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Monday, 18 November, 2024
होमडिफेंसट्रांस-नेशन ट्रेन और पोर्ट लिंक से लेकर 6G तक: G20 शिखर सम्मेलन में अमेरिका का सबसे बड़ा एजेंडा क्या है

ट्रांस-नेशन ट्रेन और पोर्ट लिंक से लेकर 6G तक: G20 शिखर सम्मेलन में अमेरिका का सबसे बड़ा एजेंडा क्या है

दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका का मुख्य फोकस 'एक संयुक्त बुनियादी ढांचा समझौते को अंतिम रूप देना होगा, जिसमें न केवल अमेरिका और भारत, बल्कि सऊदी अरब, तुर्की और संभवतः इज़राइल भी शामिल होंगे.'

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नई दिल्ली: अमेरिका, भारत, तुर्की, सऊदी अरब और इज़राइल से जुड़े रेल और बंदरगाह सौदे के अलावा एमक्यू-9 सशस्त्र ड्रोन और जेट इंजन टेक्नोलॉजी जैसे प्रमुख रक्षा सौदों के साथ-साथ 5G और 6G टेक्नोलॉजी में सहयोग को लेकर बातचीत होगी. G20 शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के दौरे का यह सबसे प्रमुख एजेंडा होगा. इसकी जानकारी दिप्रिंट को मिली है.

इस सप्ताह के अंत में भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में आयोजित होने वाले इस शिखर सम्मेलन में इंटरगवर्नमेंटल मंच बनाने वाले देशों के नेता राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद रहेंगे.

सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि, किसी वास्तविक अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं किए जाने हैं, लेकिन मोदी और बाइडेन के बीच बातचीत के बाद प्रमुख समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की संभावना है.

जबकि कई मुद्दों पर चर्चा चल रही है, अमेरिका का सबसे बड़ा फोकस संयुक्त बुनियादी ढांचा समझौते को अंतिम रूप देना होगा. इसमें न केवल भारत और अमेरिका बल्कि सऊदी अरब, तुर्की और संभवतः इज़राइल भी शामिल होंगे.

यह सौदा, जिसकी घोषणा शिखर सम्मेलन के दौरान की जा सकती है, खाड़ी और दक्षिण एशिया के बीच व्यापार मार्ग को नया आकार देगा. साथ ही यह मध्य पूर्वी देशों को रेलवे से जोड़ेगा और फिर बंदरगाह द्वारा भारत से जुड़ेगा.

इस परियोजना का नेतृत्व अमेरिका द्वारा किया जा रहा है. यह मुख्य रूप से चीन के बेल्ट एंड रोड परियोजना को काउंटर करने का एक प्रयास है जिसके फोकस में हिंद-प्रशांत क्षेत्र है.

गुरुवार देर रात एयर फ़ोर्स वन में मीडिया से बातचीत में, बाइडेन के साथ भारत आ रहे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि कोई समझौता होगा या नहीं.

हालांकि, उन्होंने कहा कि यह एक पहल है “जिसमें हमने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक प्रयास किया है”.

उन्होंने आगे कहा, “हमारा मानना ​​है कि भारत से पूरे मध्य पूर्व से लेकर यूरोप तक कनेक्टिविटी अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है. इससे इसमें शामिल सभी देशों को आर्थिक लाभ के साथ-साथ रणनीतिक लाभ भी मिलेगा. लेकिन इस सप्ताह के अंत में किसी भी संभावित घोषणा के संबंध में चीजें कहां तक ​​​​पहुंचती हैं, इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता.”

अन्य एजेंडा के बारे में बात करते हुए, सुलिवन ने कहा कि बाइडेन मोदी से मिलेंगे और यह प्रधानमंत्री की संयुक्त राज्य अमेरिका यात्रा पर चर्चा करने का एक अवसर होगा.


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‘महत्वपूर्ण और नई टेक्नोलॉजी पर सहयोग’

मोदी और बाइडेन के बीच बैठक के बारे में बात करते हुए, सुलिवन ने कहा, “हम कई मुद्दों पर सार्थक परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं. इसमें जीई जेट इंजन, एमक्यू-9 रीपर्स, 5G/6G, महत्वपूर्ण और नई टेक्नोलॉजी आदि पर सहयोग शामिल है.”

उन्होंने आगे कहा: “इसलिए, जब वे दोनों कल (शुक्रवार) मिलेंगे तो हम उस सारी बातों पर नजर डालेंगे, जो दोनों देशों के बीच संबंधों में मजबूती को दिखाता है. बेशक, राष्ट्रपति बाइडेन उन महत्वपूर्ण, बुनियादी चीजों पर भी अपनी बात रखेंगे जिसके लिए संयुक्त राज्य अमेरिका हमेशा खड़ा रहा है, जैसा कि वह अपने सभी कार्यक्रमों में अपनी बात रखता रहता है.”

इस साल जून में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान, मोदी और बाइडेन ने जेट इंजन के लिए एक संयुक्त उत्पादन योजना तैयार की थी, साथ ही भारत में MQ-9B हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन के निर्माण पर भी बातचीत हुई थी.

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले बताया था, अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक और भारत की सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और बाकी काम शामिल है.”

यह सौदा 1960 के दशक से अपना जेट इंजन बनाने की भारत के प्रयास को खत्म कर सकता है. भारत सहित कई देश अपने स्वयं के लड़ाकू विमान बनाते हैं, लेकिन उसके इंजन निर्माण की तकनीक केवल कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा ही सीखी गई है.

एक दूसरा प्रमुख मुद्दा भारतीय नौसेना, सेना और भारतीय वायुसेना की निगरानी और हमले की क्षमता को बढ़ाने के लिए अमेरिका से 31 हेल ड्रोन, एमक्यू-9बी खरीदने की भारत की योजना है.

एमक्यू-9बी को भारत में असेंबल किया जाएगा और जनरल एटॉमिक्स स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देने के अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए भारत में एक व्यापक वैश्विक एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल) सुविधा भी स्थापित करेगा.

अमेरिकी कंपनी ने अपने ड्रोन कारोबार के लिए भारत के भारत फोर्ज, जो कल्याणी ग्रुप का हिस्सा है, के साथ समझौता किया है.

दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, नौसेना को समुद्री और पनडुब्बी रोधी युद्ध किट में 15 एमक्यू-9बी ड्रोन मिलेंगे, जबकि सेना और भारतीय वायु सेना को इसके आठ-आठ जमीनी संस्करण मिलेंगे.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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