपनी दुनिया के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सवालों के बारे में सचेत करती है, खासकर मानव, पशु और प्राकृतिक दुनिया के बीच बदलते संबंधों, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के तरीकों और समाज में महिलाओं की स्थिति के बारे में.”


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हक्सर ने हनुमान नाटक को क्यों चुना?

हक्सर को इस बात ने आकर्षित किया कि मिश्र के हनुमन्नाटक में रावण का चित्रण कैसे किया गया था. इसमें लंका के राजा को कालिदास और वाल्मिकी से अलग दिखाया गया है.

चक्रवर्ती ने कहा, हनुमान नाटक में रावण को सीता के प्रति जुनूनी और राम के प्रतिद्वंद्वी के रूप में प्रस्तुत किया गया है, और उसकी क्रूरता से अधिक उसके जुनून पर जोर दिया गया है.

श्याम सरन, पूर्व विदेश सचिव और आईआईसी अध्यक्ष ने कहा, “इसमें रामायण को एक बहुत ही मानवीय दृष्टिकोण से पिरोया गया है, यह आपको रामायण और उसके मुख्य पात्रों के बारे में एक अलग रंग और राय प्रस्तुत करता है, संस्कृत संस्कृति और धर्म से कही बढ़कर है.”

यदि सरन मिश्रा की धर्मनिरपेक्ष कहानी कहने की ओर आकर्षित हुए, तो दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में अंग्रेजी के एसोसिएट प्रोफेसर देबराज मुखर्जी इसके “कला और धर्म के बीच गहरे संबंध” से प्रभावित हुए.

उन्होंने कहा, “वह हमारे बीच एक धर्मनिरपेक्ष साहित्य और संस्कृत का आयाम लेकर आए हैं.”

अनुवाद का महत्त्व

कोई भी व्याख्या अनुवादक के बिना संभव नहीं होती है. वे वार्ताकार हैं जिनके बिना महाकाव्य और कहानियां सीमाओं के भीतर कैद होकर रह जाती हैं. उनके बिना, अंग्रेजी बोलने वाले पाठक कभी भी होमर या दांते एलघिएरी या फ्योडोर दोस्तोयेव्स्की, या यहां तक कि महाभारत और रामायण भी नहीं पढ़ पाते.

चक्रवर्ती कहती हैं कि मेरे लिए अनुवाद एक मिशन जैसा होता है. यह किसी भी लेख या किताब को नया जीवन देने जैसा होता है.

उन्होंने कहा कि “अनुवाद में हम [किसी लेख को] शब्द दर शब्द नहीं लिखते हैं या उसे बिल्कुल पिछले जैसा नहीं बनाते हैं. हम इसकी रचना एक नए तरीके से करते हैं.”

हक्सर, जिन्होंने कालिदास, भास और वात्स्यायन को अंग्रेजी भाषी पाठकों की एक पीढ़ी तक पहुंचाया, ने कार्यक्रम के अंत तक इसे ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुंचाने पर ही जोर दिया.

“आज के इस डिस्कशन का मकसद किताब की गहराई में जाकर इसपर चर्चा करना नहीं है बल्कि इस किताब का अनुवाद करके इसे ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाना हैं.”


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