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Thursday, 19 December, 2024
होमचुनावBJP से नहीं मिला टिकट, भैरों सिंह शेखावत के दामाद की बगावत — ‘पूर्व VP की विरासत को बदनाम करने की रणनीति’

BJP से नहीं मिला टिकट, भैरों सिंह शेखावत के दामाद की बगावत — ‘पूर्व VP की विरासत को बदनाम करने की रणनीति’

राजस्थान चुनाव के लिए बीजेपी ने 7 सांसदों को लिस्ट में शामिल किया है. शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी की जगह राजसमंद सांसद दीया कुमारी को दी गई.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस सोमवार को राजस्थान चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की, जिसके तुरंत बाद, कम से कम एक दर्जन सीटों पर विरोध प्रदर्शन, नारेबाजी और नाराज़गी सामने आईं — सबसे जोरदार आवाज़ तीन बार के विधायक नरपत सिंह राजवी की थी, जिनकी जगह विद्याधर नगर में सांसद दीया कुमारी ने ली है.

बता दें कि राजवी पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के दामाद हैं.

विद्याधर नगर विधायक ने दिप्रिंट को बताया, “यह भैरों सिंह शेखावत की विरासत को बदनाम करने की रणनीति है. यह चौंकाने वाली बात है कि मेरे यहां से मौजूदा विधायक होने के बावजूद पार्टी ने उम्मीदवार को बदल दिया है…मैं आहत हूं और आने वाले दिनों में अपनी भविष्य की रणनीति तय करूंगा.”

बीजेपी की पहली लिस्ट में घोषित 41 सीटों में से विद्याधर नगर ही पार्टी के पास थी. जिन सीटों पर उम्मीदवारों की पसंद को लेकर हंगामा हुआ, उनमें विद्याधर नगर, झोटवाड़ा, किशनगढ़, नगर, टोंक, सांचौर और कोटपूतली प्रमुख हैं, जिनमें से कुछ उम्मीदवारों का दावा है कि वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे से उनकी निकटता के कारण उन्हें टिकट की कीमत चुकानी पड़ी.

पार्टी ने कुल मिलाकर सात सांसदों को पहली सूची में शामिल किया है. पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि विद्रोह को भांपते हुए बीजेपी ने असंतुष्ट नेताओं को शांत करने और उन्हें पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ने से रोकने के लिए मंगलवार को बाड़मेर के सांसद और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया.

सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री और पार्टी के राज्य प्रभारी प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को राजवी से मुलाकात की, जबकि कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं ने राजपाल सिंह शेखावत से मुलाकात की, जिन्हें झोटवाड़ा से टिकट नहीं दिया गया था.

राजस्थान बीजेपी महासचिव भजनलाल शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, “पार्टी नेताओं को स्वतंत्र रूप से लड़ने से रोकने की कोशिश कर रही है क्योंकि इससे हमारी संभावनाएं कमज़ोर हो जाएंगी…सांसदों की उम्मीदवारी के खिलाफ विरोध की खबरें आई हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हर कोई पार्टी के लिए काम करेगा. पार्टी ने केवल सर्वे और फीडबैक रिपोर्ट के आधार पर टिकट दिए हैं.”

चुनाव आयोग (ईसी) के कार्यक्रम के अनुसार, राजस्थान में 200 सीटों के लिए 25 नवंबर को वोटिंग होगी और नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.


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ज्यादा सीटों पर बगावत?

पार्टी ने झोटवाड़ा से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा है. 2018 में वसुंधरा राजे के विश्वासपात्र राजपाल सिंह शेखावत ने यहां से चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके थे. झोटवाड़ा राठौड़ के संसदीय क्षेत्र जयपुर ग्रामीण के अंतर्गत आता है.

शेखावत ने इस घटनाक्रम के विरोध में मंगलवार को अपने समर्थकों के साथ जयपुर में राजे से मुलाकात की. समर्थकों ने जयपुर में पार्टी के राज्य कार्यालय में राठौड़ के खिलाफ नारे लगाए, जैसा कि मीडिया में बताया गया था.

शेखावत ने दिप्रिंट से कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा कि पार्टी ने मुझे क्यों दरकिनार किया है. मैं 1990 से कई बार विधायक रहा हूं. राठौड़ जूनियर हैं. एक अखबार के हालिया सर्वे के अनुसार, मेरे निर्वाचन क्षेत्र के 62 प्रतिशत लोग मेरी उम्मीदवारी चाहते थे…मुझे नहीं पता कि भाजपा ने किस सर्वे का इस्तेमाल किया है.”

यह आरोप लगाते हुए कि राजे के साथ जुड़ाव के कारण ही उनकी संभावनाएं खत्म हो सकती हैं, उन्होंने कहा, “वसुंधरा जी पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और उनके साथ संबंध कोई पाप नहीं है…जिस तरह से पार्टी ने मुझे टिकट नहीं दिया उससे मैं आहत हूं…उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.”

किशनगढ़ से पार्टी ने अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी को टिकट दिया है, जिसका विरोध विकास चौधरी ने किया है, जिन्होंने 2018 में वहां से असफल रूप से चुनाव लड़ा था. मंगलवार को अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए वह भावुक हो गए और कहा, “मैंने पिछले पांच साल से इस क्षेत्र में काम किया है, लेकिन भागीरथ चौधरी ने मेरा करियर खत्म कर दिया…उन्होंने कभी मेरा समर्थन नहीं किया.”

उन्हें वीडियो में कहते हुए सुना जा सकता है, “2018 में, मुझे आखिरी समय पर मैदान में उतारा गया था. हालांकि, जीतना कठिन था, फिर भी मैंने चुनाव लड़ा. इस बार, रणनीति मुझे राजनीतिक रूप से खत्म करने की है.”

नगर सीट पर भी विद्रोह पनप रहा है, जहां पार्टी ने जवाहर सिंह बेदाम को मैदान में उतारा है, जिससे अनीता सिंह गुर्जर ने अवसर गंवाने के लिए राजे के प्रति अपनी निकटता को जिम्मेदार ठहराया है.

उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया, “कई लोग मेरी उम्मीदवारी के बारे में पूछने के लिए मुझे फोन कर रहे हैं. मेरी वसुंधरा जी से निकटता के कारण भाजपा ने मुझे टिकट नहीं दिया है. इसके बजाय, उन्होंने ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया जो दूसरे निर्वाचन क्षेत्र में 50,000 वोटों से हार गया था. यहां तो उसकी ज़मानत भी जब्त हो जाएगी.”

सांचौर में दानाराम चौधरी के समर्थकों ने टिकट दिए जाने पर सांसद देवजी पटेल के खिलाफ मंगलवार को धरना शुरू कर दिया. चौधरी ने दिप्रिंट से कहा, “हमारे समर्थक सांसदों को मैदान में उतारने के खिलाफ हैं. हमने पांच साल तक क्षेत्र में काम किया, लेकिन आखिरी समय में पार्टी ने एक सांसद को विधानसभा चुनाव में उतार दिया. यह कैसे उचित है कि इस उम्मीदवार को लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला और अब वह विधानसभा चुनाव भी लड़ेगा? अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए क्या बचा है?”

इसी तरह कोटपूतली में मुकेश गोयल ने पार्टी की पसंद हंसराज पटेल गुर्जर का विरोध किया. यह दावा करते हुए कि वह स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरने के इच्छुक नहीं हैं, गोयल ने दिप्रिंट को बताया, “पार्टी ने ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है जिसने पहले भी पार्टी को धोखा दिया है…पार्टी ने कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान नहीं किया.”

टोंक से 2018 का चुनाव लड़ने वाले राजेंद्र गुर्जर के समर्थकों ने विजय बैंसला की उम्मीदवारी के विरोध में मंगलवार को जयपुर में पार्टी राज्य मुख्यालय तक मार्च किया.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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