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Friday, 22 November, 2024
होमदेशपूर्व CJI रमन्ना की नियुक्ति से 'स्तब्ध' होकर शीर्ष मध्यस्थ श्रीराम पंचू ने सिंगापुर पैनल से दिया इस्तीफा

पूर्व CJI रमन्ना की नियुक्ति से ‘स्तब्ध’ होकर शीर्ष मध्यस्थ श्रीराम पंचू ने सिंगापुर पैनल से दिया इस्तीफा

पिछले साल, पंचू ने हैदराबाद स्थित मध्यस्थता केंद्र IAMC की स्थापना में भागीदारी को लेकर तत्कालीन CJI रमन्ना पर हमला किया था. अब रमन्ना ने सिंगापुर स्थित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के साथ MOU पर हस्ताक्षर किए हैं.

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नई दिल्ली: CJI के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हैदराबाद स्थित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता और मध्यस्थता केंद्र (IAMC) की स्थापना में उनकी भूमिका को लेकर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) एन.वी. रमन्ना पर हमला शुरू करते हुए श्रीराम पंचू ने सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के पैनल से त्यागपत्र दे दिया है. उन्होंने अपने त्यागपत्र में रमन्ना पर जमकर हमला किया और कई सवाल खड़े किए हैं. श्रीराम पंचू इस संस्था में एक प्रमुख मध्यस्थ और मद्रास उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील हैं.

पंचू का इस्तीफा SIMC द्वारा पिछले महीने IAMC के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर करने की घोषणा के बाद आया है. इस समझौते के बाद दोनों को आगे की मध्यस्थता के लिए साझेदारी करने की अनुमति मिली है. SIMC ने यह भी घोषणा की कि रमन्ना को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थों के पैनल में “विशेषज्ञ मध्यस्थ” नियुक्त किया गया है.

फिर, 31 अगस्त को, पंचू ने रमन्ना की नियुक्ति के विरोध में SIMC के अंतर्राष्ट्रीय पैनल से इस्तीफा देते हुए एक पत्र भेजा. दिप्रिंट द्वारा देखे गए पत्र में कहा गया है कि पूर्व CJI के साथ जुड़ने के SIMC के फैसले से पंचू “आश्चर्यचकित, स्तब्ध और दुखी” हैं.

उन्होंने लिखा, “मैं ऐसे किसी पैनल में नहीं रहना चाहता, जिसके सदस्य श्री रमन्ना हों. साथ ही मैं न ही ऐसे किसी संगठन का हिस्सा बनना चाहता हूं जिसमें वह किसी भी प्रकार से जुड़े हों.”

IAMC का उद्घाटन न्यायमूर्ति रमन्ना द्वारा 2021 में हैदराबाद के बाहरी इलाके नानकरामगुडा में किया गया था. उस वक्त वह भारत के मुख्य न्यायाधीश थे. उसी समय से IAMC बड़े विवाद का विषय रहा है.

पिछले साल, कई वरिष्ठ वकीलों के बीच यह एक सार्वजनिक वाकयुद्ध का विषय बन गया था. इसकी शुरुआत पंचू द्वारा द वायर में लिखे गए एक आर्टिकल से हुई, जिसमें उन्होंने कई चिंताओं को उजागर किया गया था.

उनके आर्टिकल में इस बात पर जोर दिया गया था कि यह न्यायाधीशों द्वारा “न्यायिक कार्यालय का उपयोग अपने पूर्व सहयोगियों या खुद को सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों के लाभ के लिए करने” की प्रवृत्ति को दर्शाता है. इसमें यह भी कहा गया है कि ट्रस्ट ने “जाहिर तौर पर तेलंगाना राज्य सरकार से जमीन मांगी थी, जिसे उसने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया”.

जबकि न्यायमूर्ति नागेश्वर राव जून 2022 में सेवानिवृत्त हो गए, न्यायमूर्ति कोहली अभी भी सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश हैं और अगले साल सेवानिवृत्त होंगे. इस बीच, पूर्व CJI रमन्ना अगस्त 2022 में सेवानिवृत्त हो गए.

पंचू के लेख का खंडन पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के. कन्नन के एक जवाबी आर्टिकल में और वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन के एक अन्य आर्टिकल में किया गया था, दोनों लाइवलॉ में प्रकाशित हुए थे.


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CAG जांच की मांग 

पिछले साल IAMC की स्थापना में उनकी भूमिका के संबंध में रमन्ना के “अवैध कृत्यों” की जांच की मांग करने के लिए कई मध्यस्थ एक साथ आए थे.

प्रतिनिधित्व पर पंचू सहित 65 कानूनी पेशेवरों और मध्यस्थों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे. इसमें पंचू द्वारा लगाए गए कई आरोपों को दोहराया गया था. इसमें तत्कालीन CJI के कई भाषणों का हवाला देते हुए दावा किया गया कि वह “केंद्र को बढ़ावा दे रहे थे और केंद्र के लिए व्यवसाय की मांग करने के लिए अपने आधिकारिक पद का उपयोग कर रहे थे.” इसमें यह भी दावा किया गया है कि “जस्टिस रमन्ना ने तेलंगाना सरकार से लगभग बड़े पैमाने पर वित्तीय लाभ प्राप्त किया है.” इसमें दावा किया गया कि इसके केंद्र के लिए हाई-टेक सिटी में 5 एकड़ जमीन और 250 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं.

आरोप लगाया गया कि इस तरह की कार्रवाइयों के माध्यम से न्यायमूर्ति रमन्ना ने “भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने पद पर रहते हुए, पैसे लेकर वाणिज्यिक मामलों के लिए मध्यस्थता का काम किया और व्यावसायिक गतिविधि” की, जो आचार संहिता के खिलाफ है.

इसमें भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक- देश की सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्था- से आरोपों की जांच कराने की भी मांग की गई है, “क्योंकि इसमें तेलंगाना सरकार द्वारा प्रक्रिया और औचित्य की अनदेखी करके सार्वजनिक धन और संपत्तियों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग शामिल है”.

‘रमन्ना के लिए जज या जस्टिस शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकते’

पंचू के त्याग पत्र में कहा गया है: “श्री रमन्ना (मैं न्यायाधीश या जस्टिस शब्द का उपयोग करने में सक्षम नहीं हूं) ने वस्तुतः एक निजी उद्यम, अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता और मध्यस्थता केंद्र (IAMC) की हैदराबाद में शुरुआत करके मध्यस्थता और न्यायिक औचित्य को बहुत नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने यह तब किया जब वह देश की न्यायपालिका का नेतृत्व कर रहे थे.”

इस्तीफे में केंद्र के खिलाफ पंचू के कुछ पिछले आरोपों को दोहराया गया है. इसमें कहा गया है, “उनके अनुरोध पर और स्पष्ट रूप से उनके (रमन्ना के) संरक्षण के कारण, तेलंगाना राज्य सरकार ने केंद्र को बड़ी मात्रा में अचल संपत्ति और सार्वजनिक धन दिया है, जो स्पष्ट रूप से फिर से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का उल्लंघन है”.

अन्य बातों के अलावा, पंचू ने यह भी लिखा कि वह रमन्ना को “विशेषज्ञ मध्यस्थ” कहे जाने से “थोड़ा चकित” थे, जबकि “सहायक स्तर पर, श्री रमन्ना द्वारा आयोजित किसी भी मध्यस्थता का कोई ज्ञात रिकॉर्ड नहीं है”.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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