नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी की पत्नी, एलिजाबेथ एंटनी ने दावा किया है कि उनके बेटे अनिल एंटनी वंशवादी राजनीति के खिलाफ कांग्रेस शासन के कारण इस साल अप्रैल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए. शनिवार को कई सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो इंटरव्यू में एलिजाबेथ ने कहा कि एक स्थानीय पादरी ने फैसला स्वीकार करने में उनकी मदद की.
उन्होंने कहा, “मैं फादर जोसेफ के पास गई. उन्होंने कहा कि उनकी वापसी के लिए प्रार्थना मत कीजिए. वहां उनका सौभाग्य होगा. इससे मेरा मन शांत हो गया. यह सुनकर भाजपा के प्रति मेरा सारा गुस्सा और आपत्तियां दूर हो गईं. मौके पर ही मैंने उनकी बातों से दिल थाम लिया.”
अनिल एंटनी इस साल की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुए और अगस्त में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया गया.
एशियानेट न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में एलिजाबेथ ने कहा कि पिछले साल उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में “वंशवाद की राजनीति के खिलाफ” एक प्रस्ताव लिया गया था.
उन्होंने दावा किया, “कांग्रेस में शामिल होना मेरे बेटे का बड़ा सपना था, लेकिन चिंतन शिविर में कार्य समिति की बैठक में उन्होंने (कांग्रेस ने) वंशवादी राजनीति के खिलाफ रुख अपनाया.”
उन्होंने आगे कहा, “इसका मतलब है कि मेरे दोनों बेटे राजनीति में शामिल नहीं हो पाएंगे. मेरे बेटे की किस्मत यह है कि वह 38 साल का है.”
उदयपुर चिंतन शिविर ने “एक परिवार, एक टिकट” की वकालत की थी — जिसका अर्थ है कि एक परिवार के केवल एक सदस्य को एक चुनाव के लिए टिकट दिया जाएगा.
पार्टी ने आगे स्पष्ट किया था कि यह नियम परिवार के उन सदस्यों पर लागू होगा जो परिवार के एक सदस्य के कहने पर पांच साल से कम समय पहले शामिल हुए थे. जो लोग कम से कम पांच साल तक संगठन में रहे होंगे उन्हें नियम से छूट दी जाएगी.
‘वापसी की प्रार्थना मत कीजिए’
अनिल के बीजेपी में शामिल होने के बारे में बात करते हुए एलिजाबेथ ने कहा, “मेरे बेटे ने मुझे फोन किया और कहा, अम्मा मुझे पीएमओ से फोन आया है. उन्होंने मुझे बीजेपी में शामिल होने के लिए कहा है.” उन्होंने कहा, “अगर मैं भाजपा में शामिल होता हूं, तो मेरे पास कई मौके होंगे.”
कांग्रेस में अपनी आस्था दोहराते हुए एलिजाबेथ ने आगे कहा, “हम जिस चीज़ में विश्वास करते हैं वो कांग्रेस पार्टी है. बीजेपी में शामिल होने के विचार से मुझे दुख होता है.”
इसके बाद उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने एक स्थानीय चर्च के पादरी से सलाह ली थी, जिन्होंने उन्हें बताया था कि भाजपा में शामिल होना अनिल के लिए सबसे अच्छा विकल्प है.
जनवरी में दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में अनिल ने कहा था कि राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में 2002 के गुजरात दंगों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में बीबीसी की दो-भाग वाली डॉक्यूमेंट्री पर उनके विचारों को लेकर उन्हें निशाना बनाया गया था.
अनिल ने उस समय कहा था कि “पूर्वाग्रहों के लंबे इतिहास वाले राज्य-प्रायोजित चैनल” के विचारों को एक संप्रभु राष्ट्र के विचारों पर प्राथमिकता नहीं दी जा सकती है. उनके भाई अजित ने तब कहा था कि भाजपा उनका इस्तेमाल करेगी और फिर उन्हें “कड़ी पत्ते” की तरह बाहर फेंक देगी.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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