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Wednesday, 20 November, 2024
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‘नंगा करके घुमाएंगे’- पंचायत ने 5 साल तक किया परिवार का सामाजिक बहिष्कार, खाप सदस्यों पर मामला दर्ज

बहु द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के 4 साल बाद चरखी दादरी कोर्ट के आदेश पर 36 ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. कोर्ट ने इस बात की भी जांच करने को कहा कि क्या पुलिस ने मामले में कोई लापरवाही बरती है.

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गुरुग्राम: हरियाणा के चरखी दादरी जिले में एक स्वयंभू “खाप पंचायत” के सदस्यों पर एक युवा विवाहित जोड़े और उनके परिवार के सामाजिक बहिष्कार के लिए अदालत के आदेश पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है. पिछले पांच वर्षों से इस परिवार को समाज से अलग कर दिया गया है, और ये डर में जीने को मजबूर है.

जाट समुदाय से संबंधित यह जोड़ा अलग-अलग गोत्रों या कुलों से था (समुदाय में गोत्रों के भीतर विवाह निषिद्ध है), लेकिन एक ही खाप (क्षेत्र-आधारित सामाजिक संगठन) – सांगवान खाप – के अंतर्गत आने वाले दो अलग-अलग गांवों से थे. मामले में एफआईआर दर्ज की गई है, जिसकी एक काॅपी दिप्रिंट के पास भी है.

20 सितंबर को झोझू कलां पुलिस स्टेशन में पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में सांगवान खाप के तहत मंडोला और अन्य गांवों के 36 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था.

ग्रामीणों ने कथित तौर पर 2018 में नीतीश कुमार के परिवार के बहिष्कार की घोषणा की थी और धमकी दी थी कि अगर उन्होंने अपने बेटे की शादी नहीं तोड़ी तो वे उन्हें गांव में नंगा करके घुमाएंगे.

एफआईआर चरखी दादरी के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रामअवतार पारीक के 10 अगस्त के आदेश के बाद सामने आई. निशु कुमारी द्वारा जुलाई 2019 में अदालत में एक आपराधिक शिकायत दर्ज किए जाने के चार साल बाद, जिसकी शादी मंडोला गांव के निवासी नीतीश से हुई थी, जो इनमें से एक 40 सांगवान खाप के अधीन आता है और जिसके कारण उनके परिवार का बहिष्कार हुआ.

अदालत ने पुलिस को यह जांच करने का भी निर्देश दिया है कि क्या झोझू कलां पुलिस स्टेशन के अधिकारी और महिला हेल्पलाइन प्रभारी ने अपने काम में लापरवाही की. इन अधिकारियों पर इस मामले में परिवार की शिकायतों को नजरअंदाज करने का आरोप है.

दिप्रिंट के पास जो एफआईआर है, वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 141 (आपराधिक बल या आपराधिक बल के प्रदर्शन से भयभीत करना), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 452 (किसी को चोट पहुंचाने के इरादे से घर में अतिक्रमण), 503 (आपराधिक धमकी) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत दर्ज की गई है.

दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर, झोझू कलां पुलिस स्टेशन के वर्तमान SHO इंस्पेक्टर कमरूद्दीन ने पुष्टि की कि FIR दर्ज कर ली गई है और कहा कि आरोपियों के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.

दिप्रिंट से बात करते हुए, नीतीश के 54 वर्षीय पिता कृष्ण कुमार ने कहा कि उनका परिवार तब से लगातार डर में जी रहा है जब से उन्हें बहिष्कृत किया गया है.

उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने बेटे और बहू को गांव से बाहर भेज दिया है और उन्हें दोबारा कभी न आने के लिए कहा है, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी और बुजुर्ग पिता के साथ खुद वहीं रुकने का फैसला किया, ताकि वे अपने खेतों की देखभाल कर सकें.

कुमार ने कहा कि निशु और नीतीश हरियाणा के एक शहर में रहते थे और पेशे से शिक्षक थे. दिप्रिंट ने कॉल के ज़रिए नीतीश से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में मंडोला में परिवार की स्थिति में सुधार हुआ है और उन्हें अपने समुदाय से कुछ तरीकों से समर्थन मिल रहा है.

चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान, जो हरियाणा विधानसभा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा-जेजेपी सरकार का समर्थन करते हैं, सांगवान खाप के अध्यक्ष हैं. हालांकि, निशु की शिकायत के अनुसार, वह उस सभा का हिस्सा नहीं थे जिसने नीतीश के परिवार के बहिष्कार का फरमान जारी किया था.

दिप्रिंट कॉल के जरिए सोमबीर सांगवान तक पहुंचा. प्रतिक्रिया मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट की जाएगी.


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महिला की शिकायत

एफआईआर के मुताबिक, जाट समुदाय से आने वाले और रामलवास गांव के निवासी सज्जन (केवल पहला नाम उल्लेखित है) की 22 वर्षीय बेटी निशु ने मंडोला गांव के जाट कृष्ण कुमार के बेटे नीतीश कुमार से 14 अगस्त, 2018 को दिल्ली में आर्य समाज मंदिर में शादी की थी.

अदालत में दायर अपनी आपराधिक शिकायत में, निशु ने कहा कि शादी के बाद, जोड़ा मंडोला में रहने चला गया, लेकिन चूंकि उसके माता-पिता शुरू में शादी के विरोध में थे, इसलिए जोड़े ने चरखी दादरी के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में उस वर्ष सितंबर में सुरक्षा के लिए एक आवेदन दायर किया था.

उन्होंने कहा कि वह नेहरा गोत्र से हैं जबकि उनके पति सांगवान गोत्र से हैं. निशु ने कहा, “यहां तक कि नीतीश की मां और दादी का गोत्र भी मेरी मां और दादी के गोत्र से अलग है.”

शिकायत के अनुसार, सुरक्षा के लिए आवेदन दायर करने के बाद, निशु के माता-पिता ने शादी के लिए सहमति दे दी और उसके पति के परिवार ने 22 सितंबर, 2018 को मंडोला में एक शादी समारोह आयोजित करने का फैसला किया था. लेकिन कार्यक्रम से एक दिन पहले, नीलम रानी, जो उस समय गांव की सरपंच थी और रामलवास गांव का एक निवासी राम कुमार अन्य ग्रामीणों के साथ उनके आवास पर पहुचें.

उन्होंने धमकी दी कि शादी सामाजिक मानदंडों के खिलाफ है और अगर इसे रद्द नहीं किया गया तो पूरे परिवार को गांव से बाहर कर दिया जाएगा. शिकायत में कहा गया कि उन्होंने यह भी धमकी दी कि अगर परिवार ने आदेशों का पालन नहीं किया, तो उन सभी को गांव में नंगा करके घुमाया जाएगा और पीट-पीटकर मार दिया जाएगा.

निशु ने शिकायत में कहा, “वे हमारे आवास पर आए और हमें लोगों की एक सभा में आने के लिए मजबूर करने लगे…. हालांकि, पंचायत में हिंसा के डर से, हम उनके साथ तब तक नहीं गए जब तक वे हमें लिखित नोटिस देने के लिए तैयार नहीं हुए. बाद में, वे लोग गांव के स्कूल में इकट्ठे हुए और हमारे परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने की घोषणा की.”

उन्होंने दावा किया कि परिवार ने गांव के सदस्यों के खिलाफ आदमपुर पुलिस चौकी में एक लिखित शिकायत दी और महिला हेल्पलाइन 1091 पर कॉल किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

उन्होंने कहा कि परिवार द्वारा स्थानीय पुलिस, पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और अन्य अधिकारियों से की गई बाद की शिकायतों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई, जिससे उनके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.


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‘दिन भर अकेले बैठे रहते थे’

निशु के अनुसार, नीतीश का परिवार पिछले पांच वर्षों से मंडोला में उत्पीड़न सह रहा है और यहां तक कि उन्हें अपने खेतों में जाने से भी रोक दिया गया है.

पंचायत सदस्य कथित तौर पर झोझू कलां में आर्य कॉलेज ऑफ एजुकेशन भी गए और प्रबंधन से नीतीश की मां शर्मिला को कॉलेज में लिपिक की नौकरी से हटाने के लिए कहा. निशु ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि सांगवान खाप ने कॉलेज को बहिष्कार की धमकी दी और बाद में शर्मिला को जाने दिया गया.

कृष्ण कुमार ने कहा, “दो साल तक, हम अपने खेतों में कोई फसल नहीं उगा सके क्योंकि पंचायत ने अन्य ग्रामीणों को अपने ट्रैक्टर हमें किराए पर देने से रोक दिया था. कोई भी ग्रामीण हमें अपने खेतों की सिंचाई के लिए पैसे के बदले पानी नहीं दें रहा था. यहां तक कि दैनिक उपयोग के लिए भी हमें किराने का सामान चरखी दादरी से लाना पड़ता था.”

उन्होंने कहा कि युवाओं के के लिए मंडोला में एक कबड्डी अकादमी है. उन्होंने दावा किया, “मेरे पास एक आवास था जिसे मैंने उनके लिए छात्रावास में बदल दिया था. लेकिन पंचायत ने अकादमी मालिक पर मेरा हॉस्टल खाली कराने का दबाव डाला.”

कुमार के अनुसार, बहुत कम लोग उन्हें गांव में शादियों या अन्य कार्यक्रमों में आमंत्रित करते थे और उन्होंने कहा कि 60 के दशक में उनके पिता, आत्मा राम की पिछले साल फरवरी में “अकेलेपन” के कारण निधन हो गई.

उन्होंने कहा, “गांव के बहुत कम लोग हमारे परिवार से बात करते थे, इसलिए वह दिन भर अकेले खाट पर बैठे रहते थे.”

हालांकि, कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि पिछले कुछ वर्षों में, परिवार के लिए चीजें थोड़ी बेहतर हो गई हैं. उन्होंने कहा, “हमारे अपने समुदाय के कई ग्रामीण अब हमारे साथ हैं. उनकी पत्नी शर्मिला ने नवंबर 2022 में हुए पंचायत चुनाव लड़ा और उनके वार्ड से जीतकर पंच बनीं.”

उन्होंने कहा, “खाप पंचायतों में जाट गोत्र शामिल होते हैं, लेकिन जब वोट देने की बात आती है, तो अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों सहित सभी जातियों के लोग वोट डालते हैं.”

परिवार ने अपनी सिंचाई की जरूरतों का प्रबंधन करना भी शुरू कर दिया है और धीरे-धीरे अपने खेतों में काम करने के लिए रात में पड़ोसी गांव से किराए पर ट्रैक्टर लाना शुरू कर दिया है.

कोर्ट का आदेश

10 अगस्त को जारी अपने आदेश में, जो दिप्रिंट के पास उपलब्ध है, चरखी दादरी न्यायाधीश ने कहा कि निशु की शिकायत की सामग्री शक्ति वाहिनी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर एक संज्ञेय अपराध की ओर इशारा करती है.

उस मामले में, अदालत ने मार्च 2018 में कहा था कि खाप पंचायत के लिए सहमति से दो वयस्कों को एक-दूसरे से शादी करने से दंडित करना या रोकना अवैध था.

निशु की शिकायत में 40 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 36 मंडोला और अन्य गांवों के सदस्य थे, जिन्होंने कथित तौर पर नीतीश के परिवार के सामाजिक बहिष्कार का फरमान जारी किया था.

चार अन्य लोगों में झोझू कलां पुलिस स्टेशन के तत्कालीन SHO जग राम, आदमपुर में पुलिस चौकी प्रभारी पवन कुमार, पुलिस स्टेशन में एक सहायक उप-निरीक्षक राकेश कुमार और महिला हेल्पलाइन की प्रभारी मनीषा शामिल हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने परिवार की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की.

अदालत ने शिकायत में नामित 36 ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया और कहा कि अगर बाकी लोग कर्तव्य में लापरवाही के दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ एक अलग एफआईआर दर्ज की जा सकती है.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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